भारत में सोना सिर्फ़ गहना नहीं, बल्कि आर्थिक जरूरत के समय एक मजबूत सहारा भी है। जब भी अचानक पैसों की ज़रूरत होती है, बहुत से लोग अपने गहनों को गिरवी रखकर गोल्ड लोन लेते हैं। बीते कुछ वर्षों में सोने की कीमतों में तेजी से इज़ाफा हुआ है, और उसी के साथ गोल्ड लोन की मांग भी बढ़ती गई है। लेकिन इस तेजी के साथ-साथ कई समस्याएं भी सामने आने लगी थीं — जैसे गलत मूल्यांकन, गहनों की वापसी में देरी, जब्ती में पारदर्शिता की कमी और अतिरिक्त शुल्कों की शिकायतें।

इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए रिज़र्व बैंक ने गोल्ड लोन से जुड़े नियमों में कई बड़े बदलाव किए हैं। ये बदलाव एक अप्रैल 2026 से पूरे देश में लागू होंगे।

छोटे कर्जदारों को मिलेगा सबसे बड़ा लाभ

गोल्ड लोन लेने वालों में बड़ी संख्या उन लोगों की है जो दो से ढाई लाख रुपये तक का कर्ज लेते हैं। नए नियमों के तहत ऐसे ग्राहकों को अब गिरवी रखे गए सोने की कुल कीमत के 85 प्रतिशत तक कर्ज मिल सकेगा। ढाई लाख से पांच लाख रुपये तक के लोन पर यह सीमा 80 प्रतिशत और पांच लाख रुपये से अधिक की राशि पर अधिकतम 75 प्रतिशत तय की गई है। इसका सीधा लाभ यह होगा कि छोटे कर्ज लेने वाले लोगों को पहले से अधिक रकम मिल सकेगी।

सोने का मूल्यांकन अब अधिक पारदर्शी तरीके से

पहले सोने की कीमत का आंकलन बैंकों और कंपनियों के अपने तरीकों से किया जाता था, जिससे ग्राहकों को कम राशि मिलने की शिकायतें रहती थीं। अब रिज़र्व बैंक ने यह तय किया है कि सोने का मूल्य या तो बीते तीस दिनों की औसत कीमत के आधार पर तय होगा या फिर पिछले कारोबारी दिन की कीमत के आधार पर — और दोनों में से जो भी कम होगी, वही मानी जाएगी। इससे मूल्यांकन में पारदर्शिता आएगी और ग्राहक को उसके गहनों के उचित मूल्य के अनुसार कर्ज मिलेगा।

समय पर भुगतान की बाध्यता

अब गोल्ड लोन लेने वाले ग्राहकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे बारह महीने के भीतर अपने लोन का भुगतान करें। इसमें मूलधन और ब्याज दोनों शामिल हैं। पहले कई ग्राहक केवल ब्याज चुकाते थे और लोन को बार-बार आगे बढ़ा लेते थे, जिसे रोलओवर कहा जाता था। अब इस प्रक्रिया पर रोक लग जाएगी और इससे कर्ज का अनुशासित भुगतान सुनिश्चित होगा।

सात दिन में गहनों की वापसी, देरी पर जुर्माना

लोन चुकता हो जाने के बाद अब बैंक या एनबीएफसी को अधिकतम सात कार्य दिवसों के भीतर ग्राहक को उसका गिरवी रखा गया सोना लौटाना अनिवार्य होगा। यदि इसमें देरी होती है, तो संस्था को प्रतिदिन पांच हजार रुपये का जुर्माना देना होगा। यह नियम ग्राहकों को आत्मविश्वास देगा कि उनका गहना सुरक्षित है और उन्हें समय पर वापस मिलेगा।

नीलामी की प्रक्रिया अब होगी साफ और तय नियमों के तहत

यदि किसी कारणवश ग्राहक समय पर लोन नहीं चुका पाता, तो संस्था उसके सोने की नीलामी कर सकती है। लेकिन अब नीलामी से पहले ग्राहक को स्पष्ट सूचना देना जरूरी होगा। इसके साथ ही यह भी तय किया गया है कि नीलामी का आरक्षित मूल्य बाजार मूल्य के कम से कम 90 प्रतिशत पर ही रखा जाएगा। यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि ग्राहक को उसके गहनों का सही मूल्य मिल सके और जब्ती में किसी तरह की मनमानी न हो।

ग्राहकों के लिए जरूरी सावधानियां

सोना गिरवी रखने से पहले उसकी शुद्धता और मूल्य का प्रमाण पत्र जरूर लें। कर्ज की शर्तों को पूरी तरह पढ़ें और समझें। जिस सोने को पहले से गिरवी रखा गया है, उसे दोबारा न रखें। साथ ही, लोन लेने से पहले अलग-अलग बैंकों और वित्तीय कंपनियों की ब्याज दरों और अन्य शर्तों की तुलना करें।

रिज़र्व बैंक के नए नियम गोल्ड लोन को न सिर्फ़ आसान बना रहे हैं, बल्कि उसे पूरी तरह पारदर्शी और ग्राहक हितैषी भी बना रहे हैं। अब जरूरत के समय ग्राहक अपने गहनों के बदले सही मूल्य पर कर्ज पा सकेंगे, समय पर उनका गहना लौटेगा, और कर्ज प्रक्रिया में विश्वास और सुरक्षा दोनों महसूस करेंगे। विशेष रूप से छोटे कर्जदारों के लिए यह बदलाव राहत और भरोसे की नई शुरुआत है।

 

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