दंतेवाड़ा और बीजापुर की सीमा से लगे भैरमगढ़ क्षेत्र के केशकुतुल के घने जंगलों में सुबह से सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ जारी है। इस लगातार होती गोलीबारी में सुरक्षाबलों ने 12 माओवादियों को मार गिराया, वहीं बहादुरी से लड़ते हुए DRG के तीन जवान शहीद हो गए। दो जवान घायल हैं, जिन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया है।मुठभेड़ के बाद पूरा जंगल सर्च ऑपरेशन के घेरे में है और अधिकारियों का कहना है कि नक्सलियों की संख्या इससे अधिक भी हो सकती है, क्योंकि क्षेत्र में बड़ी नक्सली मूवमेंट की सूचना पहले से थी।
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सूत्रों के अनुसार, आज सुबह दंतेवाड़ा से ऑपरेशन पर निकली संयुक्त टीम जैसे ही केशकुतुल इलाके में पहुंची, नक्सलियों ने उन पर अचानक फायरिंग शुरू कर दी। सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाला और दोनों ओर से घंटों तक रुक-रुककर गोलाबारी होती रही।बस्तर आईजी सुंदरराज पट्टलिंगम ने बताया कि मुठभेड़ स्थल से ALR राइफल, .303 राइफल और भारी मात्रा में हथियार व गोला-बारूद बरामद किए गए हैं। मारे गए नक्सलियों की पहचान की प्रक्रिया जारी है।इस ऑपरेशन में देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाले तीन वीर जवान हैं—प्रधान आरक्षक मोनू वडाड़ी, आरक्षक दुकारू गोंडे, जवान रमेश सोड़ी (सभी DRG)।
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बस्तर में नक्सलवाद के खिलाफ लगातार चल रही कार्रवाई के बीच विभिन्न नक्सली गुटों पर दबाव तेज हो गया है। हाल ही में चैतू उर्फ श्याम दादा समेत कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिससे नक्सली संगठन को बड़ा झटका लगा। चैतू, जो 1985 से नक्सली गतिविधियों में शामिल था, ने खुद बताया कि कॉलेज के दिनों में वह नक्सली मेडिकल टीम के संपर्क में आया और उसी दौरान भूमिगत हो गया था।
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पिछले 15 दिनों तक सुरक्षा एजेंसियों ने देवा, पापाराव, केसा और अन्य वरिष्ठ नक्सलियों को मौका देने के लिए जंगलों में शांत माहौल रखा था ताकि वे आत्मसमर्पण कर सकें। लेकिन कोई सकारात्मक संकेत न मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने फिर से संयुक्त ऑपरेशन तेज कर दिया, और केशकुतुल की यह बड़ी कार्रवाई उसी रणनीति का हिस्सा है।IG सुंदरराज पी. ने कहा कि नक्सली संगठन तेजी से बिखर रहा है और उनकी विचारधारा अब उनके अपने सदस्यों पर भी असर नहीं छोड़ पा रही। अधिकतर नक्सली हिंसा से तंग आकर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय ले रहे हैं।
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