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रामनवमी पर हिंसा, 31 मार्च को शिबपुर के काजीपारा में भीड़ ने रिहायशी इमारत पर पत्थर और बोतलें फेंकी

पश्चिम बंगाल के हावड़ा में 30 मार्च को रामनवमी जुलूस के दौरान हिंसा हुई। उस जगह अब पुलिस ड्रोन से चप्पे-चप्पे पर नजर बनाए हुए है। CCTV फुटेज खंगाले जा रहे हैं। लोगों से पूछताछ की जा रही है। शिबपुर का बाजार खुल चुका है, लेकिन रोज की तरह मार्केट में भीड़ नहीं है। लगातार दो दिन हुई हिंसा के बाद से लोगों में डर है कि कहीं फिर पत्थरबाजी शुरू न हो जाए।शनिवार-रविवार को मैं हावड़ा में आने वाले शिबपुर पहुंचा तो लोग डरे हुए नजर आए। स्थानीय लोगों से बात की, तो दोनों पक्षों ने अलग दावे किए। हिंदू कहते हैं कि जिन घरों में मुस्लिम रहते हैं, वहां से पत्थरबाजी शुरू हुई।वहीं मुस्लिमों को कहना है, जुलूस में हजारों की भीड़ हमारे एरिया में घुसी। वो लोग हाथों में हथियार लहरा रहे थे। हमारी कम्युनिटी के खिलाफ नारे लगा रहे थे। डीजे पर भी ऐसे ही गाने बज रहे थे, इसलिए माहौल खराब हो गया और हिंसा शुरू हो गई।31 मार्च को शिबपुर के काजीपारा में भीड़ ने रिहायशी बिल्डिंगों पर पत्थर और बोतलें फेंकीं। स्थानीय लोगों के मुताबिक, हमलावरों की संख्या ज्यादा होने की वजह से पुलिस भी यहां से हट गई थी।बंगाल के हावड़ा और नॉर्थ दिनाजपुर जिले में गुरुवार को विश्व हिंदू परिषद के रामनवमी जुलूस के दौरान दो समुदायों के बीच हिंसा हुई थी। 24 घंटे बाद हावड़ा के शिबपुर में दोबारा पत्थरबाजी हुई। इसमें तीन पुलिसवालों समेत करीब 15 लोग घायल हुए। 10 से ज्यादा वाहनों को जला दिया गया। 20 से ज्यादा दुकानों में तोड़फोड़ की गई।हावड़ा के पुलिस कमिश्नर प्रवीण त्रिपाठी के मुताबिक, हिंसा में 2 केस दर्ज कर 38 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। संदिग्ध लोगों पर नजर रखी जा रही है। एरिया वाइज पुलिस पेट्रोलिंग और ड्रोन से निगरानी की जा रही है। सरकार ने CID को जांच का जिम्मा सौंपा है।एक प्रोफेसर ने नाम न लिखने की गुजारिश पर कहा कि, ‘इस हिंसा के पीछे गुड्‌डू शेख नाम का शख्स है। पहले रैली में शामिल लोगों ने पथराव किया था। इस एरिया में हर कोई जानता है कि गुड्‌डू शेख ने इसका बदला लेने के लिए लोगों को इकट्‌ठा किया। वो यहां ऑटो यूनियन को कंट्रोल करता है। एक बड़े नेता का करीबी है। यहां पहले भी ऐसी हिंसा हो चुकी है, तो सरकार इस बार इतनी लापरवाह क्यों थी।’जुलूस के दौरान आगजनी हुई और वाहनों में तोड़फोड़ की गई। उस वक्त पुलिस भी मौजूद थी, लेकिन भीड़ नहीं रुकी।रविवार को आसमान में पुलिस के ड्रोन उड़ते दिखे। नगर निगम के लोग सड़क पर पड़े पत्थरों और ईंट के टुकड़ों को साफ कर रहे थे। हिंसा वाले इलाके में टूटे हुए बोर्ड, जले टायर, दरवाजों पर बने ईंट-पत्थर के निशान अब भी नजर आ रहे हैं। हिंसा के डर से ज्यादातर लोग घरों से नहीं निकल रहे।पथराव वाली जगह पर अब सन्नाटा है, सड़क पर पत्थर पड़े हैं। हिंसा के बाद से ज्यादातर दुकानें बंद हैं।चाय की दुकान पर खड़े लोगों से मैंने हिंसा पर बात की तो बोले, देखिए आज आसमान में ड्रोन्स उड़ते दिख रहे हैं, यदि यह बंदोबस्त दो दिन पहले जुलूस के दौरान रहता, तो क्या ऐसी घटना होती।मैं मोबाइल से ड्रोन के शॉट लेने लगा, तो वहां खड़े एक शख्स ने टोकते हुए कहा कि हम नहीं जानते कि आप पुलिस से हैं या किसी पार्टी के एजेंट हैं। पुलिस पहले ही कह चुकी है कि इस एरिया में शूटिंग नहीं करनी है। सोशल मीडिया पर कुछ भी अपलोड करने की मनाही है। यहां धारा-144 लगी है, इसलिए आप हमारी दुकान पर खड़े होकर कुछ शूट मत कीजिए।यहां के एसी मार्केट में पहुंचने पर ऑटो रिक्शा स्टैंड पर कुछ लोग खड़े दिखाई दिए। उन्हीं में से एक मलिक शेख ने कहा कि, ‘आप यह क्यों पूछ रहे हैं कि हिंसा का जिम्मेदार कौन है। हर कोई जानता है कि पुलिस इसकी जिम्मेदार है। CM ममता बनर्जी ने दो दिन पहले ही कहा था कि जो भी राम नवमी पर जुलूस निकाल रहा है, उन्हें मुस्लिम एरिया में जाने से बचना चाहिए तो फिर पुलिस ने लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने के लिए पूरे इंतजाम क्यों नहीं किए।’‘शायद राज्य सरकार का भी अब लोकल पुलिस पर भरोसा नहीं है, इसलिए जांच का जिम्मा CID को दे दिया है। पुलिस जुलूस में लोगों को हथियार के साथ कैसे अलाऊ कर सकती है। मैंने देखा कि जुलूस में कई बाहरी लोग थे। हम उन्हें नहीं जानते। जुलूस शाम को रोजा खोलने के वक्त ही क्यों निकाला गया। पिछले साल भी लगभग इसी वक्त पर हिंसा हुई थी, पुलिस ने उससे भी कुछ नहीं सीखा।’शिबपुर में ही रहने वाले शहनवाज बोले, जुलूस में शामिल लोग हथियार घुमा रहे थे। हमारी कम्युनिटी के खिलाफ नारे लगा रहे थे, इसलिए हिंसा हो गई।जुलूस के कुछ वीडियो सामने आए थे, जिनमें लड़के हाथों में पिस्टल लिए हुए हैं। ये वीडियो किसने बनाए और इनमें कौन दिख रहा है, अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।यहां से मैं शिबपुर की उस हाईराइज बिल्डिंग में पहुंचा, जहां भीड़ ने हमला किया था। लोग बिल्डिंग की फोटो ले रहे थे। बाहर गार्ड ने मुझे टोकते हुए कहा कि आउटसाइडर्स की एंट्री नहीं है। आप दोस्त या रिलेटिव हैं, तब भी अंदर नहीं जा सकते। मैं रोड पर ही खड़ा रहा।वहीं मार्केट से घर लौट रही एक महिला से बात हुई। वो बोलीं, ‘18 से 25 साल की उम्र के लड़के दिख रहे थे। वे एकदम से हमारी सोसाइटी में घुसने लगे। हम लोग बहुत घबरा गए थे। वो लोग खिड़की-दरवाजों पर पत्थर फेंकने लगे। मुझे नहीं पता कि इतनी भीड़ एकदम से कहां से आई। किसने इन्हें इकट्‌ठा किया। हमला हुआ तब ज्यादातर मेल मेंबर्स बाहर थे। घरों में बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे थे। हम बहुत डर गए थे।’तारीख: 30 मार्च, जगह: काजीपारा एरिया, यहां की पीएम बस्ती में जुलूस को निशाना बनाकर कुछ लोगों ने पत्थर फेंके थे। इसके बाद जुलूस में शामिल लोगों ने सड़क किनारे लगे स्टॉल में आग लगा दी।गुड्‌डू शेख का नाम लेने वाले प्रोफेसर कहते हैं, ‘शिबपुर की डेमोग्राफी तेजी से बदल रही है। पिछले दो दशकों में बहुत बदलाव हुए हैं। यहां के हिंदू जमीनें बेच रहे हैं। अब माइनॉरिटी कम्युनिटी मेजॉरिटी में बदल चुकी है। इस एरिया में करीब 60% मुस्लिम आबादी है। पहले यहां जूट की मिल्स थीं, जो अब बंद हो चुकी हैं। बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें खड़ी हो रही हैं।’पॉलिटिकल एक्सपर्ट और प्रोफेसर नृसिंह प्रसाद भादुड़ी कहते हैं कि ‘बीते कुछ साल में BJP, VHP और हिंदू संगठनों ने बड़े लेवल पर रामनवमी मनाना शुरू किया। शायद BJP इसके जरिए हिंदू वोटों को एकजुट करने की कोशिश में है। बंगाल में राम के बजाय श्रीकृष्ण की पूजा ज्यादा होती रही है, ऐसा श्री चैतन्यदेव के सोशल मूवमेंट की वजह से हुआ।शिबपुर में लोगों का सवाल है कि जब CM ने खुद कहा था कि मुस्लिम एरिया में जुलूस निकालने से बचें, इसके बावजूद पुलिस ने कोई स्टेप क्यों नहीं लिया। काजीपाड़ा और फट्‌टकरोड एरिया के तमाम लोग हिंसा की वजह से घर छोड़कर जा चुके हैं।BJP की सांसद लॉकेट चटर्जी ने CM ममता बनर्जी से होम मिनिस्टर की पोस्ट छोड़ने की मांग की है। हालांकि ममता बनर्जी ने जुलूस में हथियार लेकर लोगों के शामिल होने और यात्रा का रूट बदलने पर सवाल उठाए हैं।वहीं, BJP बंगाल के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार का कहना है कि, ‘प्रशासन ने हथियार के साथ जुलूस को इजाजत क्यों दी। जुलूस शांति से निकल रहा था, तो एक विशेष समुदाय ने छतों से उस पर पत्थर क्यों बरसाए। CM की स्पीच ने एरिया में हिंसा और तनाव को और ज्यादा बढ़ा दिया।’अपोजिशन लीडर शुभेंदु अधिकारी का कहना है कि हमने पहले ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने की मांग की थी, ताकि इस तरह का उपद्रव न हो। TMC का ही नेता शमीम अहमद इसके लिए जिम्मेदार है।’हावड़ा जिले के VHP संयोजक इंद्र देव दुबे ने मीडिया से कहा कि, ‘हम 10 साल से रैली निकाल रहे हैं। हमने 3 मार्च को ही पुलिस को अनुमति के लिए पत्र भेजा था। बीई से शुरू हुई रैली के लिए 21 मार्च को अनुमति मिली थी।”छह किमी की दूरी तय करते हुए हम पीएम बस्ती पहुंच गए थे। पुलिस से हमने पीएम बस्ती में सिक्योरिटी देने की रिक्वेस्ट की थी, क्योंकि यह माइनॉरिटी कम्युनिटी वाला इलाका है। हमें पहले ही डर था कि यहां हिंसा हो सकती है, लेकिन पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया।हावड़ा के बाद हुगली में भी आगजनी और हिंसा हुई है। जिले के रिशरा में रविवार को BJP, VHP और दूसरे हिंदूवादी संगठनों ने शोभायात्रा निकाली थी। इसी दौरान दो गुटों ने एक-दूसरे पर पथराव किया। दुकानों में तोड़फोड़ की गई। BJP का दावा है कि हमले में विधायक बिमान घोष घायल हुए हैं। पुलिस ने इस मामले में 12 लोगों को अरेस्ट किया है।

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