बिलासपुर : पंडित रामदुलारे दुबे स्कूल से विवादित शिक्षिका की हुई छुट्टी…कलेक्टर ने आदेश जारी कर की कारवाई
शहर के हृदय स्थल सरकंडा में स्थित गौरवशाली इतिहास वाला पंडित रामदुलारे दुबे स्कूल एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गया था और ताजा विवाद यहां की प्रभारी प्राचार्य पूर्णिमा मिश्रा से जुड़ा हुआ था, जिस पर स्कूल के ही दो शिक्षकों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कलेक्टर, एसपी और जिला शिक्षा अधिकारी से शिकायत की थी ।
शिकायतकर्ता शिक्षक में से पुरुष शिक्षक जहां दिव्यांग है वही महिला शिक्षिका अनुसूचित जनजाति वर्ग से आती है और दोनों ने प्रभारी प्राचार्य पर जिस प्रकार के गंभीर आरोप लगाए थे, वह बताने के लिए काफी है कि आखिरकार स्कूल फिर से एक बार सुर्खियों में क्यों आ गया था क्योंकि प्रभारी प्राचार्य इस बार वही शिक्षिका है जिसे पिछले बार छात्र-छात्राओं और प्राचार्य से विवाद के चलते जिला शिक्षा अधिकारी ने 10 माह के लिए स्कूल से बाहर का रास्ता दिखाया था और इस बार भी विवाद के बाद जहां विभागीय जांच हुई उसके बाद कलेक्टर ने आदेश जारी कर विवादित शिक्षिका पूर्णिमा मिश्रा को आगामी आदेश पर्यंत तक के लिए पंडित रामदुलारे दुबे स्कूल से हटाकर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सेंदरी में पदस्थ कर दिया है ।
दरअसल पंडित रामदुलारे दुबे स्कूल में आज से 1 माह पहले स्कूली छात्रों में गैंगगवार की घटना हुई थी जिसमें एक छात्र का सर फट गया था और सात टांके लगे थे।
उसके ठीक 5 दिन बाद स्कूल में कुछ छात्र नेताओं का भ्रमण हुआ था जिसमें उन्होंने कक्षा का निरीक्षण कर कुछ चुनिंदा छात्रों से बातचीत कर कुछ वीडियो तैयार किया था जो बाद में वायरल भी हुआ और जिसके चलते अन्य छात्र संगठनों ने आपत्ति दर्ज कराते हुए मामले की जांच की मांग कलेक्टर के सामने रखी थी मामले में जब तीन सदस्यों की कमेटी के द्वारा स्कूल पहुंच कर जांच की गई तो कई ऐसे तथ्य निकलकर सामने आए जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि कई घटनाएं बाकायदा सोची समझी साजिश के तहत न केवल करवाई गई बल्कि उसको रोकने का भी प्रयास नहीं किया गया ।
शिक्षकों का जांच समिति के सामने मौखिक और लिखित रूप में स्पष्ट कहना था कि प्रभारी प्राचार्य द्वारा छात्र नेताओं को गलत जानकारी देकर भ्रमित किया गया और कुछ शिक्षकों के विरुद्ध जानबूझकर गलत आंकड़े पेश किया गया और उनकी छवि खराब करने की कोशिश की गई साथ ही इसी प्रकार की नीयत से कुछ चुनिंदा बच्चों के सामने छात्र नेताओं को ले जाया गया और उनसे गलत जानकारी दिलवाई गई , शिक्षकों ने अपने पत्र में भी इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया है कि उन्हें छात्र नेताओं से कहीं कोई गिला शिकवा नहीं है क्योंकि उन्हें जैसा प्रभारी प्राचार्य के द्वारा दिखाया गया वैसा ही भ्रम उनके मन में उत्पन्न हुआ और समस्त वस्तु स्थिति को जानते हुए भी प्रभारी प्राचार्य द्वारा शिक्षकों को साजिश रचकर बदनाम करवाने की कोशिश की गई जिसकी पोल जांच में खुल गई। इसमें सबसे बड़ा विषय स्कूल में मौजूद सीसीटीवी कैमरे का फुटेज था।
सेजेस बालक सरकंडा 32 कैमरा से लैस स्कूल है जिसका नियंत्रण प्राचार्य कक्ष से ही होता है:-
घटना के बाद वही की एक शिक्षिका ने लिखित में प्रभारी प्राचार्य से यह निवेदन किया था की सीसीटीवी कैमरे का फुटेज उन्हें अवलोकन हेतु दिखाया जाए, साथ ही उसे सुरक्षित करके भी रखा जाए लेकिन प्रभारी प्राचार्य द्वारा ऐसा नहीं किया गया, बल्कि 7 दिनों के स्टोरेज वाले फुटेज को जानबूझकर डिलीट होने दिया गया यही नहीं जांच समिति के सामने भी उन्होंने कैमरा बंद होने और फुटेज न होने की बात कही लेकिन जांचसमिति ने सीसीटीवी फुटेज के एक्सपर्ट को बुलाकर जब कैमरा चालू करवाया तो कैमरे चालू थे और बाकायदा रिकॉर्डिंग हो रही थी लेकिन स्टोरेज 7 दिन के क्षमता का होने के कारण घटना दिनांक का फुटेज ऑटोमेटिक डिलीट हो गया था जिसके कारण साक्ष्य जांच समिति को तो नहीं मिल पाया लेकिन यह तय हो गया कि जानबूझकर शिक्षिका द्वारा कार्यालय में लिखित आवेदन करने के बाद भी सीसीटीवी फुटेज को जानबूझकर न तो सुरक्षित रखा गया और न ही उन्हें दिखाया गया । स्कूल की ही एक महिला शिक्षक और पुरुष शिक्षक ने जांच से पहले ही कलेक्टर, एसपी और जिला शिक्षा अधिकारी को प्रभारी प्राचार्य के खिलाफ अपना लिखित आवेदन सौंपा है, जिसमें जातिगत दुर्भावना से व्यवहार करने, मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और जानबूझकर वीडियो तैयार कर वायरल करवाने का आरोप लगाया गया था जांच के दौरान दोनों शिक्षकों ने जांच समिति को इस बारे में मौखिक रूप से भी बताया और लिखित रूप में भी इसकी शिकायत की । जिन शिक्षको का नाम वीडियो में न पढ़ाने वाले शिक्षक के रूप में वायरल किया गया था। उसमें से एक शिक्षक 70% दिव्यांग है और साथ ही विगत 7 सालों से डायलिसिस पर चल रहा है जिसका डायलिसिस सप्ताह में तीन दिन होता है शासकीय नियमानुसार शिक्षक चाहे तो उसे घर बैठकर भी पूरा वेतन प्राप्त हो सकता है बावजूद इसके शिक्षक लगातार स्कूल में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन शिक्षा से कर रहा है और वीडियो में चुनिंदा बच्चों से उसी का नाम बोलवाया गया था जिसके बाद जांच के दौरान उसने अपने डेली डायरी को भी प्रस्तुत किया जिसे नियमित प्राचार्य के साथ-साथ स्वयं प्रभारी प्राचार्य ने भी सर्टिफाइड किया हैं। दो अन्य शिक्षकों ने भी प्रभारी प्राचार्य के व्यवहार को लेकर लिखित शिकायत की है ।
प्रभारी प्राचार्य पूर्णिमा मिश्रा का विवादों से रहा है गहरा नाता
प्रभारी प्राचार्य पूर्णिमा मिश्रा का इससे पहले भी विवादों से गहरा नाता रहा है, जिसकी वजह से पिछले साल उन्हें स्कूल से 10 महीने के लिए बाहर भी किया गया था। पिछले साल उन पर विधायक शैलेश पांडे के नाम पर बच्चों और अभिभावकों के नाम से फर्जी पत्र तैयार करवाने का आरोप लगा था और जब इस मामले की जानकारी पूर्व प्राचार्य जो अब रिटायर्ड हो चुकी है, को लगी तो उन्होंने छात्रों और अभिभावकों को बुलाकर पूछताछ की तब पता चला कि उन्होंने किसी प्रकार की कोई शिकायत की ही नहीं है और स्कूल से ही फर्जी पत्र तैयार कर भेजा गया था जिसके बाद उन्होंने पूरे मामले की शिकायत लिखित में डीईओ को की जिसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने मामले को सुलझाने के लिए शिक्षिका पूर्णिमा मिश्रा को सत्र के अंत तक के लिए शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लिंगियाडीह संलग्न कर दिया था। यही नहीं इससे पहले शिक्षिका पूर्णिमा मिश्रा जब महारानी लक्ष्मीबाई स्कूल में पदस्थ थी तब भी महिला प्राचार्य के साथ उनकी जबरदस्त लड़ाई हुई थी और इस मामले में उन्होंने जांच समिति के समक्ष आत्मदाह करने की धमकी दे दी थी जो न केवल अखबारों की सुर्खियां बनी बल्कि उस समय उन्हें उस स्कूल से हटकर बालक सरकंडा में पदस्थ किया गया था। अब एक बार फिर विवादित महिला शिक्षिका के ऊपर इसी प्रकार की कार्रवाई कलेक्टर द्वारा की गई है इसके बाद स्कूल के शिक्षकों ने राहत की सांस ली है ।