सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ लग रहा मलमास
पंचांग के अनुसार 15 दिसंबर की सुबह 7:20 बजे सूर्य वृश्चिक से धनु राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही धनुर्मास यानी मलमास की शुरुआत हो जाएगी। इस एक महीने तक विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, यज्ञोपवित जैसे मांगलिक कार्य पूरी तरह वर्जित रहेंगे। 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन सूर्य के उत्तरायण होते ही शुभ कार्यों पर लगी रोक समाप्त होगी।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि सूर्य हर माह राशि परिवर्तन करते हैं, जिसे संक्रांति कहा जाता है। 15 दिसंबर को होने वाली सूर्य की धनु संक्रांति विशेष मानी जाती है क्योंकि धनु राशि के स्वामी बृहस्पति हैं और सूर्य-बृहस्पति का संबंध अत्यंत शुभ माना गया है। इस दौरान वैदिक व धार्मिक कार्य करने से उत्तम फल प्राप्त होते हैं।
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धनुर्मास में धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक भगवत पारायण, व्रत, उपवास, जप-तप करने से रोग, दोष और कष्ट दूर होते हैं। इस अवधि में आत्मविश्वास बढ़ता है, पापों से मुक्ति मिलती है और भाग्य में सुधार होता है।
अग्नि पुराण में इस माह को अत्यंत पवित्र बताया गया है। मान्यता है कि धनुर्मास में धार्मिक साधना करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष—चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है। 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा या पूजा इस समय विशेष फलदायी मानी गई है।
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20 नवंबर को शनिश्चरी अमावस्या का संयोग
पौष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या इस वर्ष 20 नवंबर को शनिवार होने से शनिश्चरी अमावस्या का विशेष योग बनेगा। इस दिन पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, जलदान और ब्राह्मणों को अन्न-वास्रदान अत्यंत पुण्यदायी माना गया है।
जिन जातकों पर शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या महादशा चल रही है, उन्हें शनि से संबंधित वस्तुओं का दान करने और शनि स्तोत्र या बीज मंत्र का जाप करने की सलाह दी गई है।
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धनुर्मास में इन कार्यों पर रहेगी रोक
धर्मशास्त्रों के अनुसार धनुर्मास में निम्न कार्य वर्जित रहते हैं—
- विवाह
- गृह प्रवेश
- मुंडन
- यज्ञोपवित
- भवन निर्माण व गृह वास्तु कार्य
इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन, सूर्य को अर्घ्य और रविवार को बिना नमक का व्रत विशेष लाभकारी माना गया है। इससे पुत्र-पौत्र की वृद्धि और संतान को दीर्घायु मिलने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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ग्रह–नक्षत्रों में होंगे कई परिवर्तन
धनु संक्रांति अवधि के दौरान कई ग्रह नक्षत्र बदलेंगे, जिससे मौसम व बाजार—दोनों में परिवर्तन देखने को मिल सकता है।
- 19 दिसंबर: बुध का ज्येष्ठा नक्षत्र में प्रवेश
- 20 दिसंबर: शुक्र का मूल नक्षत्र, धनु राशि में प्रवेश
- 25 दिसंबर: मंगल पूर्वाषाढा नक्षत्र में प्रवेश
- 28 दिसंबर: सूर्य पूर्वाषाढा नक्षत्र में प्रवेश, बुध अस्त
- 4 जनवरी: वक्री गुरु पुनर्वसु नक्षत्र के दूसरे चरण में प्रवेश
- 11 जनवरी: सूर्य व मंगल का उत्तराषाढा नक्षत्र में प्रवेश
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