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क्या होता है नहाय-खाय और खरना जानिए, आज से छठ पूजा की शुरुआत

छठ पूजा में दूसरे दिन को “खरना” के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन का उपवास रखती हैं। खरना का मतलब होता है, शुद्धिकरण। खरना के दिन शाम होने पर गुड़ की खीर का प्रसाद बना कर व्रती महिलाएं पूजा करने के बाद अपने दिन भर का उपवास खोलती हैं

लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत आज से हो जाएगी। 28 अक्तूबर यानि आज से नहाय खाय के साथ महापर्व की शुरुआत हो गई है। छठ पूजा गली-मोहल्ले में छठ के पारंपरिक गीत गूंज रहे हैं। इस बार 28 अक्तूबर से चार दिवसीय छठ पर्व शुरू हो रहा है, जो 31 अक्तूबर तक चलेगा। कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा मनाई जाएगी। श्रद्धालु साक्षात देव भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने की गुहार लगाएंगे। 28 को नहाय खाय के साथ महापर्व का श्रीगणेश हो जाएगा। 30 को अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य अर्पित किया जाएगा। 31 अक्तूबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होगा। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य ज्योतिषाचार्य पं. दीपक मालवीय ने बताया कि छठ पर्व की शुरुआत 28 अक्तूबर को चतुर्थी तिथि में नहाय खाय से होगी। 29 अक्तूबर यानी पंचमी तिथि पर महिलाएं खरना करेंगी। इस दिन सुबह से लेकर शाम तक महिलाएं व्रत रखती हैं और सूर्यास्त के बाद मीठा भात या लौकी की खिचड़ी खाकर व्रत खोलती हैं। तीसरे दिन 30 अक्तूबर को षष्ठी पर्व पर व्रत रखने वाले सायंकाल गंगा तट पर या किसी जल वाले स्थान पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। दूसरे दिन भोर में 31 अक्तूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत को पूर्ण किया जाएगा। पं. मालवीय ने बताया कि षष्ठी तिथि 30 अक्तूबर को प्रात: काल 5.49 बजे लग रही है जो 31 अक्तूबर को प्रात: काल 3.27 बजे तक रहेगी। 30 अक्तूबर को सूर्यास्त शाम को 5.38 बजे होगा और 31 अक्तूबर को सूर्योदय प्रात: 6.32 बजे होगा। अरुणोदय काल में दूसरे अर्घ्य के बाद व्रत का पारण होगा।पहले दिन को नहाय खाय के नाम से जाना जाता हैछठ पूजा में पहले दिन को नहाय खाय के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं और पुरुष एक समय का भोजन करके अपने मन को शुद्ध करते हैं। इस दिन से घर में शुद्धता का बहुत ध्यान रखा जाता है, और लहसुन-प्याज़ बनाने की मनाही हो जाती है। नहाय-खाय वाले दिन व्रती महिलाएं लौकी की सब्ज़ी, चने की दाल, चावल और मूली खाती हैं। क्या होता है खरना ?छठ पूजा में दूसरे दिन को “खरना” के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन का उपवास रखती हैं। खरना का मतलब होता है, शुद्धिकरण। खरना के दिन शाम होने पर गुड़ की खीर का प्रसाद बना कर व्रती महिलाएं पूजा करने के बाद अपने दिन भर का उपवास खोलती हैं। फिर इस प्रसाद को सभी में बाँट दिया जाता है। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। इस दिन प्रसाद बनाने के लिए  नए मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का प्रयोग करना शुभ माना जाता है।   तीसरे दिन शाम के समय डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है, जिसकी वजह से इसे “संध्या अर्ध्य“ कहा जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं भोर में सूर्य निकलने से पहले रात को रखा मिश्री-पानी पीती हैं। उसके बाद अगले दिन अंतिम अर्घ्य देने के बाद ही पानी पीना होता है। संध्या अर्घ्य के दिन विशेष प्रकार का पकवान “ठेकुवा” और मौसमी फल सूर्य देव  को चढ़ाए जाते हैं, और उन्हें दूध और जल से अर्घ्य दिया जाता है। इस साल 31 अक्टूबर को संध्या अर्घ्य दिया जायेगा।

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