राजनीति

उत्तम से यूडी तक काँटों भरा सफऱ , एक फक्कड़ को उनके दोस्तों ने पहना दिया सियासत का ताज, राजधर्म निभाकर बदल रहे कुनकुरी की तस्वीर…………

तनवीर जमील

सत्ता की कमान जहाँ भाजपा के पास हुआ करती थी वहाँ आज कमान कांग्रेस के पास है. जशपुर जिले में भाजपा का एकतरफा राज था. यहाँ स्व. दिलीप सिंह जूदेव ने अपने दम पर पंचायत के सरपंच से लेकर लोकसभा सांसद तक बनवाये, जशपुर की तीन विधानसभा सीटों में लगातार भाजपा के विधायक बने, नगर पंचायत और जनपद पंचायत में भाजपा समर्थित अध्यक्ष उपाध्यक्ष बने, भाजपा के तीन बार के शासन 2003-2018 तक में सभी बड़े नेताओं कों लाल बत्ती से उपकृत किया गया लेकिन स्व दिलीप सिंह जूदेव के निधन के बाद अगले ही चुनाव में उनका बनाया भाजपा का अभेद किला भरभरा कर गिर गया और कांग्रेस के तीनों विधायक बने जिसमें रामपुकार सिंह पत्थलगांव, कुनकुरी यू. डी. मिंज और जशपुर से विनय भगत जीत कर विधानसभा पहुँचे

कांग्रेस के नेता यू. डी. मिंज ने 35 साल के कांग्रेस के वनवास के बाद जीत दर्ज कराया कांग्रेस का परचम लहराया . तीन दशक बाद भाजपा के गढ़ को भेद कर विधानसभा चुनाव जीत कर जैसा काम किया है उससे लग रहा कि वर्षों बाद एक जनप्रतिनिधि ने एक दमदार नेता के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है और बताया कि नेतृत्व कैसे करते है और जनप्रतिनिधि की जनता के प्रति जिम्मेदारी क्या होती है

आज कांग्रेस की सत्ता में जशपुर की राजनीति उनके इर्द गिर्द घूमती है, भाजपा के दिग्गज लगातार उनपर हमलावार रहते जिसका सीधा सा मतलब है कि विधायक में दम है. विधायक बनने के बाद उन्होंने दिखाया कि विधायकी क्या होता है और जनता के हित के लिए कैसे काम किया जाता है कैसे विकास की दिशा तय करनी है ऐसा लगता है कि भाजपा के सारे ढकोसलो के बाद उन्होंने काम करके अपने वजूद को स्थापित किया और मानव सेवा करके एक विकास पुरुष की छवि जनता के बीच बनाई है यू. डी. मिंज विधायक बनने के बाद से क्षेत्र के विकास के लिए लगातार सक्रिय है और काम को प्राथमिकता देकर उसे नयति तक पहुँचाया है राजनीति की नई दिशा तय की है. कुनकुरी विधानसभा मे जहाँ भाजपा धर्म धर्मान्तरण और अन्य मामलों मे सीधा कांग्रेस विधायक पर निशाना साधा तो यू डी मिंज ने मानव सेवा और क्षेत्र के विकास कार्यों से जनता का दिल जीतने मे कामयाबी हासिल की

विकास की रफ़्तार ऐसी बढ़ी की भाजपा भी इससे घबराने लगी क्योंकि उनके पास अपनी उपलब्धि बताने को कुछ है या नहीं ये वे बेखुबी जानते है भाजपा के पंद्रह साल की सरकार ने कुनकुरी विधानसभा को कितना मिला जनता जानती है तुलनात्मक रूप मे यह कहा जाय कि कांग्रेस सरकार मे जितना काम हुआ उतना पंद्रह साल मे नहीं हुआ, सोंच सक्रियता से जनता का विकास सार्थक हुआ जनता इस बात को समझ रहीं है

हालांकि उन्होंने पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता लेकिन नेतृत्व कैसे किया जाता है उन्होंने सिखाया है आदिवासी क्षेत्र के लिए और आदिवासी जनता के भलाई के लिए सीधे जनता के बीच रहते है उनके सरोकारों को सत्ता से सामंजस्य बैठा कर काम करने वाले नेताओं में उनका नाम शुमार हुआ है लोगों का कहना है कि वे रिमोर्ट कंट्रोल विधायक नहीं है जनता से पूछ कर क्षेत्र के विकास की योजना बनाकर सरकार तक भेजते है क्षेत्र के विकास के लिए विपक्ष के लोगों के सलाह से योजना को मूर्त रूप देते है ये भाजपा के लोगों से राय लेने में भी गुरेज नहीं करते है सारी चीजों को समाहित करके उसे भिड़कर अम्लीजामा पहनने में यकीन रखते है जनता उनकी इसी कार्यप्रणाली की मुरीद होते जा रही है

यही बात विपक्ष के भाजपा नेताओं को हजम नहीं होती है 35 साल तक उन्होंने विधानसभा क्षेत्र में नेतृत्व किया लेकिन एक बड़ी उपलब्धि उनके नाम नहीं है इसलिए विपक्ष में रहते उनपर तरह तरह के आरोप लगाया गया सबसे अधिक हमला यू. डी. मिंज पर किया जाता है जो सिद्ध करता है वे एक दमदार नेता है जो सभी वर्ग जाति धर्म के लोगों को साथ लेकर एक रणनीति के अनुसार काम करते है.अपने तेज तर्रार विधायक के रूप में पहचान बना चुके है उनका अलग अंदाज ही उनको लोकप्रिय बनाता है उनके इसी अंदाज को लेकर विपक्षी दल फायर रहते है और उनके निशाने पर लगातार बने रहते है.

भाजपा भी सीधे ही उनको टारगेट में रखती है भाजपा हिन्दू समर्थित पार्टी और विधायक हो गए ईसाई तो भाजपा के नेताओं के लिए ये आसान टारगेट हो गया और इस दिशा में विपक्ष सक्रिय भी है.15 साल की सत्ता के बाद ये कांग्रेस की सत्ता भाजपा को खल रहा है ज़ब बीजेपी की सत्ता रही तो जशपुर में दिग्गज नेता रहे

जिसमें भाजपा को सींच कर ऊंचाई तक पहुँचाने सर्वाधिक योगदान स्व दिलीप सिंह जूदेव का रहा उनके मार्गदर्शन में कई नेताओं ने बुलंदी तक पहुंचे जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णुदेव साय है जो कई बार सांसद रहे, तीन बार विधायक रहे तीन बार उनको प्रदेश अध्यक्ष रहे, उसी क्षेत्र से नन्दकुमार साय भी सांसद विधायक, प्रदेश अध्यक्ष तक बने मोदी सरकार में उन्हें केबिनेट मंत्री का दर्जा के साथ जनजातीय आयोग का अध्यक्ष बनाया गया बहरहाल आज वे कांग्रेस में है, इसी क्षेत्र से लोकसभा सांसद बनी गोमती साय जो पूर्व में जिला पंचायत अध्यक्ष भी रही आज भाजपा में सशक्त स्थिति में है उसी क्षेत्र में कई विधायक रहे जिनमे भरत साय, रोहित साय भी रहे इसके अतिरिक्त जशपुर जिले में भाजपा के पिछले 15 साल के सरकार में सबसे ज्यादा महत्त्व जशपुर जिले के नेताओं को दिया गया लेकिन यह किला कांग्रेस ने 2018 में ढहा दिया तीनों सीट पर कांग्रेस के विधायक जीते.

भाजपा के गढ़ को 35 साल बाद साधना आसान काम नहीँ था लेकिन इसे साधने में उन्हें 22 साल लग गए.धैर्य के साथ उन्होंने कांग्रेस का दामन पकड़ कर कांग्रेस को मजबूत करने में अपनी पूरी ऊर्जा लगाई और अपनी राजनीतिक पैठ भी ऊपर बनाते रहे नतीजा यह निकला कि उनको कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में 2008 में मौका मिला लेकिन भाजपा के प्रत्याशी से उनको लगभग 8 हजार मत से पराजय मिली लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीँ हारा. 2013 में उनको किसी कारण वश टिकट नहीँ मिला फिर भी वे कांग्रेस के लिए काम करते रहे अंततः उन्हें 2018 में फिर से मौका मिला और उन्होंने भाजपा के 29 हजार लीड को पाटते हुए लगभग 4 हजार मतों से भाजपा प्रत्याशी को हराया 35 साल बाद भाजपा के मजबूत और अभेद गढ़ ढहाकर इतिहास रच दिया

उन्होंने कहा जीत का श्रेय मेरे मित्रों सहयोगियों का है जिन्होंने मेरा धन बल मन से मेरा सहयोग किया मेरे साथ निःस्वार्थ जुड़े रहे और एक इतिहास रच दिया. भाजपा के गढ़ में जीतना कठिन था लेकिन पिछले 20 साल से फरसाबाहर कुनकुरी और दुलदुला के जनजन के जुड़ाव ने मुझे आशीर्वाद दिया है

आज के विधायक यू डी. मिंज को ना तो विरासत में राजनीति मिली, ना ही जिनको किसी नेता का वरदहस्त मिला, ना ही किसी ने ऐसा कहा कि यू.डी. को विधायक बना देते है. खुद के दम पर जमीन तैयार की लोग बनाए और लोगों की मदद से अपनी मंजिल के लिए खुद ही जिन्होंने रास्ता बनाया आज यू. डी. मिंज. यह नाम परिचय का मोहताज नहीँ है इनके इर्दगिर्द जशपुर की राजनीति चक्कर लगाती है, विपक्ष के नामीगिरामी नेताओं की जुबां पर यू. डी. मिंज का नाम ही उनकी दमदार शख्सियत से रूबरू कराती है.

आपने बिरले ही सुना होगा कि किसी न्यायधीश परिवार से सम्बंधित कोई सदस्य राजनीति की उबड़ खाबड़ डगर पर चला हो एक अजित प्रमोद जोगी थे जिन्होंने कलेक्टर का पद छोड़कर राजनीति को चुना एक ओपी चौधरी हैं जिन्होंने कलेक्टर का पद छोड़कर राजनीति को चुना,, मगर यहां हम जिसकी बात करेंगे वो न कलेक्टर थे, न गरीब थे, बस उनके खून में अपने गृह जिले के लिए कुछ नया कुछ अनोखा करने का जुनून था उनकी राजकुमारों सी जिंदगी थी जिसे छोड़कर वे दर दर की ठोकरें खाने खानाबदोशों सी फक्कड़ जिंदगी जीते हुए मंजिल की तलाश करते गए!!


सन 2 मार्च1965 में जोकारी निवासी न्यायधीश मुकुटदान अजय दान मिंज एवं उनकी धर्मपत्नी न्यायाधीश शशिबाला मिंज के घर जन्म लिया.वे पढ़ाई लिखाई में तेज थे चीजों को जल्द पकड़ लेते थे उनका बचपन अधिकतर उनकी दादी और नानी के साथ बीता.. माता पिता सरकारी नौकरी की वजह से प्रायः एक दूसरे से अलग, अलग शहरों में रहते थे सरकारी नौकरी थी इसलिए स्थानांतरण भी अक्सर होता था ऐसे में मोनू (यू. डी. मिंज ) की आरंभिक शिक्षा कई स्कूलों में हुई…

बचपन से ही तेज़ तर्रार मोनू प्राथमिकी शिक्षा के लिए रांची में रहे माता पिता भोपाल में बचपन का वो समय जो हर बच्चे के लिए माता पिता जरूरी होते हैं उस समय मोनू अपनी नानी एवं दादी के साथ रहने लगा माध्यमिक शिक्षा प्राप्त कर छात्र जीवन से ही राजनीति में कदम रख चुके थे उनका राजनीति में झुकाव घरवालों को कतई रास नही आ रहा था मगर मोनू पर राजनीति का धुन चढ़ चुका था सो उन्होंने भोपाल के एमएसीटी कॉलेज में दाखिला ले लिया और शुरू हुआ उनका छात्र राजनीति जीवन का शुरुआत इधर माता पिता को उनका राजनीति में दिलचस्पी रास नही आ रहा था उधर वे द्रुत गति से आगे बढ़ रहे थे कॉलेज खत्म होते होते यूडी भोपाल, इंदौर, और जबलपुर के लिए जाना पहचाना नाम हो गया. इस दौरान माध्य प्रदेश के नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री, सुरेश पचौरी, दिग्विजय सिंह जैसे बड़े नेताओं का सानिध्य मिला.पढ़ाई के बाद माता पिता ने शर्त रख दी कि मोनू को सरकारी नौकरी करनी होगी तात्कालिक व्यवस्था के अनुरूप परिजनों के दबाव में उन्होंने सरकारी नौकरी के लिए फार्म भरा पहली ही कोशिश में भी नौकरी लग गयी नई सरकारी नौकरी मेकेनिकल इंजीनियर के रूप में मिली

यू. डी. मिंज 4-5 साल सरकारी नौकरी करने के बाद नौकरी छोड़कर कुनकुरी को अपना कर्मक्षेत्र निर्धारित किया फिर वहाँ से जीवन की नई शुरुआत की. टीम वर्क में विश्वास के कारण तेजी से लोग उनके साथ जुड़ते गए फिर कारवां बनता गया लोगों का सहयोग मिलता गया यू. डी. मिंज आगे बढ़ते गए रास्ता दर रास्ता बनाते गए कुछ ही समय में लोगों के बीच इनका नाम इनकी छवि के कारण लोगों की जुबां पर चढ़ गया.अपने गृह जिले में उनके मित्र बड़े भाई के रूप में भाजपा के पितृपुरुष बाल कृष्ण शर्मा (देवकी महराज) के बड़े पुत्र राजेन्द्र शर्मा तथा सेराज राही ने उनका मार्गदर्शन किया उन्हें क्षेत्र के लिए कार्य करने उत्साहित किया जिसके बाद उन्होंने भाजपा के गढ़ फरसाकानी से निर्विरोध बीडीसी का चुनाव जीतकर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा. उसके बाद कुनकुरी के सैकड़ों युवा उनके साथ जुड़कर कदम से कदम मिलाकर चले और उन्हें 2018 विधायक बना दिया.

यू.डी. मिंज शुरू से डॉ चरणदास महंत के चहेते रहे उन्होंने चरणदास महंत को गुरु मान राजनीति की पाठशाला से शिक्षा ग्रहण करना शुरू किया डॉ चरणदास महंत ने उनकी प्रतिभा को निखारने कोई कोर कसर न छोड़ी वे सदा से यू.डी. के ऊपर अन्य शिष्यों की अपेक्षा अधिक स्नेह लुटाते और यू.डी. तो जैसे उनकी परछाई बन गए और आगे बढ़ते गए इसी शिक्षा के बदौलत आज कुनकुरी क्षेत्र के विकास के अनेक द्वार खोल रहे है

आज कांग्रेस में यू. डी. मिंज विधायक के प्रबल दावेदार के रूप में है लेकिन हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए रिटायर्ड कमिश्नर जेनेविवा किंडो भी चुनावी मैदान में ताल ठोंक चुकी है लेकिन उनका कांग्रेस से राजनीतिक जुड़ाव का मुख्य उद्देश्य जनता को दिख रहा है कि वे सिर्फ चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस ज्वाइन की है कहीं से भी जनता के सरोकारों से उनका लेना देना दिखाई नहीं देता है. या यू कहें कि राजनीती शैश्वकाल में ही उन्होंने ऊँचा लक्ष्य निर्धारित कर लिया है जबकि हकीकत में धरातल में शून्य है उन्हें लगता है कि पंजे के सहारे राजनीती की सिंहासन तक पहुँच सकती है लेकिन अपने खुद के पंजे से उन्होंने कितना लोगों का मदद किया वे खुद ही जानती है.नौकरशही के रुआब से निकल कर राजनीति में धौंस दिखाने वाले में सिर्फ ये कमिश्नर ही नहीं है

इससे पहले कुनकुरी में ही पदस्थ फारेस्ट एसडीओ से रिजाइन देकर 2013 में ईसाई कैंडिडेट अब्राहम तिर्की भी सिर्फ चुनाव लड़े इससे पहले ना कांग्रेस के लिए कुछ किया ना ही बाद में उन्होंने कांग्रेस को आगे बढ़ाने में कोई योगदान दिया आज भाजपा में शामिल है कुनकुरी में ही पदस्थ रहते हुए दावा करते थे की ग्राम वन सुरक्षा समिति के 29 हजार सदस्य है उन्होंने 2013 में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप चुनाव में चुनाव लड़ते हुए 29 हजार वोट से चुनाव हारा.वहीँ हाल में भाजपा में सत्ता की मलाई खाने के बाद आज कांग्रेस में आने वाले नन्दकुमार साय भी चुनाव लड़ने के लिए बेताब दिख रहे है उन्होंने बाकायदा कुनकुरी से दावेदारी भी की है और मंशा भी व्यक्त की जीवन के इस पड़ाव में उन्हें भाजपा में घुटन हुई तो कांग्रेस में शामिल होकर भीगी तीली से इक्षाऐं सुलगा रहे है लेकिन क्षेत्र के विकास में उनका भी शून्य ही है

बहरहाल टिकट किसे मिलेगी कांग्रेस हाईकमान तय करेगा लेकिन जनता का मानना है कि पहली बार किसी ने जनता के साथ जुड़कर जनता के लिए जनता के सरोकारों को समझ कर काम किया है वर्तमान विधायक यू. डी. मिंज की सोंच और मंशा को प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कुनकुरी विधानसभा में विकास कार्यों की सौगात दी है कुनकुरी के साथ जिले का नाम बुलंद हुआ कांग्रेस को एक पढ़ा लिखा सशक्त दूरगामी सोंच वाला दमदार नेता मिला है जिसको आगे भी अवसर मिले तो क्षेत्र के साथ जशपुर जिला भी बुलंदियों की ओर जायेगा ऐसा जनता मानती है.टिकट किसे मिलेगा कौन चुनाव लड़ेगा समय के गर्भ में है जो कुछ दिन में तय हो जायेगा.

विकास की नई इबादत लिखने में यू. डी. मिंज कामयाब रहे जो भाजपा के वर्षों के विधायक, सांसद और नेता नहीं कर पाय वो यू. डी. मिंज ने बहुत कम समय में कर दिखाया है.


संसदीय सचिव और कुनकुरी के विधायक यू. डी. मिंज ने कहा कि जनता के लिए काम करना जनता के सोंच के अनुरूप क्षेत्र का विकास करना मूल धर्म है, लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है मैं उसी के अनुरूप काम करके राजधर्म निभा रहा हूँ.

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