महावीर जयंती पर जैन धर्मावलंबियों ने नगर में निकाली भव्य शोभायात्रा….
जैन समुदाय के लिए महावीर जयंती एक बहुत बड़ा पर्व होता है और इस दिन को लोग बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं ! हर साल शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन महावीर जयंती का पर्व मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन जैन धर्म के 24वें तीर्थकर
भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व में बिहार के कुण्डग्राम नाम के स्थान पर हुआ था ! यह स्थान वैशाली जिले में है, महावीर की मां त्रिशला रानी थीं और पिता का नाम सिद्धार्थ था ! जैन पुराणों में वर्णन मिलता है कि महावीर के जन्म से पहले उनकी माता ने उनके जन्म से सम्बंधित 16 विशेष स्वप्न देखे थे !
भगवान महावीर अहिंसा, त्याग व समभाव की प्रतिमूर्ति थे !
भगवान महावीर ने त्याग और तपस्या की शक्ति से आत्मसाक्षात्कार किया था, उनके वचनों में जीवन का सार है !
करीब ढाई हजार साल पूर्व भारत एवं दुनिया के सामने जो चुनौतियां थीं, वे आज भी मौजूद हैं बस उनका स्वरूप बदल गया है ! अत्याचार, दमन, शोषण, आतंक, युद्ध, हिंसा और असत्य जैसी बुराइयां आज भी विद्यमान हैं. भगवान महावीर ने अपने वचनों में इन बुराइयों पर विजय पाने का मार्ग बताया है !
भगवान महावीर ने कठोर तप से अपने जीवन पर विजय प्राप्त किया था !
आज महावीर जयंती के शुभ अवसर पर बगीचा के जैन धर्मावलंबियों के द्वारा जैन मंदिर में भगवान महावीर की मूर्ति का विशेष अभिषेक कराया गया ! भगवान महावीर के स्नान अभिषेक के पश्चात उनकी मूर्ति को वाहन रुपी रथ पर बैठाकर हर्सोल्लास के साथ झुमते हुए भव्य शोभायात्रा निकाली गई !
शोभायात्रा जैन मंदिर प्रांगण बगीचा से निकलकर जनपद कार्यालय, पुलिस थाना, बस स्टैंड होते हुए लोटा मोड़ पहुंची और वहां से पुनः भगवान महावीर की जय जय कार करते हुए वापस जैन मंदिर बगीचा के प्रांगण में पहुंची !
इस दिन भगवान महावीर का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन जैन धर्मावलंबी समाज में उनके संदेशों का प्रचार करते हैं !
भगवान महावीर ने अहिंसा का संदेश दिया था, उन्होंने कहा था कि अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है !
खुद जिओ और दूसरों को भी जीने दो, हर प्राणी के प्रति दया का भाव रखो, दया ही अहिंसा है !!