छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिम) ने मूल्यांकन प्रक्रिया में गंभीर लापरवाही करने वाले शिक्षकों पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। पुनर्मूल्यांकन और पुनर्गणना (Revaluation & Re-totaling) के परिणाम आने के बाद खुलासा हुआ कि कई शिक्षकों ने उत्तरपुस्तिकाएं जांचते समय इतनी बड़ी गलतियां कीं कि छात्रों के अंकों में 20 से लेकर 50 से ज्यादा नंबर तक की बढ़ोतरी हो गई।

माशिम ने इस गड़बड़ी को बेहद गंभीर मानते हुए 120 शिक्षकों को मूल्यांकन कार्य से प्रतिबंधित कर दिया है। इनमें से कुछ को 3 साल, कुछ को 5 साल और कुछ को पूरे 6 साल तक बैन किया गया है। यही नहीं, इन शिक्षकों को माशिम के सभी तरह के पारिश्रमिक कार्यों से वंचित कर दिया गया है और एक साल की वेतनवृद्धि रोकने की अनुशंसा भी की गई है। प्रतिबंधित शिक्षकों की सूची माशिम की आधिकारिक वेबसाइट पर भी अपलोड कर दी गई है।

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माशिम ने तीन श्रेणियों में की सख्त कार्रवाई

माशिम ने लापरवाह शिक्षकों को तीन कैटेगरी में बांटकर कार्रवाई की है:

  1. पहली श्रेणी – जिन शिक्षकों की जांची गई कॉपियों में पुनर्मूल्यांकन/पुनर्गणना के बाद 20 से 40 नंबर तक बढ़े हैं। इन पर 3 साल का प्रतिबंध लगाया गया।
  2. दूसरी श्रेणी – जिनकी जांची कॉपियों में 50 तक अंक बढ़े। इन पर 5 साल का बैन।
  3. तीसरी श्रेणी – जिनके मूल्यांकन के बाद 50 से ज्यादा अंक बढ़े। ऐसे शिक्षकों पर 6 साल का प्रतिबंध लगाया गया है।

माशिम ने स्पष्ट किया है कि ये शिक्षक आने वाले वर्षों में ना केवल मूल्यांकन कार्य, बल्कि मंडल से जुड़े किसी भी भुगतान योग्य कार्य में शामिल नहीं होंगे।

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माशिम की जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

जांच रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है  गलती सिर्फ कठिन विषयों जैसे गणित और विज्ञान में नहीं, बल्कि आसान विषयों में भी पाई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, दसवीं की कॉपी जांच में बारहवीं के मुकाबले ज्यादा लापरवाही हुई। दसवीं कक्षा में सबसे ज्यादा त्रुटियां सामाजिक विज्ञान में हुईं। वहीं बारहवीं कक्षा में हिन्दी के 11, रसायनशास्त्र के 6, अंग्रेजी और व्यवसाय अध्ययन के 5-5, अर्थशास्त्र के 4, भौतिकशास्त्र और जीव विज्ञान के 3-3, राजनीति विज्ञान, कृषि और फसल उत्पादन के 2-2 तथा गणित और पशुपालन विषय के एक-एक शिक्षक दोषी पाए गए। 

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छात्रों के भविष्य से खिलवाड़

शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि मूल्यांकन कार्य में इस तरह की लापरवाही छात्रों के भविष्य से सीधा खिलवाड़ है। पुनर्मूल्यांकन में 20 से 50+ अंक बढ़ना इस बात का संकेत है कि शिक्षक ने कॉपी जांच गंभीरता से नहीं की। इससे न केवल छात्रों का रिजल्ट और मेरिट प्रभावित होता है, बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं में भी नुकसान हो सकता है। माशिम के अधिकारियों ने कहा है कि यह कार्रवाई बाकी शिक्षकों के लिए भी एक चेतावनी है। आने वाले सत्रों में कॉपी जांच के दौरान अगर ऐसी कोई गलती पाई गई, तो और भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। क्या आप इस फैसले से सहमत हैं? कमेंट करें और शेयर करें। ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए हमें Facebook और Instagram पर फॉलो करें।

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