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सहायक शिक्षक प्रदीप पाण्डेय “सर्व शिक्षक संघ” के अध्यक्ष पद पर निर्विरोध निर्वाचित…….. क्या सहायक शिक्षकों के बनेंगे मजबूत आवाज़ ?……

छत्तीसगढ़ में शिक्षक के सभी वर्गों के बीच एक सर्वमान्य संगठन “सर्व शिक्षक संघ” के प्रान्त अध्यक्ष विवेक दुबे बायलॉज नियम का पालन करते हुए लगभग एक माह पूर्व, अध्यक्ष पद का त्याग ये कहते हुए किया था कि किसी अन्य साथी को भी अध्यक्ष पद पें आना चाहिए और कार्य करने का मौका दिया जाना चाहिए।

ये कदम वाकई काबिले तारीफ है इसीलिए है क्यूंकि अन्य शिक्षाकर्मी और शिक्षक संगठन में यही देखने को मिला है कि कई अध्यक्ष बरसों बरस से उसी पद में जमे हुए है। जिसकी गाहे बगाहे सोशल मीडिया में चर्चा होती रहती है।

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विवेक दुबे जो एक पुराने संगठन से जुड़े हुए थे और संविलियन के समय सभी के संविलियन न हो पाने से खुद को उस संगठन से अलग होकर संविलयन अधिकार मंच बनाया। सभी शिक्षाकर्मियों का बिना किसी वर्ष बंधन के संविलियन की मांग को लेकर अपनी आवाज़ उठाये और मांग पुरी होने के पश्चात “सर्व शिक्षक संघ” का गठन किए। अपने लोगों के हक़ के लिए बड़े भाई की तरह खडे हो जाना ही उनकी लोकप्रियता का कारण है और आगे अपना अनुभव नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ जरूर बाटेंगे।

नए अध्यक्ष का चुनाव…
नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव हेतु प्रदेश सचिव विनय मौर्य ने ऑनलाइन माध्यम से प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पूरे प्रदेश के साथियों से नामांकन आमंत्रित किया था, जिसमें कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप पाण्डेय ने अपना नामांकन दाखिल किया था और किसी अन्य ने नामांकन दाखिल करना उचित नहीं समझा। किसी अन्य के नामांकन न करने कि जो जानकारी निकल कर आई है वो ये है कि प्रदीप पाण्डेय की कार्यशैली और नीति से सभी वाकिफ थे, इसीलिए संगठन के लिए विवेक दुबे की जगह सही मायने में वो सबकी पसंद बने । आख़िरकार 30 अक्टूबर को वो अध्यक्ष पद के लिए निर्विरोध चुन लिए गए।

सहायक शिक्षक प्रदीप पाण्डेय आख़िरकार कौन है…
प्रदीप पाण्डेय एक शिक्षाकर्मी के इतिहास से एक जाना पहचाना हुआ नाम है, जो 2007 से शासकीय प्राथमिक शाला भरारी से अपने शिक्षक जीवन की शुरुवात किया है। विभागीय जानकारी , नरम स्वभाव, वाकपटुता में माहिर और गंभीरता के साथ सही वक़्त में सही निर्णय लेने कि काबिलियत इनकी व्यक्तित्व दर्शाती है। सर्व शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष से पहले भी शिक्षाकर्मी के कई संगठन के विभिन्न पदों में रह चुके है। प्रदेश के विभिन्न संगठन के नेताओं के साथ कार्य करने का अनुभव रहा है। वर्ग 3 की कई मांग को विभिन्न संगठनों के माध्यम से सरकार तक पहुंचाने का काफ़ी अनुभव रखते है। ये सारे अनुभव अब कितना काम आता है ये देखने योग्य होगा।
सर्व शिक्षक संघ बनने से पहले विवेक दुबे और प्रदीप पाण्डेय अन्य साथियों के साथ मिलकर 2018 संविलियन के बाद ज़ब सभी का संविलियन नहीं हुआ, तब वर्ग 1,2,3 के लिए बिना वर्ष बंधन के संविलियन के लिए ज़मीन से मंत्रालय तक की लड़ाई सही नीति सही जानकारी के साथ लड़ी थी और उस वक़्त के मुख्यमंत्री तक प्रमुखता से अपनी आवाज़ पंहुचाई थी और उसमे सफलता भी प्राप्त किया था।उसके बाद ही बिना वर्ष बंधन के सभी साथियों का संविलियन होना शुरू हुआ था। इसी तरह पेंशन की लड़ाई और कई शिक्षक साथियों का बिना कारण के होते अत्याचार में मुखर होकर आवाज़ उठाने का कार्य किया है।

एक सहायक शिक्षक का प्रदेश अध्यक्ष बनना कितना मायने रखता है….
एक सहायक शिक्षक के प्रदेश अध्यक्ष बनने से वर्ग 3(सहायक शिक्षक) के बीच एक खुशनुमा माहौल है। सोशल मीडिया में अक्सर ये बातें लिखते या पढ़ते गया है कि वर्ग 3 की बहुत सी बात या मांग सरकार तक सही रणनीति और कार्ययोजना के साथ न तो रखी जाती है और न ही हड़ताल के समय वो देखी जाती है।
सहायक शिक्षक के एक अन्य संगठन के प्रदेश अध्यक्ष भी अपने संगठन के माध्यम से सहायक शिक्षकों कि आवाज़ उठाई थी लेकिन बिना चर्चा-कार्ययोजना के कभी भी हड़ताल का आह्वान करना और अचानक हड़ताल से कदम खिंच लेना, उनके कार्यशैली की अदूरदर्शिता को दर्शाता है इसका उनपर काफ़ी आरोप लगता रहा है और इस बात को लेकर वर्ग 3 में अच्छी खासी नाराजगी है। उस पर उनका सभी सहायक शिक्षको के पदोन्नति हो जाने का स्टेटमेन्ट देना और आचार संहिता लगने के बाद भी किसी भी तरह का जवाब सहायक शिक्षकों न देना, इस तरह के कई स्टेटमेन्ट वर्ग 3 के बीच गुस्से का कारण बना है।
इन्ही सब के बीच एक सहायक शिक्षक प्रदीप पाण्डेय का एक बड़े संगठन “सर्व शिक्षक संघ” का अध्यक्ष बनना, एक उम्मीद की किरण जगाती है। उनके संगठन में भी बहुत से सहायक शिक्षक है और संगठन के सदस्यों के साथ अन्य सहायक शिक्षक की उम्मीद अब जागना स्वाभाविक है। अब देखना ये दिलचस्प होगा कि सहायक शिक्षक प्रदेश अध्यक्ष अपने कार्यशैली, योजना और नीति से सहायक शिक्षकों के उम्मीदों में कितना खरे उतरते है?

CG NOW

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