रायपुर //-
इन दिनों प्रदेशभर में सेवा सहकारी समिति के प्रबंधकों एवं कर्मचारियों का अनिश्चितकालीन आंदोलन चल रहा है। अपनी मांगों को लेकर समिति कर्मचारी लगातार आंदोलन पर अडिग है। वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार उनकी मांगों को पूरी करने व इनसे बातचीत करने की बजाय इन पर काफी ज्यादा शक्ति बरत रही है।
इन कर्मचारियों पर एस्मा लगा दी गई है। अनेक कर्मचारीयो को तो बर्खास्त कर दिया गया है। तथा एफआईआर करने की तैयारी सरकार द्वारा की जा रही है।
उक्त विषय पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त कर्मचारी मोर्चा के प्रदेश संयोजक जाकेश साहू ने केंद्र एवं राज्य सरकार से विनम्रता पूर्वक आग्रह एवं अपील की है कि सरकार द्वारा समिति कर्मचारियों की मांगों पर एक अच्छे माहौल में चर्चा कर मांगों पर सहानुभूति पूर्व विचार कर मांगे पूरी की जानी चाहिए।
कर्मचारी मोर्चा के प्रदेश संयोजक जाकेश साहू ने कहा है कि केंद्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारी अपनी जायज मांगों, हक एवं अधिकार के लिए हड़ताल, आंदोलन एवं धरना प्रदर्शन कर सकते हैं। यह हम कर्मचारियों का संवैधानिक अधिकार है। अपनी जायज मांगों के लिए शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन हड़ताल कर रहे कर्मचारियों को बर्खास्त करना, इन पर एस्मा लगाना एवं इनकी मांगों को ना मानना, उन पर एफआईआर करना किसी भी स्थिति में उचित नहीं है।
कर्मचारी मोर्चा के प्रदेश संयोजक जाकेश साहू ने केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री माननीय अमित भाई शाह एवं राज्य सरकार के मुख्यमंत्री माननीय विष्णु देव साय से विनम्रता पूर्वक अपील की है कि कर्मचारियों से अच्छे माहौल में बातचीत कर उनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए सेवा सहकारी समिति कर्मचारियों की जायज मांगों को पूरी किया जाना चाहिए।
कर्मचारियों पर इस प्रकार एस्मा लगाना, उन पर एफआईआर करना, उन्हें बर्खास्त करना यह कतई उचित नहीं कहा जा सकता। यह बात उल्लेखनीय है कि सेवा सहकारी समिति के कर्मचारी अपनी सेवा शर्तों में सुधार एवं बेहतर वेतनमान के लिए हड़ताल कर रहे हैं। साथ ही साथ सुखत एक बड़ा मुद्दा है। जब सोसाइटी में किसान धान बेचते हैं, उस समय धान में नमी का प्रतिशत अधिक रहता है। धान खरीदी के बाद उसका तुरंत परिवहन नहीं होता। बल्कि तीन से चार महीना और कभी कभी छह छह महीनो तक धान सोसाइटी में रखा रहता है।
जब समिति से सरकार धान उठाती है उस समय नमी की मात्रा कम हो गया रहता है। अर्थात सुख जाता है। जिससे खरीदी किए गए धान की वजन बाद में कम होता है। और यह जो वजन का अंतर है वह पूरी धान को मिलाकर बहुत ज्यादा अर्थात कई हजार क्विंटल में हो जाता है।
जिसकी भरपाई समिति प्रबंधकों को करना पड़ता है। इस मामले में विगत वर्षों में कई समिति प्रबंधकों पर एफआईआर हुआ है। अधिकांश समिति प्रबंधक इस मुद्दे पर हाईकोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं। कई समिति प्रबंधकों को पहले भी बर्खास्त कर दी गई है। सरकार को चाहिए कि सुखत के मुद्दे पर एक कमेटी बनाकर इसका निराकरण करें एवं समिति प्रबंधक व समिति कर्मचारियों की समस्याओं को सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए इसका समाधान निकाले। साथ ही उनके सेवा शर्तों में बेहतर सुधार करें।
कर्मचारी मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष यशवंत नायक एवं प्रदेश पदाधिकारीगण हृदय सिंह चौहान, विजय कुमार तारम, दीपक लाल सिन्हा, भुवन चतुर्वेदी, सुखराम साहू, त्रिभुवन यादव, अभिजीत पांडे सहित समस्त कार्यकारिणी सदस्यों ने सरकार से विनम्रतापूर्वक अपील किया है कि सोसाइटी कर्मचारीयों की मांगे को सरकार शीघ्र ही पूरा करे।

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