छत्तीसगढ़

गर्भाशय बलून टैम्पोनैड: बीजापुर में पहली बार एनीमिया से पीड़ित महिला की हुई डिलीवरी, इस विधि का हुआ उपयोग

रक्त अल्पता और प्रसव के बाद हो रहे अत्यधिक रक्त स्राव और एनीमिया से जूझते मरीज का आंतरिक टैम्पोनैड विधि से जिला अस्पताल बीजापुर में उपचार किया गया। जिसके बाद स्वस्थ रूप में मरीज को डिस्चार्ज किया गया।

जिला अस्पताल के पेशेंट केयर के स्तर में गिरावट को लेकर स्वास्थ्य सचिव ने भी गहरी नाराजगी जताई थी। हाल में ही स्त्रीरोग विशेषज्ञ सहित अन्य विभागों में चिकित्सकों की हुई नियुक्तियों के बाद से जिला अस्पताल में मरीज उपचार में गुणात्मक सुधार होता नजर आ रहा है।

जिला अस्पताल के अधीक्षक डॉ. यशवंत ध्रुव ने बताया कि मरीज को जुड़वां बच्चों प्रसव के बाद एटोनिक गार्भाशय और ट्रॉमाटिक पोस्टपार्टम हेमरेज और गंभीर एनीमिया के साथ भर्ती किया गया था।

स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. सचिन पापरीकर और डॉ. गणेश बारगेजे की देखरेख में पीपीएच प्रबंधन सहित मरीज को गंभीर एनीमिया से बाहर लाया गया और स्वस्थ हालत में मरीज का डिस्चार्ज किया गया है। उपचार कर रहे चिकित्सकों ने बताया कि इस रोगी में पीपीएच प्रबंधन के लिए आंतरिक टैम्पोनैड का उपयोग किया गया था। गंभीर और अति जोखिम पूर्ण आंतरिक पीपीएच प्रबंधन के लिए इस विधि का उपयोग जिला अस्पताल बीजापुर में संभवत: पहली बार किया गया है।

गर्भाशय का रक्तरसाव रोकने के लिए इस विधि का इस्तमाल किया जाता है। इसे गर्भाशय बलून टैम्पोनैड कहा जाता है। यह उपचार पहले बीजापुर में नहीं होता था। यहां पहली बार इस विधि से उपचार किया गया हैं। बताया जा रहा है क बीजापुर में एनीमिया पीड़ित महिला की डिलीवरी करवाई गई यह बड़ी बात है । इस तरह के मामलों में पहले मरीज को जगदलपुर रेफर कर दिया जाता था। बीजापुर से जगदलपुर से की दूरी 165 किमी है।

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