सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाने वाला खरमास इस वर्ष 16 दिसंबर 2025 से प्रारंभ हो रहा है। पौष कृष्ण द्वादशी तिथि पर, मंगलवार दोपहर 1:24 बजे सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही यह अशुभ मास प्रभावी हो जाएगा। सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ ही विवाह, गृह प्रवेश, वाहन खरीद और संपत्ति क्रय-विक्रय जैसे सभी मांगलिक कार्यों पर पूरे एक महीने के लिए विराम लग जाएगा।
खरमास की यह अवधि 14 जनवरी 2026 की रात 9:19 बजे तक रहेगी। इसी समय सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे और खरमास समाप्त हो जाएगा। उसी दिन मकर संक्रांति का पुण्यकाल भी पूरे दिन रहने वाला है। सूर्य के उत्तरायण होते ही फिर से सभी शुभ और मांगलिक कार्य आरंभ किए जा सकेंगे।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, सूर्य के धनु और मीन राशि में प्रवेश करने से गुरु का प्रभाव कम हो जाता है, जबकि वैवाहिक और मांगलिक कार्यों में गुरु तथा शुक्र का बली होना आवश्यक माना गया है। इसी कारण सूर्य भी इस अवधि में मलिन स्थिति में रहता है, जिससे विवाह और अन्य शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है।
खरमास में भगवान नारायण की उपासना का विशेष महत्व
धार्मिक ग्रंथों में खरमास को भगवान विष्णु–नारायण की आराधना, दान-पुण्य और सेवा के लिए अत्यंत शुभ समय बताया गया है। इस दौरान विष्णु सहस्रनाम, पुरुष सूक्त, भागवत पाठ, आदित्य हृदय स्तोत्र, सत्यनारायण पूजा, अन्न और वस्त्र दान, गौ सेवा तथा ब्राह्मणों को अन्न-फल अर्पित करने जैसे पुण्य कर्म अत्यधिक फलदायी माने जाते हैं। मान्यता है कि इस मास में श्रद्धा भाव से की गई पूजा से भगवान नारायण और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
खरमास के बाद शुभ कार्य कब से शुरू होंगे?
खरमास समाप्त होने के बाद विवाह तथा मांगलिक कार्यों के लिए शुभ तिथियाँ पुनः उपलब्ध होंगी।
बनारसी पंचांग के अनुसार —
फरवरी में 4 से 26 फरवरी तक कई शुभ मुहूर्त प्राप्त होंगे, जबकि मार्च में 2 से 14 मार्च तक विवाह योग्य तिथियाँ रहेंगी।
मिथिला पंचांग के अनुसार —
जनवरी में 29 तारीख, फरवरी में 5, 6, 8, 15, 19, 20, 22, 25 और 26 तारीख को शुभ मुहूर्त मिलेंगे।
मार्च में 4, 9, 11 और 13 तारीख को विवाह के लिए अनुकूल तिथियाँ रहेंगी।
खरमास के समाप्त होते ही शुभ समय की शुरुआत होगी और लोग अपने रुके हुए मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश और नए वाहन या संपत्ति की खरीदारी पुनः आरंभ कर सकेंगे।


