दक्षिण चीन सागर की विवादित चौकियों पर फिर चीन का दावा, सैन्यीकरण से अमेरिका खफा
चीन ने दक्षिण चीन सागर की विवादित चौकियों पर चीन ने एक बार फिर दावा करने के साथ सैन्यीकरण का प्रयास शुरू किया है। चीन के भड़काऊ कदमों को लेकर अमेरिका ने गुरुवार को गंभीर चिंता प्रकट की है।अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि चीन के इस प्रयासे से क्षेत्र में शांति व सुरक्षा को खतरा है। चीन गैरकानूनी ढंग से दक्षिण चीन सागर में अपना एजेंडा लागू करना चाहता है। इस समुद्री इलाके में उसके भड़काऊ कार्यों, जबरदस्ती और डराने-धमकाने की मंशा से क्षेत्र की शांति और सुरक्षा कमजोर होगी।नेड प्राइस ने कहा कि बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर पर दावों के लिए कोई ठोस व सुसंगत कानूनी आधार पेश नहीं किया है। दक्षिण चीन सागर में चीन की गतिविधियां रोजमर्रा की चर्चा का विषय हैं। इनमें अमेरिका के सहयोगी और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साझेदार देशों की भागीदारी और चीन अधिकारी भी शामिल होते हैं। अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा कि दक्षिण चीन सागर में अपने विशाल और गैरकानूनी दावों के नाम पर उसकी गतिविधियों को हमने देखा है। वह समुद्री आवाजाही के अधिकारों और क्षेत्र की स्वतंत्रता में दखल दे रहा है। ये अधिकार सभी देशों के हैं। हम चीन के गैरकानूनी समुद्री दावों को खारिज करते हैं। चीन को अपने दावों को अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप हल करने के लिए कह रहे हैं। नेड प्राइस ने कहा कि चीन को 12 जुलाई, 2016 के मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले का पालन करना चाहिए। उसे दक्षिण चीन सागर में गैरकानूनी और उत्तेजक कार्रवाई को रोकना चाहिए। चीन 2010 से दक्षिण चीन सागर के निर्जन द्वीपों को हथियाने की कोशिश कर रहा है। वह इन्हें यूएनसीएलओएस UNCLOS के तहत लाने के लिए कृत्रिम द्वीपों में परिवर्तित कर रहा है। चीन अपनी वहां की चट्टानों के आकार और संरचना को बदल रहा है। उसने वहां हवाई पट्टी भी बना ली है। अमेरिका कृत्रिम द्वीपों के निर्माण की कड़ी आलोचना करता है। वह चीन की इन हरकतों को ‘रेत की दीवार’ की संज्ञा देता है। चीन पैरासेल द्वीप समूह सहित लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है। वहीं, ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं। इस इलाके के बारे में कहा जाता है कि यहां तेल और गैस के बहुमूल्य भंडार हैं।