जशपुरनगर। भजन हो या लोक संगीत सभी में माटी की सुगंध हो तो ही इनका स्त्रोताओं के दिल से जुड़ाव हो पाता है और गायक को आत्म संतुष्टी मिलती है। यह कहना है झारखंड की प्रसिद्व भजन गायिका अर्चना गोस्वामी का। म्यूजिक रियलीटी शो सुर संग्राम से प्रसिद्व हुई यह गायिका शहर के श्रीहरि कीर्तन भवन में आयोजित गरबा महोत्सव में प्रस्तुती देने के लिए शहर पहुंची है। यहां मिडिया से चर्चा करते हुए अर्चना गोस्वामी ने बताया कि उनके सुर का सफर गांव में आयोजित एक भजन संध्या में आमंत्रित किए गए कलाकार के ना पहुंचने से अचानक ही शुरू हो हुआ था। उन्होनें बताया कि वे झारखंड के धनबाद जिले के कल्याणपुर जनपद के छोटे से गांव महौदा की रहने वाली है। यह गांव का वातावरण लड़कियों के आगे बढ़ने के अनुकुल नहीं था। लेकिन उनके पिता के सहयोग से उन्होनें भजन गाना शुरू किया था। सुर संग्राम के अपने सफर का अनुभव साझा करते हुए उन्होनें बताया कि उन्हें इस प्रतियोगिता में वाइल्ड कार्ड से प्रवेश मिला था। प्रतियोगिता के दौरान उन्हें कड़ी प्रतिस्पर्धा से गुजरना पड़ा। लेकिन इसके परिणाम में उन्हें सेकेंड रनर अप घोषित होने पर उन्हें थोड़ा निराशा हुई थी। भोजपुरी गानों में बढ़ रही फुहड़ता और अश्लीलता पर चर्चा करते हुए अर्चना ने कहा कि यह सब कम समय में अधिक लोकप्रियता बटोरने के चक्कर में गायक,गीतकार आयोजक करते हैं। उन्होनें कहा कि लोकगायिका का जो मापदंड प्रसिद्व गायिका शारदा सिन्हा ने तय किया है,वह उस रास्ते पर चलते हुए आगे बढ़ना चाहती है। बालीवुड में कदम रखने के संबंध में अर्चना कहना था कि हिंदीं सिनेमा में गायकों के लिए अपार संभावनाएं हैं। इसलिए वे भी इस रास्ते में आगे बढ़ने का प्रयास कर रही हैं। गायन के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने की चाह रखने वाले युवाओं को उन्होनें गायन के क्षेत्र में उतरने से पहले गीत-संगीत की अच्छी शिक्षा और साधना करने की सलाह दी।
छत्तीसगढ़ी लोकगीत गाना भी पसंद –
अर्चना गोस्वामी ने कहा कि भोजपुरी के साथ वह बांग्ला और असामी भाषा के गाने भी गाती है। छत्तीसगढ़ी लोकगीत के संबंध में चर्चा करते हुए उन्होनें कहा कि यहां के लोकगीतों में मिट्टी की महक अब भी मौजूद है। छत्तसीगढ़ी भजन और इसके संगीत में लोक संगीत की महक झलक मिलती है। इसलिए वे अपने स्टेज शो में छत्तीसगढ़ी जसगीत गाना पसंद करती है।