रायपुर, 30 जून 2025 //
राज्य के शिक्षा जगत में फिर एक बार हड़कंप मच गया है। छत्तीसगढ़ के 146 विकासखंडों में कल 1 लाख 80 हजार शिक्षक स्कूलों की कक्षाएं छोड़कर सड़कों पर उतरेंगे। अपनी बहुप्रतीक्षित मांगों को लेकर शिक्षक साझा मंच के बैनर तले यह अब तक का सबसे बड़ा और एकजुट आंदोलन माना जा रहा है। प्रदेश के 23 शिक्षक संगठनों ने एक मंच पर आकर इस विशाल विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।

शिक्षकों की प्रमुख मांगों में एरियर राशि सहित क्रमोन्नति वेतनमान, प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना कर पुरानी पेंशन बहाली, डीएड योग्यताधारी शिक्षकों को पदोन्नति, और युक्तियुक्तकरण रद्द कर 2008 के सेटअप को पुनः लागू करना शामिल है। शिक्षकों का कहना है कि यदि अब भी उनकी आवाज नहीं सुनी गई तो पूरे प्रदेश में स्कूलों की तालेबंदी होगी और अनिश्चितकालीन आंदोलन की शुरुआत हो जाएगी।

साझा मंच ने बताया कि सूरजपुर जिले की शिक्षिका सोना साहू को माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद प्रथम नियुक्ति तिथि से क्रमोन्नति वेतनमान एवं पूरी एरियर्स राशि प्रदान की गई है। लेकिन सरकार इसे पूरे प्रदेश में लागू नहीं कर रही, जिससे 1 लाख से अधिक शिक्षक प्रतिमाह 15 से 20 हजार रुपये का नुकसान झेल रहे हैं।

युक्तियुक्तिकरण के नाम पर 57 हजार पद समाप्त

वर्तमान में लागू युक्तियुक्तिकरण प्रक्रिया की भी साझा मंच ने तीखी आलोचना की है। मंच के अनुसार प्राथमिक शालाओं में शिक्षकों की संख्या 3 से घटाकर 2 कर दी गई है। मिडिल, हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में भी भारी कटौती की गई है। इसका परिणाम यह हुआ है कि प्रदेशभर में लगभग 57,000 शिक्षकों के पद समाप्त कर दिए गए हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था और शिक्षकों की स्थिति दोनों ही प्रभावित हुई है।

डीएड धारकों को भी चाहिए सम्मान और अवसर

शिक्षक नेताओं का कहना है कि डीएड योग्यताधारी शिक्षकों को व्याख्याता और प्राचार्य जैसे पदों पर पदोन्नति नहीं मिल रही, जबकि वे पूरी तरह पात्र हैं। यह न सिर्फ अन्याय है, बल्कि प्रतिभा और अनुभव का निरादर भी है।

यह पहला मौका है जब प्रदेश के 23 शिक्षक संगठन एक साथ साझा मंच पर आए हैं। इससे आंदोलन को व्यापक जनसमर्थन और मजबूती मिली है। हाल ही में शिक्षकों ने 15 से 30 जून तक काली पट्टी लगाकर सरकार के प्रति विरोध जताया था, लेकिन अब धरना और प्रदर्शन का चरण शुरू हो चुका है।

साझा मंच ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इस बार भी शिक्षकों की मांगों को नजरअंदाज किया, तो सभी स्कूलों में तालेबंदी की जाएगी और आंदोलन अनिश्चितकालीन हो जाएगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार पर होगी। 

संजय शर्मा, मनीष मिश्रा, केदार जैन, वीरेंद्र दुबे, विकास राजपूत, कृष्णकुमार नवरंग, राजनारायण द्विवेदी, जाकेश साहू, भूपेंद्र बनाफर, शंकर साहू, भूपेंद्र गिलहरे, चेतन बघेल, गिरीश केशकर, लैलूंन भरतद्वाज, प्रदीप पांडे, प्रदीप लहरे, राजकिशोर तिवारी, कमल दास मुरचले, प्रीतम कोशले, विक्रम राय, विष्णु प्रसाद साहू, धरम दास बंजारे, अनिल कुमार टोप्पो सभी  नें साझा मंच ने सभी शिक्षकों से अपील की है कि कल के आंदोलन में 100% उपस्थिति देकर अपनी एकजुटता और संकल्प का परिचय दें। यह समय सिर्फ हड़ताल का नहीं, बल्कि शिक्षकीय गरिमा की पुनर्स्थापना का संग्राम है।

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