रायपुर, 03 नवंबर 2025।
छत्तीसगढ़ के जैव विविधता वाले क्षेत्रों में निजी कंपनियों को कोयला खदानों की नीलामी के फैसले पर कांग्रेस ने केंद्र और राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि लेमरू एलीफेंट रिजर्व और जंगली जानवरों के प्राकृतिक रहवास में कमर्शियल माइनिंग की अनुमति देना सरकार की कॉर्पोरेट परस्त मानसिकता को दर्शाता है।
वर्मा ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने अपने पूंजीपति मित्रों के मुनाफे के लिए कोयला खदानों की नीलामी का रास्ता खोला है। अब तक 12 चरणों में नीलामी पूरी की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि सरकार ने कोल बेयरिंग एक्ट और वन अधिकार अधिनियम में संशोधन कर आदिवासी हितों को कमजोर किया है, ताकि निजी पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाया जा सके।
उन्होंने कहा कि कोल माइंस स्पेशल प्रोविज़न एक्ट (CMSP) और माइंस एंड मिनरल्स डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन एक्ट (MMDR) के तहत अलग-अलग नीलामियां की जा रही हैं। मोदी सरकार के कार्यकाल में कमर्शियल माइनिंग के लिए निजी क्षेत्र को खुला प्रवेश दिया गया है, जिससे सरकारी उपक्रमों जैसे कोल इंडिया और एसईसीएल की भूमिका को कमजोर किया जा रहा है।
वर्मा ने बताया कि रायगढ़ जिले के नवागांव ईस्ट और नवागांव वेस्ट कोल ब्लॉक की नीलामी 24 से 29 नवंबर के बीच ई-ऑक्शन के माध्यम से की जानी है। देश के कुल 41 में से 15 नए कोल ब्लॉक छत्तीसगढ़ में नीलाम किए जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि “चंद पूंजीपतियों के लाभ के लिए सरकार लाखों पेड़ काटकर हरे-भरे जंगलों को उजाड़ना चाहती है।”
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता ने यह भी कहा कि रायगढ़ जिले के जिन चार कोल ब्लॉकों की नीलामी हो रही है, वे लेमरू एलीफेंट रिजर्व और धरमजयगढ़ क्षेत्र में स्थित हैं, जो हाथी प्रभावित क्षेत्र हैं। सरकार का यह कदम वन्यजीव संरक्षण के खिलाफ है।
वर्मा ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार बनते ही छत्तीसगढ़ के खनिज संसाधनों की लूट तेज हो गई है। “मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण से पहले ही हसदेव अरण्य के जंगल काटे गए, रायगढ़ के तमनार क्षेत्र की वन भूमि अडानी को सौंप दी गई, बीजापुर में बिना अनुमति के जंगल काटे गए और बैलाडीला-कांकेर में खदानें निजी हाथों में दी गईं,” उन्होंने कहा।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अब सरकार सेंट्रल इंडिया के फेफड़े कहे जाने वाले हसदेव अरण्य और तमोर पिगला के क्षेत्रों में 15 नई कोयला खदानें निजी पूंजीपतियों को सौंपने जा रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने यह निर्णय वापस नहीं लिया, तो कांग्रेस जन आंदोलन खड़ा करेगी और जंगलों को बचाने की लड़ाई सड़क से सदन तक लड़ेगी।

