देश

Weather: मौसम चक्र से वैज्ञानिक भी चकराए, पश्चिमी विक्षोभ के अधिक आने से बादलों में बिखराव

करीब डेढ़ दशक के बाद मौसम का बदला मिजाज और बादलों का बिखराव देख वैज्ञानिक भी चकरा गए हैं। इसके प्रभाव ने मार्च और अप्रैल के प्रथम सप्ताह के तापमान को सामान्य से कम कर दिया है। दरअसल, भूमध्यीय सागर से ईराक, ईरान और अफगानिस्तान आदि पश्चिमी देशों से होते हुए पश्चिमी हवाएं (पश्चिमी विक्षोभ) पहाड़ों और समुद्रों से गुजरते हुए जो नमी लेकर भारत में पहुंची हैं, इससे इस बार अनुमान से अधिक पश्चिमी विक्षोभ देखने को मिल रहे हैं।

इन नमीयुक्त पछुआ हवाओं ने देश के कई राज्यों के मौसम चक्र को उलट पुलट कर दिया है। कौन से बादल कहां बरसेंगे और कहां नहीं, इसका दीर्घकालिक अनुमान वैज्ञानिकों के लिए भी मुश्किल हो रहा है। फिलहाल बुधवार की शाम को कुछ बादलवाई रह सकती है, लेकिन इसके करीब सप्ताहभर तक मौसम खुश्क रहेगा और तापमान में बढ़ोत्तरी होगी।

राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) की जिला कृषि मौसम सेवा के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ.योगेश कुमार ने बताया कि यूं तो पश्चिमी विक्षोभ हर माह आते हैं, जिनकी संख्या दो से चार तक होती है, लेकिन ऐसा लंबे समय बाद हुआ कि मार्च में इनकी संख्या दोगुनी हो गई। पश्चिम देशों से आने वाली हवाएं नमी लेकर भारत में घुसी, जिसके कारण पाकिस्तान के आसपास कम दबाव वाला क्षेत्र उत्पन्न हो गया। इन हवाओं को पहाड़ों में बर्फबारी करनी थी, लेकिन इन हवाओं ने मैदानी क्षेत्रों को भी प्रभावित किया है। इसी पश्चिमी गड़बड़ी के कारण वैज्ञानिक भी चकरा गए हैं। बादलों के बिखरने से यह कब कहां बरसेंगे, इसका पूर्वानुमान लगाना मुश्किल हो रहा है।

Ranchi One Way (1)
Raipur 10- (2)
previous arrow
next arrow

बारिश का था अनुमान पर भटक गए बादल
इससे पहले सोमवार की सुबह करनाल में बारिश का अनुमान था, लेकिन भटके बादल निचली नमीयुक्त हवाओं के प्रभाव में आते ही कहीं और चले गए, जिससे बारिश नहीं हुई। दिनभर और मध्यरात्रि तक मौसम साफ रहने के बाद मंगलवार को तड़के बारिश शुरू हो गई। फिलहाल परिवर्तनशील मौसम के बाद आगामी एक सप्ताह तक मौसम साफ रहने की संभावना है, जिससे किसानों द्वारा गेहूं की कटाई जोरशोर से शुरू हो सकती है।

इससे पहले 2009 में दिखी थी बादलों के बिखराव की स्थिति
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कृषि मौसम विभागाध्यक्ष डॉ.मदन खीचड़ ने बताया कि इस समय बादलों के बिखराव की जो स्थिति बनी है, वह इससे पहले 2009 में दिखी थी। भूमध्य सागर से ईरान, ईराक, अफगानिस्तान आदि पश्चिम से आने वाली हवाएं नमी लेकर भारत पहुंची हैं, जिनसे ये स्थिति पैदा हुई है।

पश्चिमी विक्षोभ मानसून जाने के बाद सक्रिय
18 व 19 मार्च को बारिश हुई, इसके बाद अप्रैल में भी बारिश हुई। जिसके कारण मार्च व अप्रैल के प्रथम सप्ताह का तापमान सामान्य से कम रहा, यानि इन दिनों 34 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान रहना चाहिए था, लेकिन 29 से 30 डिग्री सेल्सियस तक बना हुआ है। दरअसल पश्चिमी विक्षोभ का मानसून के दौरान तो उतना असर नहीं दिखता, लेकिन मानसून जाने के बाद सक्रिय होते हैं। इस बार ये पश्चिमी विक्षोभ पहाड़ों की ओर चले गए, हरियाणा में उतना प्रभाव नहीं रहा लेकिन कई जिलों में आंशिक प्रभाव दिखा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page