तेल अवीव/तेहरान
दुनिया की सबसे ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम मानी जाने वाली इजरायल की आयरन डोम प्रणाली की हाल ही में उस समय कड़ी परीक्षा हुई, जब ईरान ने एक साथ सैकड़ों मिसाइलें दागकर उसे चुनौती दे दी।
इजरायल ने ईरान पर जवाबी कार्रवाई करते हुए ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ लॉन्च किया और उसके कई परमाणु व सैन्य ठिकानों को नष्ट कर दिया, पर इससे पहले ईरान ने आयरन डोम की कमजोरी उजागर कर दी।
इजरायल की सुरक्षा का सबसे मजबूत स्तंभ, आयरन डोम, रॉकेट और मोर्टार हमलों को हवा में ही नष्ट करने वाली एक आधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली है। इसे राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम और आईडीएफ द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
अब तक इसकी सफलता दर 90% से ज्यादा रही है। खासकर हमास और हिजबुल्लाह जैसे संगठनों द्वारा दागे गए रॉकेटों को इसने बड़ी कुशलता से रोका है।
अमेरिका ने भी आयरन डोम की तकनीकी दक्षता से प्रभावित होकर इस पर आधारित ‘गोल्डन डोम’ डिफेंस सिस्टम बनाने की योजना बनाई थी। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसकी प्रशंसा करते हुए कहा था कि इजरायल जैसा एयर शील्ड अमेरिका के लिए भी अनिवार्य है।
लेकिन जब ईरान ने हमला किया, तो आयरन डोम को उसकी सबसे कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ा।
रिपोर्टों के अनुसार:
- ईरान ने सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें एक साथ दागीं
- इन मिसाइलों में शामिल थीं ‘फतह’ हाइपरसोनिक मिसाइलें, जिनकी गति 10,000 मील प्रति घंटे तक होती है
- ये मिसाइलें पारंपरिक डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में सक्षम हैं
ईरान ने केवल मिसाइलें ही नहीं चलाईं, बल्कि:
- साइबर हमला कर इजरायल के कमांड और रडार सिस्टम को जाम कर दिया
- GPS-रहित नेविगेशन तकनीक का इस्तेमाल किया, जिससे उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो गया
- फर्ज़ी टारगेट (डिकॉय मिसाइलें) भेजीं, जिससे आयरन डोम भ्रमित हो गया और असली हमलों की पहचान करने में विफल रहा
ईरानी हमले के बाद यह सवाल गहराने लगा है कि क्या आयरन डोम सचमुच अजेय है, या यह केवल सीमित रॉकेट हमलों तक ही प्रभावी है।
यह घटना दिखाती है कि अब युद्ध सिर्फ बारूद और बंदूक से नहीं, बल्कि साइबर, एआई, और हाईस्पीड मिसाइल तकनीक से लड़े जा रहे हैं।