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राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से लगेगा झटका या मिलेगी राहत? जानें दोनों पक्षों का जवाब

मोदी सरनेम पर टिप्पणी मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मिली सजा के निलंबन पर शुक्रवार (4 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि मामले की जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार की बेंच सुनवाई करेगी. मोदी सरनेम वाली अपनी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता ने माफी मांगने से इनकार कर दिया है.

राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में आपराधिक मानहानि मामले में अपनी सजा पर रोक लगाने के लिए याचिका दाखिल की है. याचिका में उन्होंने कहा कि वह दोषी नहीं हैं.

बीजेपी नेता की याचिका पर मिली सजा
बीजेपी नेता और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने 2019 में राहुल गांधी के खिलाफ उनकी इस टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था कि ”सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों है?” ये टिप्पणी पूर्व कांग्रेस सांसद ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान की थी.

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राहुल गांधी ने माफी मांगने से किया मना, बताई वजह
शीर्ष अदालत में दायर एक हलफनामे में, राहुल गांधी ने कहा कि पूर्णेश मोदी ने अपने जवाब में उनके लिए ‘अहंकारी’ जैसे ‘निंदात्मक’ शब्दों का इस्तेमाल केवल इसलिए किया, क्योंकि उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया है.

गांधी ने अपने हलफनामे में कहा, ”याचिकाकर्ता को बिना किसी गलती के माफी मांगने के लिए मजबूर करने के लिए आपराधिक प्रक्रिया और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत प्रभावों का उपयोग करना न्यायिक प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है और इस न्यायालय द्वारा इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए.”

माफी मांगनी होती तो बहुत पहले हो चुका होता- राहुल गांधी
कांग्रेस नेता की ओर से दाखिल किए गए हलफनामे में कहा गया, ”याचिकाकर्ता का कहना है और उसने हमेशा कहा है कि वह अपराध का दोषी नहीं है और दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं है और अगर उसे माफी मांगनी होती और समझौता करना होता, तो वह बहुत पहले ही ऐसा कर चुके होते.”

केरल के वायनाड से सांसद के रूप में अयोग्य ठहराये गए राहुल गांधी ने कहा कि उनका मामला ‘असाधारण’ है, क्योंकि अपराध ‘मामूली’ है और एक सांसद के तौर पर अयोग्य ठहराए जाने से उन्हें अपूरणीय क्षति हुई है.

कांग्रेस नेता का दावा- नहीं है कोई मोदी समाज
उन्होंने हलफनामे में कहा, ”इसलिए प्रार्थना की जाती है कि राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाई जाए, जिससे वह लोकसभा की चल रही बैठकों और उसके बाद के सत्रों में हिस्सा ले सकें.”

उन्होंने दावा किया कि रिकॉर्ड में ‘मोदी’ नाम का कोई समुदाय या ‘समाज’ नहीं है और इसलिए, समग्र रूप से मोदी समुदाय को बदनाम करने का अपराध नहीं बनता है.

‘मोध वणिक’ जाति का किया अपमान- पूर्णेश मोदी
इससे पहले, पूर्णेश मोदी ने सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी की उस अपील को खारिज करने का आग्रह किया था, जिसमें कांग्रेस नेता ने आपराधिक मानहानि के एक मामले में अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने का अनुरोध किया है. बीजेपी नेता ने कहा था कि गांधी ने मोदी उपनाम वाले सभी लोगों को खासकर गुजरात के ‘मोध वणिक’ जाति से संबंधित लोगों का अपमान किया है.

शीर्ष अदालत ने 21 जून को कांग्रेस नेता की अपील पर पूर्णेश मोदी और राज्य सरकार से जवाब मांगा था. राहुल गांधी ने 15 जुलाई को दायर अपनी अपील में कहा कि अगर सात जुलाई के फैसले पर रोक नहीं लगाई गई तो इससे बोलने, अभिव्यक्ति, विचार और बयान की स्वतंत्रता का गला घोंट दिया जाएगा.

कांग्रेस नेता को गुजरात की सेशंस कोर्ट से मिली सजा के बाद 24 मार्च को संसद के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था. वहीं, गुजरात हाईकोर्ट ने भी उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि ‘राजनीति में शुचिता’ समय की मांग है.

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