रायपुर : छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित अनवर ढेबर प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट में दायर जमानत याचिका पर सुनवाई की तारीख तय हो गई है। यह मामला अनवर ढेबर बनाम राज्य सरकार शीर्षक से दर्ज है और डायरी नंबर 55730/2025 के तहत 25 सितंबर 2025 को दाखिल हुआ था। फिलहाल यह प्रकरण लंबित है और 6 अक्टूबर 2025 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एक से भी कई ज्यादा बार अनवर ढेबर की जमानत ख़ारिज की गई है। इस बार अनवर ढेबर को जमानत मिलने की संभावना बनी हुई है।
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सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर दर्ज विवरण के अनुसार, यह मामला सेक्शन II-C के अंतर्गत दाखिल किया गया है। इसकी वर्तमान स्थिति “Pending (Motion Hearing [Bail Matters])” के रूप में अंकित है। यानी कि यह सुनवाई विशेष रूप से जमानत से संबंधित है। अदालत ने इस याचिका को अगले हफ्ते सुनवाई के लिए तय कर दिया है।
खंडपीठ के सामने होगी सुनवाई
मामला 6 अक्टूबर 2025 को न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ के समक्ष पेश होगा। कंप्यूटर जनरेटेड तारीख के अनुसार उसी दिन इसकी सुनवाई सुनिश्चित की गई है। यह मामला श्रेणी 1511RB – क्रिमिनल लॉ के तहत आता है। इस श्रेणी में वे प्रकरण आते हैं जो नियमित जमानत आवेदन या सजा स्थगन (suspension of sentence) से जुड़े होते हैं। इससे स्पष्ट है कि अनवर ढेबर की यह याचिका सीधे तौर पर जमानत से संबंधित है।
पक्षकार और अधिवक्ता
मामले में याचिकाकर्ता अनवर ढेबर हैं जबकि प्रतिवादी राज्य सरकार है। ढेबर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता मलक मनिष भट्ट पक्ष रखेंगे, वहीं राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता अपूर्व शुक्ला अदालत में पेश होंगे। दोनों पक्षों की दलीलों के बाद खंडपीठ यह तय करेगी कि जमानत याचिका पर क्या आदेश दिया जाए।
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राजनीतिक और कानूनी हलचल
अनवर ढेबर का नाम छत्तीसगढ़ की राजनीति और कई बड़े आर्थिक मामलों से लंबे समय से जुड़ा रहा है। उनके खिलाफ हुई कार्रवाइयों और गिरफ्तारी ने राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को काफी प्रभावित किया है। यही कारण है कि उनकी जमानत याचिका पर होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई केवल कानूनी नहीं बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम मानी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि अनवर ढेबर को जमानत मिलती है तो इसका असर आगामी चुनावों और राज्य की राजनीतिक गतिविधियों पर पड़ सकता है। वहीं, यदि याचिका खारिज होती है तो राज्य सरकार को मजबूती मिलेगी।
विपक्षी खेमे पर दबाव बढ़ेगा। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि जमानत याचिका पर अदालत का निर्णय कई पहलुओं पर निर्भर करेगा। इसमें अभियोजन द्वारा प्रस्तुत सबूत, जांच की प्रगति और आरोपी की भूमिका जैसे बिंदु महत्वपूर्ण होंगे। सुप्रीम कोर्ट आमतौर पर जमानत देने या न देने का निर्णय आरोपी की आचरण और जांच पर असर के आधार पर करता है। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ 6 अक्टूबर को दोनों पक्षों की दलीलें सुनेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत किस दिशा में जाती है। यह सुनवाई न केवल अनवर ढेबर के लिए बल्कि राज्य की राजनीतिक स्थिति के लिए भी अहम होगी।

