हिमाचल सरकार ने बजट प्रावधान के बिना किया खर्च, उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं किए पेश
हिमाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने शुक्रवार को भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक(कैग) के प्रतिवेदन(वर्ष 2021-2022) को विधानसभा सदन के पटल पर रखा। रिपोर्ट में वर्ष 2021-22 के लिए राज्य सरकार के बजट दस्तावेजों की समीक्षा में बजट प्रावधानों में कई विसंगतियों को दर्शाया गया है। कैग ने की रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 के दौरान राज्य सरकार ने विस्तृत अनुमानों के बिना किसी बजट प्रावधान के 12 अनुदानों में 18 प्रमुख शीर्षो के तहत 623.40 करोड़ का खर्च किया। कैग ने कड़ी टिप्पणी करते हुए रिपोर्ट में कहा, संविधान के अनुच्छेद 204 के प्रावधानों के अनुसार पारित कानून में किए गए विनियोग के अलावा राज्य की संचित निधि से कोई पैसा नहीं निकाला जाएगा। इसके अलावा किसी योजना, सेवा पर पुनर्विनियोग से अतिरिक्त धनराशि प्राप्त करने के बाद या अनुपूरक अनुदान या विनियोग या राज्य की आकस्मिकता निधि से अग्रिम से बिना निधि के प्रावधान के व्यय नहीं किया जाना चाहिए। इसके बावजूद 2021-22 के दौरान राज्य सरकार ने विस्तृत अनुमानों के बिना किसी बजट प्रावधान के 12 अनुदानों में 18 प्रमुख शीर्षों के तहत 623.40 करोड़ का खर्च किया। वर्ष 2021-22 के दौरान हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकार ने एक अनाधिकृत उप प्रमुख शीर्ष (01 प्रमुख शीर्ष 5002 के तहत) बजट प्रावधान प्रदान किया और इस शीर्ष में पूंजी अनुभाग के तहत 213.00 करोड़ का व्यय किया।भारत के संविधान के अनुच्छेद 150 के अनुसार राज्य के लेखों को भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की सलाह के अनुसार रखा जाना है। वर्ष 2021-22 के दौरान प्रदेश की राज्य सरकार ने प्रधान महालेखाकार (लेखा व हकदारी) की सलाह लिए बिना बजट में 136 नए उप शीर्ष खोले। राज्य सरकार ने इन शीर्षों के तहत बजट प्रावधान प्रदान किए और 2021-22 के दौरान इनमें 2,641.81 करोड़ का व्यय किया। वर्ष 2021-22 के दौरान 2,392.99 करोड़ की कुल राशि के 1,823 उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) जो देय थे, राज्य के निकायों और प्राधिकरणों द्वारा प्रदान सहायता अनुदान के एवज में प्रस्तुत नहीं किए गए। इसके अलावा 2,359.15 करोड़ की कुल राशि के 1,796 उपयोगिता प्रमाण पत्र जोकि वर्ष 2020-21 तक प्रस्तुत करने के लिए देय थे, 31 मार्च 2022 तक लंबित थे। इसी प्रकार 4,752.14 करोड़ की राशि के 3,619 उपयोगिता प्रमाण पत्र 31 मार्च 2022 तक प्रस्तुत करने के लिए लंबित थे। यूसी जमा नहीं करने से इस बात का कोई आश्वासन नहीं है कि 4,752.14 करोड़ की राशि वास्तव में उस प्रयोजन के लिए खर्च, उपयोग की गई है, जिसके लिए इसे अनुमोदित किया गया था।योजना के दिशा-निर्देशों, तौर-तरीकों का अनुमोदन नहीं होने, प्रशासनिक स्वीकृति के अभाव में कार्य प्रारंभ नहीं करने, बजट जारी नहीं करने आदि के कारण सरकार की कई नीतिगत पहलों को आंशिक रूप से क्रियान्वित किया या क्रियान्वित नहीं किया जाता है। वर्ष 2021-22 के दौरान 25 अनुदानों के अंतर्गत 68 प्रमुख शीर्ष थे जिनमें विभिन्न योजनाओं पर 363.04 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया था, लेकिन कोई व्यय नहीं किया गया था। इससे हितधारकों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाता है। हालांकि, बजट दस्तावेजों में आवश्यक कार्रवाई एवं सुधार के लिए मामला राज्य सरकार के समक्ष उठाया गया था।माल एंव सेवा कर (जीएसटी) 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया था। वर्ष 2021-22 के बाद का माल एंव सेवा कर संग्रह वर्ष 2020-21 में 3,466.58 करोड़ की तुलना में 1,015.57 करोड़ की वृद्धि (29.30 प्रतिशत) के साथ 4,482.15 करोड़ था। इसमें आईजीएसटी की अग्रिम मूल्यांकन राशि 308.20 करोड़ शामिल है। इसके अतिरिक्त केंद्रीय माल एवं सेवा कर के तहत राज्य को शुद्ध आय के अपने हिस्से के रूप में सौंपे गए 2,105.41 करोड़ प्राप्त हुए। माल एवं सेवा कर के तहत कुल प्राप्तियां 6,587,56 करोड थीं। वर्ष 2021-22 के दौरान माल एवं सेवा कर के कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले राजस्व के नुकसान के कारण राजस्व प्राप्ति के रूप में राज्य ने 1, 167.99 करोड़ मुआवजा प्राप्त किया। इसके अलावा, राज्य को जीएसटी. मुआवजे के बदले केंद्र सरकार से बैक टू बैक ऋण के रूप में 2021-22 (31 मार्च 2022 तक कुल 24,412.22 करोड़ का कुल ऋण के दौरान 2.606.22 करोड़ भी प्राप्त हुए, जिसे राज्य के किसी भी मानदंड के लिए जो वित्त आयोग की ओर से केंद्रीय व्यय विभाग के निर्णय के अनुसार निर्धारित किया जा सकता है ऋण के रूप में नहीं माना जाएगा।वर्ष 2021-22 में लेन-देन की नमूना जांच के दौरान प्रदेश सरकार ने पूंजी अनुभाग के बजाय राजस्व अनुभाग में मुख्य शीर्ष 2000 के तहत गलत तरीके से 2.77 करोड का व्यय दर्ज किया। राज्य के राजस्व/राजकोषीय अधिशेष/घाटे पर गलत वर्गीकरण का प्रभाव हुआ है।