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पूर्व CJI बोले- राजनीति में जाने का इरादा नहीं:चंद्रचूड़ ने कहा- पद छोड़ने के बाद भी समाज हमें जज के रूप में देखता है

दिल्ली ,पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ से पूछा गया कि क्या वे कभी राजनीति में आएंगे। उन्होंने कहा- वे 65 साल की उम्र के बाद ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जिससे उनके काम और न्यायिक प्रणाली की ईमानदारी पर संदेह पैदा हो। चंद्रचूड़ रविवार को NDTV इंडिया के संविधान @75 कॉन्क्लेव में पहुंचे थे।

उनसे सवाल किया गया कि क्या रिटायरमेंट के बाद जजों को राजनीति में आना चाहिए। इसके जवाब में उन्होंने कहा- संविधान या कानून में ऐसा करने पर कोई रोक नहीं है। हमारा समाज पूर्व जजों को कानून के संरक्षक के रूप में देखता है। उनकी लाइफ स्टाइल समाज के कानूनी सिस्टम के मुताबिक होनी चाहिए।

पूर्व CJI ने कहा- जजों को ट्रोलिंग से बहुत सावधान रहना होगा। ट्रोलर्स कोर्ट के फैसलों को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। लोकतंत्र में कानूनों की वैधता तय करने की पावर कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट को सौंपी गई है।

पावर के सेपरेशन में नियम हैं। जैसे कानून बनाने का काम विधायिका करेगी, कानून का क्रियान्वयन कार्यपालिका करेगी और ज्यूडिशियरी कानून की व्याख्या और विवादों का फैसला करेगी। हालांकि कई बार ये तनावपूर्ण हो जाता है।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में नीति निर्माण का काम सरकार को सौंपा जाता है। जब मौलिक अधिकारों की बात आती है तो संविधान के तहत कोर्ट का कर्तव्य है कि वे हस्तक्षेप करें। नीति निर्माण विधायिका का काम है, लेकिन इसकी वैधता तय करना कोर्ट का काम और जिम्मेदारी है।

पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने कहा- किसी मामले में खास रुचि रखने वाले स्पेशल इंटरेस्ट ग्रुप, प्रेशर ग्रुप उस मामले के रिजल्ट को सोशल मीडिया के जरिए प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। जजों को इनसे सावधान रहने की जरूरत है। आजकल लोग यूट्यूब और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देखे 20 सेकेंड के वीडियो के आधार पर राय बना लेते हैं। ये बहुत बड़ा खतरा है।

प्रत्येक नागरिक को ये समझने का अधिकार है कि किसी फैसले का आधार क्या है और कोर्ट के फैसलों पर अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है, लेकिन जब ये अदालत के फैसलों से आगे निकल जाता है और जजों को व्यक्तिगत तौर पर निशाना बनाता है तो ये एक तरह से बुनियादी सवाल उठाता है- क्या ये वास्तव में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है

 

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