NCERT के सभी किताबों में INDIA की जगह अब लिखा जाएगा भारत…..
दरअसल प्राचीन काल से ही हमारे देश के अलग-अलग नाम रहे हैं।प्राचीन ग्रंथों में देश के अलग-अलग नाम लिखे गए- जैसे जम्बूद्वीप, भारतखंड, हिमवर्ष, अजनाभ वर्ष, आर्यावर्त तो वहीं अपने-अपने जमाने के इतिहासकारों ने हिंद, हिंदुस्तान, भारतवर्ष, इंडिया जैसे नाम दिए,लेकिन इनमें भारत सबसे ज्यादा लोकप्रिय रहा।
NCERT के डायरेक्टर दिनेश प्रसाद सोलंकी ने कक्षा 12वीं की बुक्स में इंडिया की जगह भारत करने का फैसला लिया है। इसका प्रस्ताव कुछ महीने पहले रखा गया था और अब इसे स्वीकार कर लिया गया है। NCERT पैनल के मंजूरी के बाद ये सारी नई किताबों में भारत नाम लागू होगा।
पैनल के सदस्यों में से एक सीआई इस्साक के मुताबिक, नई एनसीईआरटी किताबों के नाम में बदलाव होगा। यह प्रस्ताव कुछ महीने पहले रखा गया था और अब इसे स्वीकार कर लिया गया है। NCERT पैनल के मंजूरी के बाद ये सारी नई किताबों में भारत नाम लागू होगा।
इंडिया नाम कैसे मिला?
अंग्रेज जब हमारे देश में आए तो उन्होंने सिंधु घाटी को इंडस वैली कहा और उसी आधार पर इस देश का नाम इंडिया कर दिया। यह इसलिए भी माना जाता है क्योंकि भारत या हिंदुस्तान कहने में मुश्किल लगता था और इंडिया कहना काफी आसान, तभी से भारत को इंडिया कहा जाने लगा।
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इंडिया’ शब्द हटाने के मांग क्यों?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-1 में भारत को लेकर दी गई जिस परिभाषा में इंडिया, दैट इज भारत यानी इंडिया अर्थात भारत के जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, उसमें से सरकार इंडिया शब्द को निकालकर सिर्फ भारत शब्द को ही रहने देने पर विचार कर रही है। साल 2020 में भी इसी तरह की कवायद शुरू हुई थी।
संविधान से इंडिया शब्द हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई थी कि इंडिया शब्द गुलामी की निशानी है और इसीलिए उसकी जगह भारत या हिंदुस्तान का इस्तेमाल होना चाहिए। अंग्रेजी नाम का हटना भले ही प्रतीकात्मक होगा, लेकिन यह हमारी राष्ट्रीयता, खास तौर से भावी पीढ़ी में गर्व का बोध भरने वाला होगा। हालांकि तब कोर्ट ने ये कहकर याचिका खारिज कर दी थी कि हम ये नहीं कर सकते क्योंकि पहले ही संविधान में भारत नाम ही कहा गया है।
NCERT पैनल ने दी किताबों में इंडिया का नाम बदलने की मंजूरी
जानकारी के अनुसार पैनल के सदस्य सीआई इस्साक ने बताया कि एनसीईआरटी की किताबों में देश का नाम बदलने को लेकर कुछ महीने पहले प्रस्ताव रखा गया था, जिसे अब स्वीकार कर लिया है। एनसीईआरटी पैनल ने इसकी मजूरी दे दी है। इसाक ने कहा कि एनसीईआरटी की नई किताबों में देश का नाम अब इंडिया की जगह भारत नाम होगा।
हिंदू राजवंशों का इतिहास पढ़ाने पर जोर
इतिहासकार और पुणे के Deccan College के पूर्व वाइस चांसलर वसंत शिंदे ने बताया कि NCERT के सिलेबस में बदलाव को लेकर NCERT पैनल की मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में पैनल ने यह सुझाव दिया है कि सिलेबस में कुछ राजवंशों का इतिहास ज्यादा पढ़ाया जाता है. जितना सिलेबस में मुगल काल के बारे में पढ़ाया जाता है, उतना मराठों का इतिहास और विजय नगर के इतिहास का जिक्र नहीं है, हिंदू राजवंशों का इतिहास कम पढ़ाया जाता है, इसलिए पैनल ने सभी राजवंशों का इतिहास बराबर पढ़ाने का अनुमोदन दिया है।
प्रोफेसर वसंत शिंदे में यह भी बताया कि हमारे देश का नाम वैदिक काल से भारत है, लेकिन इसके बारे में भी सिलेबस में कुछ नहीं लिखा गया है, इसलिए पैनल ने सिलेबस में बदलाव का अनुमोदन किया है। इसके अलावा मीटिंग में कमेटी के चेयरपर्सन सी आई आइजैक, प्रोफेसर ममता यादव, डॉक्टर राघवेन्द्र तंवर भी मौजूद रहे।
भारत नाम को लेकर हुई थी सियासत
इन सब चीजों को लेकर विपक्ष ने खूब बवाल काटा। विपक्ष के गठबंधन का नाम I-N-D-I-A है। इसलिए मोदी सरकार अब नाम बदलना चाहती है। बैठक के बाद संसद में विशेष सत्र में भी इस बात को उठाया गया। हालांकि बीजेपी का कहना है कि इंडिया अंग्रेजों की ओर से दिया गया नाम है। इसलिए भारत नाम किया जाना चाहिए। जी20 की बैठक के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि देश का नाम भारत किया जा सकता है।