आजादी के बाद पहली बार पहुंचा प्रशासन, नक्सल प्रभावित ग्रामीणों की सुनी समस्याएं
नक्सल प्रभावित इस जिले के कुछ इलाके ऐसे हैं। जिनमें नक्सलियों की काफी पैठ है। उन्ही में से एक है बण्डापाल। जिले के अंतिम छोर में बसे इस धुर नक्सल प्रभावित गांव में ऐसा पहली बार हुआ। जब आजादी के बाद प्रशासन उन तक खुद चल कर पहुंचा। नक्सलियों की दहशत इतनी है विकास के कार्यो को गति देना अंदरूनी इलाकों में प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं।
अब तक जहां कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंच सका। वहां एक महिला कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला अपनी पूरी प्रशासनिक टीम के साथ वहां पहुंच कर ग्रामीणों से रूबरू हुए। कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला अपने पूरे प्रशासनिक अमले के साथ पहुंची। शिविर में लगभग 4 से अधिक गांव के ग्रामीण एकत्रित हुए। जिनसे प्राप्त हुए 136 आवेदन में 13 का तत्काल मौके पर निराकरण भी किया गया। ग्रामीणों की मांग और जरूरतों के अनुरूप सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र निर्माण, बोरखनन, पीडीएस गोदाम सहित अन्य कार्यो के लिए लाखों रुपये की स्वीकृति भी त्वरित रूप से प्रदान की गई। जिससे ग्रामीण बेहद खुश नजर आए।
ग्राम बण्डापाल घोर नक्सल प्रभावित इलाका होने के कारण ग्रामीणों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही थी। आज तक जहां कोई बड़ा प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंच पाया था। वहां माह दिसम्बर 2022 के अंत में एक महिला कलेक्टर ने ग्रामीणों के बीच पहुंच ना केवल उनकी समस्या सुनी थी। बल्कि उसे दूर करते हुए दुबारा जल्द आने का भरोसा दिया था। जिसे आज पूरा करते हुए ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान कर योजनाओं का लाभ पहुंचाने का कार्य किया है।
कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला ने कहा कि मेरे साल भर के कार्यकाल का यह सबसे अविस्मरणीय क्षण है, इसे मैं कभी नहीं भूल सकती। मुझे हमेशा याद रहेगा कि मैं कभी इस गांव में आई थी। कांकेर जिले के सबसे अच्छे डॉक्टर यहां मौजूद हैं, सभी लोग अपना स्वास्थ्य परीक्षण अवश्य करायें। इस अवसर पर जल जीवन मिशन, कृषि और जनपद कार्यालय द्वारा स्टॉल लगाया गया था। स्वास्थ्य विभाग द्वारा शिविर लगाकर मरीजों का उपचार किया गया। साइकिल का वितरण किया गया।
ग्रामीणों की मांग के अनुरूप विभिन्न घोषणाएं भी की गई। साथ उन्हें वे तमाम सुविधाएं मुहैय्या कराने का भरोसा दिया। जिनकी उन्हें आवश्यकता है। ग्रामीण प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को अपने बीच पाकर बेहद खुश नजर आए। ग्रामीण भी प्रशासन को अपने नजदीक पाकर बेहद खुश नजर आए। प्रशासन अगर इसी तरह के कार्य करता रहा तो वो भी दिन दूर नहीं कि नक्सल पर प्रभावित क्षेत्र के लोग सुविधाओं से महरूम रह सकेंगे।