बिलासपुर

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा कार्यक्रम में वर्चुअली हुए शामिल,संविधान दिवस पर न्यायाधीशों ने संविधान की उद्देशिका का किया पठन

छत्तीसगढ़ न्यायिक अकादमी के द्वारा अकादमी में मुख्य न्यायधपति रमेश सिन्हा के मार्गदर्शन में संविधान दिवस के अवसर पर गरिमामय कार्यक्रम आयोजित किया गया. संविधान दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित क्रार्यक्रम में शामिल होने मुख्य न्यायाधिपति रमेश सिन्हा नई दिल्ली प्रवास पर छत्तीसगढ़ न्यायिक अकादमी के उन्होंने नई दिल्ली से राज्य के समस्त न्यायाधीशों संविधान दिवस की बधाई दी.छत्तीसगढ़ न्यायिकअकादमी के संविधान दिवस के कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायलय के न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार व्यास और न्यायमूर्ति राकेश कुमार पांडे, राज्य के समस्त जिलों के जिला न्यायाधीश, उच्च न्यायालय रजिस्ट्री के अधिकारी गण और बिलासपुर जिले में पदस्थ न्यायाधीशों ने भाग लिया.कार्यक्रम के आरंभ में उपस्थित न्यायाधीशों ने संविधान की उद्देशिका का पठन किया . इस अवसर पर मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार व्यास ने “संविधान के पालन में न्याय व्यवस्था को सरल बनाकर जन- जन को इससे जोड़ना न्यायाधीशों का प्राथमिक कर्तव्य होना चाहिए ” व्यक्त किया तथा आगे कहा कि संविधान में नागरिकों को अनेक अधिकार प्रदान किए गए हैं. न्यायपालिका का यह दायित्व है की पारदर्शी न्याय व्यवस्था बनाए रखते हुए हर व्यक्ति को संपूर्ण न्याय मिले, यह सुनिश्चित किया जाए. न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार व्यास द्वारा इस अवसर पर न्यायपालिका के समक्ष की मौजूद चुनौती जैसे आधारभूत संरचना की कमी, न्यायाधीशों की कमी, प्रकरणों की अधिक संख्या आदि के संबध में अपने विचार व्यक्त किये.कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित न्यायमूर्ति राकेश कुमार पांडेय ने भारतीय संविधान के महत्व पर प्रकाश डाला गया. उन्होंने बताया गया कि भारतीय संविधान नागरिकों के हितों की सुरक्षा करते हुए, हर नागरिक के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है. उनके द्वारा संविधान दिवस के महत्व को समझाते हुए, उसको मनाये जाने के उद्देश्य, संविधान के निमार्ण एवं विकास में योगदान देने वाले सभा के सम्मानीय सदस्यों के बारे में भी संक्षेप में जानकारी दी.मुख्य न्यायाधिपति रमेश सिन्हा के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ न्यायिक अकादमी के द्वारा ही राज्य के समस्त जिलों के जिला न्यायाधीश की संगोष्ठी आयेजित की गई थी. इस संगोष्ठी का उदेश्य न्यायपालिका के समक्ष मौजूद चुनौती और उनके निराकरण के लिए उठाये जाने वाले कदमों के संबंध में चर्चा करना था.

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