RBI ब्याज दरों में 0.25% की कर सकती है बढ़ोतरी
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की आज (3 अप्रैल) यानी सोमवार से मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग शुरू हो रही है। यह मीटिंग 3,5 और 6 अप्रैल तक चलेगी। इस मीटिंग में RBI रेपो रेट यानी इंटरेस्ट रेट में 25 बेसिस पॉइंट (0.25%) की बढ़ोतरी कर सकती है। ऐसा होता है तो लगातार 7वीं बार रेपो रेट में बढ़ोतरी होगी।RBI मई 2022 से लगातार रेपो रेट में बढ़ोतरी कर रही है। महंगाई को कम करने के लिए RBI मई के बाद से अब तक रेपो रेट में टोटल 250 बेसिस पॉइंट्स यानी 2.50% की बढ़ोतरी कर चुकी है। माना जा रहा है कि मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी मीटिंग में इस बार होने वाली रेट हाइक आखिरी होगी। गुरुवार यानी 6 अप्रैल को RBI मीटिंग में लिए गए फैसलों के बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताएगी।हाल ही में US फेडरल रिजर्व, यूरोपियन सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ इंग्लैंड समेत कई विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों ने भी महंगाई को कम करने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है।रिटेल इन्फ्लेशन 2 महीने नवंबर और दिसंबर 2022 में RBI के कम्फर्ट जोन यानी 2-6% के बीच रही थी। इसके बाद से इन्फ्लेशन RBI के कम्फर्ट जोन से बाहर हो गई है। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) बेस्ड इन्फ्लेशन जनवरी 2023 में 6.52% और फरवरी 2023 में 6.44% रही थी। फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में रिजर्व बैंक कुल मिलाकर MPC की 6 मीटिंग करेगी। केंद्र सरकार ने RBI को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि रिटेल महंगाई 2% से 6% तक बनी रहे।2 महीने पहले फरवरी में RBI ने रेपो रेट में 0.25% का इजाफा किया था। इससे रेपो रेट 6.25% से बढ़कर 6.50% हो गई। अब RBI एक बार फिर 0.25% की बढ़ोतरी करती है, तो रेपो रेट 6.50% से बढ़कर 6.75% हो जाएगी। साथ ही 1 अगस्त 2018 के बाद रेपो रेट की यह सबसे ऊंची दर हो जाएगी, तब रेपो रेट 6.50% थी।रेपो रेट बढ़ने से होम लोन से लेकर ऑटो और पर्सनल लोन सब कुछ महंगा हो जाएगा और आपको ज्यादा EMI चुकानी होगी। हालांकि FD पर ज्यादा ब्याज दरें मिलेंगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के 1 फरवरी को बजट पेश करने के बाद MPC की यह दूसरी बैठक है।मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग हर दो महीने में होती है। पिछले वित्त वर्ष-2022-23 की पहली मीटिंग अप्रैल-2022 में हुई थी। तब RBI ने रेपो रेट को 4% पर स्थिर रखा था, लेकिन RBI ने 2 और 3 मई को इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर रेपो रेट को 0.40% बढ़ाकर 4.40% कर दिया था।22 मई 2020 के बाद रेपो रेट में ये बदलाव हुआ था। इसके बाद 6 से 8 जून को हुई मीटिंग में रेपो रेट में 0.50% इजाफा किया। इससे रेपो रेट 4.40% से बढ़कर 4.90% हो गई। फिर अगस्त में इसे 0.50% बढ़ाया गया, जिससे ये 5.40% पर पहुंच गई।सितंबर में ब्याज दरें 5.90% हो गई। फिर दिसंबर में ब्याज दरें 6.25% पर पहुंच गई। इसके बाद वित्त वर्ष 2022-23 की आखिरी मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग फरवरी में हुई, जिसमें ब्याज दरें 6.25% से बढ़ाकर 6.50% कर दी गई थीं।ब्याज दरों के बढ़ने के बाद मई से पहले जो होम लोन आपको 5.65% रेट ऑफ इंटरेस्ट पर मिल रहा था वो अब 8.15% पर पहुंच गया है। यानी 20 साल के लिए 20 लाख के लोन पर आपको हर महीने करीब 2,988 ज्यादा की EMI देनी होगी।मान लीजिए रोहित नाम के एक व्यक्ति ने 7.90% के फिक्स्ड रेट पर 20 साल के लिए 30 लाख का लोन लिया है। उसकी EMI 24,907 रुपए है। 20 साल में उसे इस दर से 29.77 लाख रुपए का ब्याज देना होगा। यानी, उसे 30 लाख के बदले कुल 59.77 लाख रुपए चुकाने होंगे।रोहित के लोन लेने के बाद RBI रेपो रेट में 0.25% का इजाफा कर देता है। इस कारण बैंक भी 0.25% ब्याज दर बढ़ा देते हैं। अब जब रोहित का एक दोस्त उसी बैंक में लोन लेने के लिए पहुंचता है तो बैंक उसे 7.90% की जगह 8.15% रेट ऑफ इंटरेस्ट बताता है।रोहित का दोस्त भी 30 लाख का ही लोन 20 साल के लिए लेता है, लेकिन उसकी EMI 25,374 रुपए की बनती है। यानी रोहित की EMI से 467 रुपए ज्यादा। इस वजह से रोहित के दोस्त को 20 साल में कुल 60.90 लाख रुपए चुकाने होंगे। ये रोहित से 1.13 लाख ज्यादा है।लोन की ब्याज दरें 2 तरह से होती हैं फिक्स्ड और फ्लोटर। फिक्स्ड में आपके लोन की ब्याज दर शुरू से आखिर तक एक जैसी रहती है। इस पर रेपो रेट में बदलाव का कोई फर्क नहीं पड़ता। वहीं फ्लोटर में रेपो रेट में बदलाव का आपके लोन की ब्याज दर पर भी फर्क पड़ता है। ऐसे में अगर आपने फ्लोटर ब्याज दर पर लोन लिया है तो EMI भी बढ़ जाएगी।RBI के पास रेपो रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो, RBI रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को RBI से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देंगे। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होगा। मनी फ्लो कम होगा तो डिमांड में कमी आएगी और महंगाई घटेगी।इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में RBI रेपो रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को RBI से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है। इस उदाहरण से समझते है। कोरोना काल में जब इकोनॉमिक एक्टिविटी ठप हो गई थी तो डिमांड में कमी आई थी। ऐसे में RBI ने ब्याज दरों को कम करके इकोनॉमी में मनी फ्लो को बढ़ाया था।रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते है जिस दर पर बैंकों को RBI पैसा रखने पर ब्याज देता है। जब RBI को मार्केट से लिक्विडिटी को कम करना होता है तो वो रिवर्स रेपो रेट में इजाफा करता है। RBI के पास अपनी होल्डिंग के लिए ब्याज प्राप्त करके बैंक इसका फायदा उठाते हैं। इकोनॉमी में हाई इंफ्लेशन के दौरान RBI रिवर्स रेपो रेट बढ़ाता है। इससे बैंकों के पास ग्राहकों को लोन देने के लिए फंड कम हो जाता है।