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अमेरिका ने भारतीय आई ड्रॉप पर लगाई रोक, दवा कंपनी को 50 हजार ट्यूब वापस भेजीं

अमेरिका के फ्लोरिडा में रहने वाली 68 साल की एल्विरा ओलिवा की जिंदगी में पिछले साल अगस्त तक सब ठीक चल रहा था। इस उम्र में आंख की रोशनी कमजोर होना लाजिमी है। इसके लिए वो कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल करती थीं। आंखों को मॉइस्चराइज रखने के लिए उन्होंने डॉक्टर की सलाह पर एक आई ड्रॉप भी डालना शुरू कर दिया।कुछ दिनों बाद उनकी आंखों से पानी निकलना शुरू हो गया। आंखें लाल हो गई और उनमें खुजली भी होने लगी। आंखों में जलन के साथ धीरे-धीरे नजर कमजोर होने लगी। अगस्त महीने के शुरुआत से ये दिक्कत आनी शुरू हुई थी और महीने के आखिर तक ओलिवा की आंखों का कॉर्निया ट्रांसप्लांट कराने की नौबत आ गई। लेकिन संक्रमण इतना ज्यादा बढ़ चुका था कि सर्जरी के बाद भी सुधार नहीं हुआ। तब डॉक्टरों ने कहा कि उनकी आंख पूरी तरह निकालनी पड़ेगी।ओलिवा कहती हैं कि इसके बाद मेरी जिंदगी पहले की तरह नहीं रह गई। सब बदल गया। पढ़ना हो, खाना बनाना हो या ड्राइव करना ये सब काम वो पहले आसानी से कर पाती थी। लेकिन अब पहले की तरह इन रोजमर्रा के कामों को वो नहीं कर सकतीं।अमेरिका के सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक मार्च 2023 तक ओलिवा समेत कुल 68 लोग आंखों के इंफेक्शन के शिकार हो चुके हैं। अब तक 3 लोगों की मौत हो चुकी है, 8 लोग आंखों की रोशनी खो चुके हैं और कुछ लोगों का ऑपरेशन कर आंख ही निकालनी पड़ी है।पिछले महीने फरवरी में यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने भारत में बनी आई ड्रॉप के इस्तेमाल को लेकर चेतावनी जारी की। चेतावनी में कहा गया कि इन आई ड्रॉप की वजह से 3 लोगों की मौत और 8 लोग अंधे हो गए। वहीं, 4 मामलों में लोगों की आंखें तक निकालनी पड़ी है। इसके अलावा लोगों की आंखों में इंफेक्शन हो गया है। इसकी जद में आए कुल लोगों की संख्या 68 बताई गई।सवाल उठता है कि US में हुई घटना का भारत से क्या लेना देना है? तो जवाब है मैन्युफैक्चरिंग कनेक्शन। दरअसल, यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने बताया कि आंखों को मॉइस्चराइज रखने के लिए जिस आर्टिफिशियल टियर आई ड्रॉप का ये लोग इस्तेमाल कर रहे थे, वो भारत की ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी ने बनाया था। भारत में यह कंपनी चेन्नई से चलती है।US की एजेंसी ने बताया कि इस आउटब्रेक के पीछे आई ड्रॉप में बैक्टीरियल कंटैमिनेशन एक वजह हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है जब कोई कंपनी दवा बनाने में मैन्युफैक्चरिंग के सही मानकों का इस्तेमाल नहीं करती है।अमेरिका में सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक भारत में बने इन आई ड्रॉप में एक रेयर बैक्टीरिया पाया गया है। स्यूडोमोनास एरुगिनोसा नाम का यह बैक्टीरिया ड्रग रेसिस्टेंट है। यानी इस पर ज्यादातर दवाएं काम नहीं करती हैं। जिससे लोगों की आंखों में इंफेक्शन से लेकर उनकी मौत तक हो जा रही है।

CDC के मुताबिक अब तक जितने भी आंखों के इंफेक्शन से संबंधिक केस सामने आए हैं उनमें ज्यादातर लोग भारत में बनी आई ड्रॉप का इस्तेमाल कर रहे थे। CDC के मुताबिक 21 मार्च तक अमेरिका के 16 राज्यों में ऐसे 68 केस सामने आ चुके हैं।यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने भारत से आई ड्रॉप के इंपोर्ट पर रोक लगा दी। रोक लगाते हुए एजेंसी ने साफ किया कि उसने अभी भारत में ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर के प्लांट का जायजा नहीं लिया है, लेकिन वो जल्द ही वहां जाएगी।20 फरवरी 2023 को एजेंसी भारत में ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर के प्लांट पर इंस्पेक्शन के लिए पहुंची। जांच में एजेंसी ने पाया कि कंपनी मैन्युफैक्चरिंग में तय मानकों का इस्तेमाल नहीं कर रही है। क्लीन-रूम के ऑपरेटर्स अपने काम के लिए क्वालिफाइड नहीं हैं। मशीनों पर ग्रीस की तरह चिपचिपा पदार्थ लगा हुआ है। शीशी को भरने के लिए जो फिलिंग मशीन है वो साफ नहीं है।जांच के बाद FDA ने उसी फैक्ट्री में बन रहे डेल्समा फार्मा के एक और आर्टिफिशियल टियर आई ड्रॉप के अमेरिका में निर्यात पर बैन लगा दिया। 21 मार्च को FDA ने अपनी वेबसाइट पर चेतावनी जारी करते हुए कहा कि जो लोग भी इन दोनों कंपनियों के आई ड्रॉप इस्तेमाल कर रहे हैं और उन्हें आंख में किसी तरह का इंफेक्शन हो रहा है, तो वो जल्द से जल्द उसकी जांच कराएं। इस कार्रवाई के बाद दोनों ही फार्मा कंपनियों ने इन आई ड्रॉप्स का प्रोडक्शन रोक दिया।रिपोर्ट्स के मुताबिक चेन्नई बेस्ड फार्मा कंपनी पर लगे आरोपों को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय और तमिलनाडु ड्रग कंट्रोलर ने फरवरी में सैंपल का टेस्ट किया। टेस्ट के लिए सैंपल भी उसी बैच से लिया गया जो अमेरिका में एक्सपोर्ट किया गया था। अब इस टेस्ट के रिजल्ट में पाया गया है कि आई ड्रॉप मानक के अनुसार हैं। हालांकि, सावधानी बरतते हुए अब भी इन फार्मा कंपनियों में आई ड्रॉप के प्रोडक्शन को अनुमति नहीं दी गई है।इससे पहले तमिलनाडु के ड्रग रेगुलेटर विभाग ने भी अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि ग्लोबल फार्मा ने जो आई ड्रॉप बनाया है, उसमें ऐसे किसी बैक्टीरिया का कंटैमिनेशन नहीं पाया गया है।

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