हिंदीं हमारी पहचान है,इसे संरक्षित करना और संवारना हम सबकी जिम्मेदारी
जशपुरनगर
हिंदीं दिवस के अवसर पर शनिवार को अंकभारती के तत्वाधान में गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में काविता पाठ के साथ हिंदीं भाषा के महत्व और इसके भविष्य को लेकर चर्चा की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के छायाचित्र पर दीप प्रज्जवलित कर,कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डा मृगेन्द्र सिंह,संस्था के अध्यक्ष डा रवीन्द्र वर्मा,डा सुभाष वर्मा ने किया।
डा वर्मा ने मघई बोली में भगवान श्रीगणेश की वंदना और मां सरस्वती की वंदना से कविता के सफर की शुरूआत की। वरिष्ठ कवि राजेन्द्र प्रेमी ने आओ साथी मिल कर हिंदीं को आगे बढ़ाएं और छत्तीसगढ़ी में अपनी कविता मत मारव बेटी ला का पाठ करके वाह वाही बटोरी। शिक्षक आशुतोष सिंह ने भारतीय समाज में हिंदीं की लगातार हो रही उपेक्षा और अंग्रेजी के प्रति बढ़ रहे मोह पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अगर हम सबने मिल कर हिंदीं को बचाने के लिए सक्रियता से काम नहीं किया तो अंग्रेजी के पूरी तरह से हावी होने का खतरा मंडरा रहा है।
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विकास पांडे ने कहा कि हिंदीं हमारी पहचान है और इसे संरक्षित और संवर्धित करना हम सबकी जिम्मेदारी है। सत्येन्द्र पाठक ने भी हिंदीं को समाज के लिए आवश्यक बताते हुए, इसे संरक्षित करने पर जोर दिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अंक भारती के अध्यक्ष डा वर्मा ने कहा कि हिंदी का इतिहास अनंत काल से समृद्व रहा है। लेकिन हमेशा संघर्ष करना पड़ा है। स्वतंत्रता से पहले अंग्रेज सहित अन्य आक्रमणकारियों ने कुचलने का प्रयास किया और स्वतंत्रता के बाद अपने लोगों से जुझना पड़ रहा है।
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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डा मृगेन्द्र सिंह ने कहा कि जो अंग्रेजी को वैश्विक भाषा होने का दावा करते हुए, इसका पक्ष लेते हैं वे या तो इसकी वास्तवीकता को नहीं जानते या फिर लोगों को गुमराह करते है। उन्होनें कहा कि अंग्रेजी विश्व के 212 देशों में से सिर्फ 12 देशों में ही बोली जाती है। फिर भी हम इसे विश्व की संपर्क भाषा मानकर इसके पीछे दौड़े चले जा रहें हैं। उन्होनें अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि एक कार्यक्रम के दौरान उनकी मुलाकात एक स्पेन निवासी महिला से हुआ था। चर्चा में महिला ने बताया कि स्पेन में अंग्रेजी कोई नहीं जानता। जिसे इसकी आवश्यकता होती है, उसे अलग से सिखना पड़ता है। इस अवसर पर अंक भारती ने हिंदीं में विशेष योगदान देने वाले पत्रकारों और साहित्कारों को सम्मानित किया।