2900 किलोमीटर नीचे से निकल रहा पदार्थ खोलेगा पृथ्वी के राज
पृथ्वी के गर्भ में क्या छिपा है, इसके विशेषज्ञ वैज्ञानिक अभी तक नहीं मिल पाए हैं। ऐसा कहा जाता है कि पृथ्वी के सबसे भीतरी भाग (परमाणु कोर कहा जाता है) के भीतर धातुएँ पिघली हुई और तरल पदार्थ के रूप में विद्यमान हैं। लेकिन अब दस्तावेजों को इस परत से जुड़ी एक और अहम जानकारी मिल गई है। 62 करोड़ साल पुरानी रीति-रिवाज का विश्लेषण किया गया है। ये अज्ञात चट्टानें अज्ञात विद्वानों से पता चला है कि धरती के अंदर से कुछ ऐसी हो रही हैं। कैलिफ़ोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड वुड्स होलशन ओशो ग्राफ़िक इंस्टीट्यूटशन के जियोकेमिस्ट्स ने संयुक्त रूप से इसका अध्ययन किया है। वैज्ञानिकों के तर्क के अनुसार, गैसोलीन ने आर्किटेक्चर के अध्ययन में पाया कि उनके अंदर हीलियम आइसोटोप माइक्रोस्कोप के रूप में पाए गए हैं। जो इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि पृथ्वी के सबसे अन्दर से हीलियम की मिलावट हो रही है। यह सर्च नेचर में प्रकाशित हुआ है।
इस अध्ययन के अध्ययन में प्राचीन लावा प्रवाह से जुड़ा है जिसमें हीलियम 3 आम तौर पर घने रूप में मौजूद होता है। डिटॉक्स ने कहा कि ऐसी संभावना है कि पृथ्वी के 2900 किमी के खंड में हीलियम के भंडार बड़े हैं। इस गैस को लेकर वैज्ञानिक हमेशा से आश्चर्यचकित रहे हैं और इस अध्ययन के प्रयोग की कोशिश की जा रही है कि यह पृथ्वी में कितनी मात्रा में मौजूद हो सकता है। 13.8 ट्रिलियन वर्ष पहले हुआ था। पृथ्वी ने इसका कुछ हिस्सा भी अलग लिया है, लेकिन उस समय पृथ्वी का निर्माण चल रहा था, इसलिए बाकी हिस्सा बाहर फेंक दिया गया था। अब तक इंसानी धरती के अंदर 12,265 मीटर तक ही खोदा जा सका है। यह आपकी ऊपरी परत भूपर्पटी से भी आगे नहीं बढ़ पाती है। इसलिए यदि पृथ्वी के भीतर से हीलियम का टुकड़ा हो रहा है तो यह निश्चित रूप से इसके निर्माण के समय की स्थिति बता सकता है। वैज्ञानिक इसी खोज में लगे हुए हैं।