21 सितंबर की रात… एक ऐसा वक्त जब आसमान में चुपचाप एक अद्भुत खगोलीय घटना घटेगी – साल 2025 का आखिरी सूर्य ग्रहण। हालांकि ये नज़ारा भारत में नहीं दिखेगा, लेकिन इसकी चर्चा देशभर में जोरों पर है।ग्रहण का समय तय है – रात 11 बजे से शुरू होकर 3:24 बजे सुबह तक चलेगा। यानी कुल 4 घंटे 24 मिनट तक सूर्य और चंद्रमा के बीच ये खगोलीय ‘छुपा-छुपी’ जारी रहेगी।

कहां दिखाई देगा ये सूर्य ग्रहण?

भारत में यह ग्रहण दृश्य नहीं होगा, क्योंकि यह पूरी तरह रात के अंधेरे में लगेगा।
लेकिन ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंडोनेशिया और दक्षिण प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में लोग इस ग्रहण को साफ-साफ देख पाएंगे।

इसलिए भारत में न तो इसका धार्मिक प्रभाव माना जाएगा और न ही सूतक काल मान्य होगा।

ज्योतिषीय नजर से क्या है खास?

ग्रहण के समय सूर्य कन्या राशि में रहेंगे, और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में स्थित होंगे। साथ ही, बुध के साथ सूर्य का योग बनेगा, जिसे बुधादित्य योग कहा जाता है – और ये संयोग अपने आप में बहुत असरदार माना जाता है।

दूसरे ग्रहों की स्थिति भी इस दिन काफी विशेष है:

  • शनि मीन राशि में,
  • गुरु मिथुन में,
  • मंगल तुला में,
  • शुक्र और केतु सिंह में,
  • और राहु कुंभ में।

इन सभी ग्रहों की चाल कुछ राशियों के लिए अच्छे संकेत ला रही है, तो कुछ के लिए थोड़ा सतर्क रहने का इशारा।

किन राशियों को रहना होगा सावधान?

🔸 मिथुन राशि वालों को इस समय अपने फैसलों में सावधानी बरतनी होगी। रिश्तों में उलझाव और निवेश में नुकसान की आशंका है।
🔸 कन्या राशि के लिए सेहत, व्यवहार और आर्थिक लेन-देन पर ध्यान देना जरूरी है।
🔸 धनु राशि के जातकों को कार्यस्थल पर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और पुरानी स्वास्थ्य समस्याएं उभर सकती हैं।

वहीं दूसरी ओर,वृषभ, मकर और कुंभ राशि के लिए ये ग्रहण नए अवसर, लाभ और पारिवारिक स्थिरता का संकेत दे रहा है।

क्या करें, क्या न करें?

करें:

  • गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें
  • ग्रहण के बाद गंगाजल का छिड़काव करें
  • गरीबों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें

न करें:

  • ग्रहण काल में भोजन या जल का सेवन न करें
  • सोने से बचें और जागकर ध्यान या जप करें
  • गर्भवती महिलाएं इस समय घर के अंदर रहें
  • नुकीले औजार जैसे कैंची, चाकू आदि का प्रयोग न करें
  • मंदिर की मूर्तियों को स्पर्श न करें

आध्यात्मिक संदेश

ग्रहण का समय भले ही वैज्ञानिक तौर पर एक खगोलीय घटना हो, लेकिन हमारे शास्त्रों में इसे आत्मशुद्धि का अवसर माना गया है। इस दौरान की गई साधना, मंत्रोच्चारण और दान-पुण्य व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है और जीवन में संतुलन लाता है।

भारत में यह ग्रहण दिखेगा नहीं, पर इसके संकेत ज़रूर समझे जा सकते हैं। ग्रहों की चाल हमें बताती है कि कब रुकना है, कब बढ़ना है और कब खुद को भीतर से मजबूत करना है।तो इस अदृश्य सूर्य ग्रहण को भी एक आत्मिक अवसर मानिए – कुछ समय खुद के साथ बिताइए, मौन साधिए, और ब्रह्मांड की इस लय में अपने मन को जोड़िए।

 

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