हाल ही में अमेरिका के फ्लोरिडा में एक भारतीय मूल के ट्रक ड्राइवर के वजह से हुई दुर्घटना में कार सवार तीन लोगों की मौत हो गई। इस दुर्घटना के बाद अमेरिका की ट्रंप सरकार ने तत्काल प्रभाव से अप्रवासी ट्रक ड्राइवरों को कमर्शियल ड्राविंग लाइसेंस (CDL) जारी करने पर रोक लगा दी है। इस फैसले से लाखों विदेशी ट्रक ड्राइवरों का अमेरिका जाकर ट्रक चलाने का सपना अब अधूरा ही रह जाएगा।

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हर साल दुनियाभर से लाखों लोग साइंस, टेक्नोलॉजी और मेडिसीन जैसे क्षेत्रों में अपना करियर बनाने के लिए अमेरिका जाते हैं। अच्छा-खासा करियर बन गया तो कई लोग वहां कि नागरिकता ही ले लेते हैं। लेकिन आपको यह मालूम नहीं होगा कि लाखों लोग ट्रक ड्राइवर बनने के लिए भी अमेरिका जाते हैं। अब सवाल ये है कि आखिर ट्रक ड्राइविंग में ऐसा क्या रखा है जो लोग ये काम करने अमेरिका चले जाते हैं? ये काम तो अपने देश में रहकर भी किया जा सकता है, फिर इसके लिए अमेरिका जाने की क्या जरूरत है?

ये बात बनाती है अमेरिका में ड्रक ड्राइविंग को खास
दरअसल, अमेरिका में ट्रक चलाने को भारत के जैसे कोई छोटा-मोटा काम नहीं माना जाता। यहां ट्रक चलाने वालों को मोटी सैलरी तो मिलती ही है, साथ ही कई तरह की सुविधाएं भी मिलती है। अमेरिका में ट्रक चलाना किसी मोटी सैलरी वाली जॉब से कम नहीं है। इससे अलावा, सबसे खास बात ये है कि भारत के मुकाबले अमेरिका में ट्रक ड्राइवर का पेशा सम्मानजनक और बेहतर जिंदगी ऑफर करने वाला माना जाता है।

अमेरिका में ट्रक ड्राइवर की लाइफ इतनी सुरक्षित और सम्मानित है कि भारत से कई युवा लड़कियां वहां जाकर ट्रक चला रही हैं। नई उम्र की ये लड़कियां अमेरिकी हाईवे पर ड्राइविंग के अपने अनुभवों को यूट्यूब पर भी शेयर करती हैं।

ट्रक ड्राइवरों को मिलती है मोटी सैलरी
भारत में ट्रक ड्राइवरों की सैलरी 20-25 हजार रुपये ही होती है। इसकी तुलना अमेरिका से करें, तो अमेरिका में ट्रक ड्राइवरों की औसत तनख्वा 60,000 से 1,00,000 यूएस डॉलर (4.50-8.50 लाख रुपये) सालाना होती है। वहीं, ज्यादा एक्सपीरियंस वाले ड्राइवर साल के 2,00,000 डॉलर (लगभग 17.50 लाख रुपये) तक कमा लेते हैं।

कई ट्रक ड्राइवरों को कॉन्ट्रैक्ट, किलोमीटर, काम के घंटे या लोड के आधार पर भी भुगतान किया जाता है, जो कई रिपोर्ट्स के मुताबिक औसतन (18 से 28 डॉलर) 1,300 से 3,142 रुपये प्रति घंटे तक हो सकता है।

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ड्राइवरों की सुरक्षा के लिए नियम
अमेरिका में ट्रक ड्राइवरों के लिए काम करने के घंटों का सख्ती से पालन किया जाता है। अमेरिका में एक ट्रक ड्राइवर लगातार 8 घंटे से ज्यादा ट्रक नहीं चला सकता। 8 घंटे में उसे 30 मिनट का ब्रेक लेना पड़ता है। वहीं, हफ्ते में वह 60 घंटे ट्रक चला सकता है, यानी एक दिन में काम करने का समय 9 घंटे तक सीमित रखा गया है। इससे ज्यादा घंटे काम करवाने पर कंपनी पर कार्रवाई हो सकती है।

ट्रक में ही होती है आराम करने की सुविधा
अमेरिका में डॉग नोज वाले ट्रक काफी लोकप्रीय हैं। इनसे लंबे रूट पर बड़े कारगो या शिपमेंट को ट्रांसपोर्ट किया जाता है। इन ट्रकों की सबसे बड़ी खासियत होती है कि इनमें ड्राइवर के आराम करने के लिए एक अलग एयर कंडिशंड (AC) केबिन बना होता है। कई बड़े ट्रकों में तो टॉयलेट और किचन भी होता है। ट्रक ड्राइवर लंबे रूट में इनमें आराम करते हुए जाते हैं।

अमेरिका में लाखों में हैं विदेशी ट्रक ड्राइवर
अमेरिका में ट्रक ड्राइवरों की एक बड़ी संख्या सिख समुदाय से भी है। नॉर्थ अमेरिकन पंजाबी ट्रकिंग एसोसिएशन (NAPTA) के 2018 के आंकड़ों के मुताबिक, यूएस में 30,000 से ज्यादा सिख ट्रकिंग इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं। हालांकि, कई रिपोर्ट्स दावा करते हैं कि इनकी संख्या 1,80,000 तक है और इनमें से अधिकांश ट्रक ड्राइवर हैं। कई एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अमेरिका में विदेशी कमर्शियल ट्रक ड्राइवरों को वर्क विजा न देने की नीति से आने वाले समय में इस इंडस्ट्री में ट्रक ड्राइवरों की कमी हो सकती है।

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