स्टॉक ऑप्शंस के हकदार नहीं पेटीएम सीईओ विजय शेखर, आईआईएएस ने उठाए सवाल
प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज (IiAS) के मुताबिक पेटीएम अपने संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी विजय शेखर शर्मा को कर्मचारी स्टॉक विकल्प (Employee Stock Options देने के लिए नियमों को दरकिनार कर सकती है।आईआईएएस ने शुक्रवार को एक नोट में कहा कि शर्मा को प्रमोटर के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है, लेकिन उनके पास बोर्ड में संभावित स्थायी सीट समेत कुछ वैसे ही अधिकार मिले हुए हैं। आईआईएएस ने कहा, ‘इन प्रावधानों और ढांचों से विजय शेखर शर्मा को उसी तरह की छंटनी का मौका मिलता है, जैसा कि प्रमोटर परिवारों को अधिक पारंपरिक कंपनियों में मिलता है।आईआईएएस ने कहा है कि नियामक को शर्मा के उस कदम की जांच करनी चाहिए, जिसमें उन्होंने इक्विटी को पारिवारिक ट्रस्ट में स्थानांतरित कर के अपनी प्रत्यक्ष हिस्सेदारी कम की है। ऐसा उन्होंने इसलिए किया ताकि वह ESOP (employee stock ownership plan) के लिए योग्य हो जाएं। फर्म का कहना है कि रेगुलेटर को इस कदम की जांच करनी चाहिए कि ऐसा किस नियम की वजह से किया गया? भारतीय कानून प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फर्म के 10% से अधिक हिस्सेदारी रखने वाले प्रमोटरों और निदेशकों के लिए स्टॉक विकल्पों (ESOP) को प्रतिबंधित करता है। बता दें कि पेटीएम के आईपीओ की लिस्टिंग के बाद इसके शेयरों में भारती गिरावट दर्ज की गई है। एडवाइजरी फर्म ने पिछले साल विजय शेखर शर्मा को फिर 5 साल के लिए सीईओ बनाए जाने के प्रस्ताव पर पर भी सवाल खड़ा किया था। इस पद के लिए प्रस्तावित वेतन का भी विरोध किया गया था। आईआईएएस रिपोर्ट के जवाब में पेटीएम के प्रवक्ता ने मीडिया को बताया है कि कंपनी ने शर्मा को गैर-प्रमोटर के रूप में वर्गीकृत करने में लागू कानून के सभी प्रावधानों का पालन किया था। शेयरधारक अनुमोदन सहित ईएसओपी देने के लिए उचित प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया। प्रवक्ता ने कहा कि उनका पारिश्रमिक नवंबर 2020 और 2025 तक अपरिवर्तित रहा। शर्मा को मार्च 2022 को समाप्त वित्त वर्ष में 9 रुपये प्रति शेयर की दर से 2.1 करोड़ विकल्प दिए गए थे, जिसका मूल्य तब 50 करोड़ डॉलर है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर अनुमान लगाया जाए तो इस हिसाब से 2023 में उन्हें करीब 796 करोड़ रुपये की सैलरी मिलेगी। आईआईएएस ने कहा कि पेटीएम का औपचारिक नाम वन 97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड उन कई भारतीय स्टार्टअप में से एक है, जिसने अपने संस्थापकों को प्रमोटर के रूप में वर्गीकृत नहीं किया है।आईआईएएस ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि कई संस्थापक प्रवर्तक के समान अधिकारों और वित्तीय लाभों के बीच नियामकीय मध्यस्थता की भूमिका निभा रहे हैं। “नियमों को इन संरचनाओं को पकड़ने की आवश्यकता है।