एस्मा के विरोध में एकजुट हुए कर्मचारी संगठन,संविदाकर्मियों ने जल सत्याग्रह कर विरोध दर्ज किया, एकजुट हुए कर्मचारी, हजारों की तादाद में पहुंचे धरना स्थल
सरकार ने हड़ताली स्वास्थ्य कर्मचारियों पर एस्मा लगाया किंतु कर्मचारी अस्पतालों की ओर रुख की बजाय धरना स्थल की ओर कूच किए। सरकार की इस करवाई के विरोध में इन कर्मचारियों को अब छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन, संचालनालय विभागाध्यक्ष कर्मचारी संघ और छत्तीसगढ़ इन सर्विस डाक्टर एसोसियेशन, और अन्य कर्मचारी संगठनों का समर्थन मिल रहा है। मंच पर आकर कमल वर्मा, संतोष कुमार वर्मा ने एस्मा कानून को वापस लेने सरकार से अपील की और संविदा कर्मचारी के हर संघर्ष में साथ खड़े होने का विश्वास दिलाया। साथ में सुरेश दीदी अध्यक्ष चतुर्थ प्रकोष्ठ, लोकेश वर्मा उपकोषाध्यक्ष इंद्रावती भवन, राजकुमार सोंधिया विभागीय समिति अध्यक्ष इंद्रावती भवन शामिल हुए।
यह कैसी विडम्बना है जो सरकारें आंदोलन का सहारा लेकर आती हैं, सत्ता में आने के बाद वहीं दमनकारी नीतियों से जायज मांगों के आंदोलन को तोड़ने तमाम हथकंडे अपनाती है। नियमितिकरण का वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार इस हक की लड़ाई को तोड़ने आखिर इतना बेचैन क्यूं हो रही है। यह सवाल उठाया है एस्मा के विरोध में जल सत्याग्रह कर रहे संविदा कर्मचारियों ने। सरकार के स्वास्थ्य कर्मचारियों के ऊपर एस्मा कानून लगाने के बाद हजारों की संख्या में कर्मचारी तूता धरना स्थल पहुंचकर अपना विरोध दर्ज किए। विस्वथ सूत्रों की माने तो किसी भी जिले में कोई भी स्वास्थ्य कर्मचारी कार्यालय में उपस्थिति नहीं दिए।
महासघ के प्रांत अध्यक्ष कौशलेश तिवारी ने बताया कि सरकार के पौने पांच साल बीत जाने के बाद भी नियमितिकरण के संबंध में निर्णय नहीं लिया गया है। जब कर्मचारी सरकार के वादे पूरा करने के अपील के साथ हड़ताल में उतरे तो दमनकारी नीतियों से हड़ताल तोड़ने के हथकंडे अपना रही है । लोकतंत्र में यह चिंता का विषय है।
कार्यकारी अध्यक्ष अशोक कुर्रे ने बताया कि सरकार की इस दमनकारी नीति का हम विरोध करते है। अपने ही कर्मचारियों के प्रति यह दुर्भावना कर्मचारी सहन नहीं करेंगे।
कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सिन्हा ने कहा कि आंदोलनरत कर्मचारी इस बार बिना ठोस निर्णय के जाने वाले नहीं हैं।