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दिग्गज निवेशक मोबियस का मानना, MODI दुनिया के बड़े शांतिदूतों में से एक, नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार…

नई दिल्ली। दिग्गज निवेशक मार्क मोबियस का मानना ​​है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी( Narendra Mod) iमें दुनिया के सबसे बड़े शांतिदूतों में से एक बनने की क्षमता है. उन्होंने कहा कि वैश्विक मंच पर राजनीतिक विभाजन को पाटने की अपनी क्षमता के लिए पीएम मोदी नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं. 88 वर्षीय मोबियस ने पीएम मोदी की कूटनीतिक सूझबूझ की प्रशंसा की.

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मोबियस ने पीएम मोदी को एक महान नेता होने के साथ-साथ एक महान इंसान भी बताते हुए कहा कि उनकी विविध राजनीतिक विचारों से जुड़ने की क्षमता उन्हें शांति के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में स्थापित करती है. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रूप से बढ़ेगी, क्योंकि वे वैश्विक स्तर पर राजनीतिक स्पेक्ट्रम के सभी पक्षों के साथ बातचीत करने में सक्षम हैं. वे आगे चलकर एक बहुत ही महत्वपूर्ण शांतिदूत बन सकते हैं.”

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पहले उभरते बाजारों के फंड की शुरुआत करने के लिए दुनियाभर में जाने जाने वाले मोबियस, ने सुझाव देने से पीछे नहीं हटे कि पीएम मोदी नोबेल शांति पुरस्कार के योग्य हैं. उनके अनुसार, पीएम मोदी “वास्तव में लगभग हर चीज के लिए सक्षम हैं” और उन्होंने खुद को इस वैश्विक सम्मान के योग्य साबित किया है.

भारत के कूटनीतिक रुख पर विचार करते हुए मोबियस ने विश्व मंच पर एक निष्पक्ष और तटस्थ खिलाड़ी के रूप में देश की अनूठी स्थिति की ओर इशारा किया. मोबियस ने कहा, “भारत ने तटस्थ रहने और सभी के प्रति निष्पक्ष रहने की अपनी क्षमता दिखाई है, और देश शांति के लिए मध्यस्थ के रूप में कार्य करने की बहुत अच्छी स्थिति में है.” वैश्विक मामलों में संभावित प्रमुख मध्यस्थ के रूप में पीएम मोदी की योग्यता को रेखांकित करते हुए कहा.

MODI
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भारत की तटस्थता, विशेष रूप से रूस-यूक्रेन संघर्ष में, पीएम मोदी को लगातार शांति और स्थिरता का आह्वान करने की अनुमति देती है. अगस्त में यूक्रेन की उनकी यात्रा, 1992 में राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा, युद्धग्रस्त क्षेत्रों में संवाद और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को पुष्ट करती है.

पीएम मोदी के साथ साझा दृष्टिकोण के बारे में पूछे जाने पर मोबियस ने कहा, “हमारे बीच जो आम बातें हैं, उनमें आगे की ओर देखना, पीछे की ओर नहीं देखना शामिल है. इसके अलावा वैश्विक स्तर पर जो हो रहा है, उसके बारे में अधिक आशावादी होना है.”

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