नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने एंटी-रैगिंग नियमों की अनदेखी पर सख्त रुख अपनाते हुए देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। यूजीसी ने कुल 89 संस्थानों को “एंटी-रैगिंग डिफॉल्टर्स” की सूची में डालते हुए उन्हें नियमों के उल्लंघन का दोषी ठहराया है। इस सूची में आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी खड़गपुर, आईआईएम रोहतक, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU), एम्स रायबरेली और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) जैसे प्रतिष्ठित संस्थान भी शामिल हैं।

क्या है मामला?

यूजीसी के अनुसार, इन सभी संस्थानों ने रैगिंग विरोधी विनियम, 2009 के तहत जरूरी छात्र और संस्थागत एंटी-रैगिंग अंडरटेकिंग अब तक जमा नहीं की है। यह अंडरटेकिंग छात्रों को दाखिले के समय और हर शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में भरनी होती है, जिसमें वे रैगिंग के खिलाफ अपनी सहमति और नियमों के पालन का वचन देते हैं। संस्थानों की ओर से यह सुनिश्चित करना होता है कि सभी छात्रों से अंडरटेकिंग ली गई है और इसका रिकॉर्ड रखा गया है।

इन नामों ने चौंकाया

यूजीसी की जारी डिफॉल्टर सूची में शामिल कुछ प्रमुख नाम हैं:

  • IIT बॉम्बे, IIT खड़गपुर, IIT हैदराबाद, IIT पलक्कड़
  • IIM बॉम्बे, IIM रोहतक, IIM तिरुचिरापल्ली
  • AIIMS रायबरेली
  • NID दिल्ली, आंध्र प्रदेश और हरियाणा
  • अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU), इग्नू, नालंदा विश्वविद्यालय
  • ISI कोलकाता, NIPER हैदराबाद

इन प्रतिष्ठानों का डिफॉल्टर घोषित होना उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गंभीर चिंता का विषय बन गया है।

30 दिन की चेतावनी: कार्रवाई तय

यूजीसी सचिव मनीष जोशी ने स्पष्ट किया है कि इन संस्थानों को पहले भी एडवाइजरी, हेल्पलाइन कॉल और डायरेक्ट इंटरवेंशन के ज़रिए सूचित किया गया था, लेकिन आवश्यक कदम नहीं उठाए गए। अब यूजीसी ने अंतिम चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि 30 दिनों के भीतर नियमों का पालन नहीं किया गया, तो इन संस्थानों की फंडिंग, रिसर्च प्रोजेक्ट्स, मान्यता और संबद्धता रद्द करने जैसी कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

क्यों जरूरी है यह अंडरटेकिंग?

रैगिंग विरोधी अंडरटेकिंग छात्रों की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है। यह नियम सुनिश्चित करता है कि किसी भी छात्र को मानसिक, शारीरिक या सामाजिक रूप से परेशान न किया जाए। यह प्रक्रिया सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि परिसर में भयमुक्त और सम्मानजनक माहौल बनाए रखने की नींव है।

शिक्षा जगत में मचा हलचल

यूजीसी की इस डिफॉल्टर सूची के सामने आने के बाद शिक्षा जगत में खलबली मच गई है। इन संस्थानों की साख और विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं, जो देश और विदेश के हजारों छात्रों के लिए उच्च शिक्षा का केंद्र रहे हैं।

अब देखना होगा कि अगामी 30 दिनों में ये संस्थान अपनी स्थिति सुधारते हैं या फिर यूजीसी की बड़ी कार्रवाई का सामना करते हैं।

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