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भारत का परचम लहराने वाले चंद्रयान-3 को विश्व अंतरिक्ष सम्मान से नवाजा जाएगा ,इटली में 14 अक्तूबर को दिया जाएगा पुरस्कार

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चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर इतिहास बनाने और दुनियाभर में भारत का परचम लहराने वाले चंद्रयान-3 को विश्व अंतरिक्ष सम्मान से नवाजा जाएगा। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री महासंघ ने पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक उपलब्धि है। चंद्रयान-3 को यह पुरस्कार 14 अक्तूबर को इटली के मिलान में होने वाले 75वें अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री सम्मेलन के दौरान दिया जाएगा। चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा पर सफल लैंडिंग की थी।

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अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री महासंघ ने कहा कि भारत के अलावा अब तक अमेरिका, रूस और चीन ने चंद्रमा पर लैंडिंग की है। वहीं इसरो का मिशन चंद्रयान 3 वैज्ञानिक प्रयोग और लागत प्रभावी इंजीनियरिंग का अनूठा उदाहरण है। यह भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण की विशाल क्षमता का प्रतीक है। फेडरेशन ने कहा कि चंद्रयान -3 ने चंद्रमा की संरचना और भूविज्ञान के अनदेखे पहलुओं को उजागर किया। यह मिशन नए प्रयोगों के लिए वैश्विक उपलब्धि है।

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चंद्रयान 3 ने कई उपलब्धियां हासिल कीं। इसका प्रपल्शन मॉडल परमाणु प्रोद्यौगिकी द्वारा संचालित था जो अंतरिक्ष और परमाणु क्षेत्र के बीच सफल समन्वय था।

भारत ने रचा था इतिहास
भारत की तरफ से भेजे गए चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा की दक्षिणी सतह पर सफल लैंडिंग की थी। देश के इतिहास में यह गौरव का क्षण था। चंद्रयान 3 मिशन की सफलता के पीछे ISRO में इसके प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरामुथुवल और उनकी टीम ने दिन-रात एक कर दिया था। इससे पहले भारत ने चंद्रयान -1 और चंद्रयान-2 लॉन्च किया था। लेकिन वह सफल नहीं हो पाए थे। इसके बाद चंद्रयान-3 भेजा गया।

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इसरो प्रमुख ने दी थी बधाई
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता का श्रेय उन सभी वैज्ञानिकों को दिया था जो दुख और तकलीफ के बावजूद इसकी कामयाबी के लिए मजबूती से लगे रहे। उन्होंने भरोसा जताया कि अंतरिक्ष एजेंसी आने वाले वर्षों में इसी तरह मंगल ग्रह पर एक अंतरिक्ष यान उतारेगी। उन्होंने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए देश की अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों के नेतृत्व की एक पीढ़ी के योगदान को भी स्वीकार किया था।

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