नई दिल्ली। आकलन वर्ष 2025-26 के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) भरने की अंतिम तारीख 16 सितंबर 2025 को समाप्त हो चुकी है। हालांकि, कई ऐसे करदाता हैं जो किसी कारणवश इस तय सीमा के भीतर अपना रिटर्न दाखिल नहीं कर पाए। यदि आप भी उन्हीं में से हैं, तो घबराने की आवश्यकता नहीं है। आयकर विभाग की ओर से अब भी आपके पास बिलेटेड रिटर्न के रूप में एक और मौका मौजूद है।
बिलेटेड रिटर्न वह विकल्प है, जिसके तहत करदाता निर्धारित समय सीमा बीत जाने के बाद भी आयकर रिटर्न दाखिल कर सकता है, लेकिन इसके लिए उसे लेट फीस और ब्याज सहित कुछ अतिरिक्त दंड का भुगतान करना होता है।
लेट फीस और जुर्माने का प्रावधान
आयकर अधिनियम की धारा 234F के तहत यदि आप बिलेटेड रिटर्न दाखिल करते हैं तो आपको अधिकतम ₹5,000 तक की लेट फीस चुकानी होगी। हालांकि, यदि आपकी सालाना आय ₹5 लाख से कम है, तो यह जुर्माना घटकर ₹1,000 हो जाता है।
31 दिसंबर तक है मौका
आयकर कानून के अनुसार, कोई भी करदाता बिलेटेड रिटर्न संबंधित आकलन वर्ष के समाप्त होने से तीन महीने पहले तक दाखिल कर सकता है। इसका मतलब है कि आकलन वर्ष 2025-26 के लिए बिलेटेड रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 है। यदि आप इस तारीख तक भी रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं, तो फिर आपके पास सिर्फ अपडेटेड रिटर्न भरने का ही विकल्प बचेगा, जिसमें अधिक जटिलताएं और शुल्क जुड़ सकते हैं।
बिलेटेड रिटर्न से होने वाले नुकसान
बिलेटेड रिटर्न दाखिल करने का नुकसान सिर्फ जुर्माने तक सीमित नहीं है। आयकर अधिनियम की धारा 234A, 234B और 234C के अंतर्गत आपको टैक्स के साथ-साथ ब्याज का भी भुगतान करना होगा। यह ब्याज मुख्य रूप से एडवांस टैक्स की देरी या कमी को लेकर लगाया जाता है।
इतना ही नहीं, देरी से आईटीआर दाखिल करने पर आप सभी तरह के वित्तीय नुकसान को कैरी फॉरवर्ड नहीं कर पाएंगे। केवल हाउस प्रॉपर्टी लॉस और अनक्लेम्ड डेप्रिसिएशन को ही आगे बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा, रिफंड की प्रक्रिया में भी देरी हो सकती है, जिससे आपके पैसे लंबे समय तक अटके रह सकते हैं।
टैक्स रिजीम बदलने की सुविधा नहीं
वित्तीय सलाहकार जनार्दन केशरी के अनुसार, यदि आप तय समयसीमा के बाद बिलेटेड रिटर्न भरते हैं, तो आपके पास पुरानी और नई कर व्यवस्था (टैक्स रिजीम) के बीच बदलाव करने की छूट नहीं होती। यह विकल्प केवल उन्हीं करदाताओं को मिलता है जो समय पर रिटर्न दाखिल करते हैं। वर्तमान में नई कर व्यवस्था को डिफॉल्ट माना जाता है, यानी यदि आपने पहले से पुरानी टैक्स व्यवस्था का विकल्प नहीं चुना है, तो आप सीधे नई टैक्स रिजीम के अंतर्गत आ जाएंगे।
अगर आप तय समयसीमा में आईटीआर दाखिल नहीं कर पाए हैं तो घबराने की जरूरत नहीं, लेकिन अब आपको अगले कदम पूरी सावधानी से उठाने होंगे। 31 दिसंबर 2025 से पहले बिलेटेड रिटर्न भरकर आप जुर्माना और ब्याज चुकाकर अपनी कर जिम्मेदारी पूरी कर सकते हैं। लेकिन इससे होने वाले अन्य नुकसान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसलिए अगली बार से आईटीआर समय पर दाखिल करना ही बेहतर विकल्प होगा।

