रायपुर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर सवालों की झड़ी लग गई है। जनता को स्मार्ट सुविधा देने के नाम पर करोड़ों रुपए बहाए गए, लेकिन नतीजा शून्य निकला। शहरभर में करोड़ों की लागत से बने स्मार्ट शौचालय अब बंद और कबाड़ में बदल गए हैं। मेंटेनेंस न होने और भ्रष्टाचार के चलते जनता का पैसा बर्बाद कर दिया गया। स्मार्टनेस का फायदा जनता को नहीं बल्कि सिर्फ अधिकारियों और सत्ता पक्ष की छवि को मिला। सवाल उठ रहा है कि जब इन शौचालयों का उपयोग होना ही नहीं था तो इन्हें बनाया ही क्यों गया? क्या यही है स्मार्ट सिटी का असली चेहरा?
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करोड़ों खर्च, लेकिन जनता से छीन ली सुविधा
स्मार्ट सिटी के नाम पर रायपुर में बड़े-बड़े दावे किए गए थे। करोड़ों रुपए की लागत से स्मार्ट शौचालय (Smart Toilet in Raipur) का निर्माण किया गया। लेकिन न तो इनके रखरखाव के लिए स्टाफ रखा गया, न केयरटेकर नियुक्त हुए। नतीजा यह हुआ कि करोड़ों खर्च कर बनाए गए शौचालय धीरे-धीरे खंडहर में बदल गए। अब निगम और स्मार्ट सिटी कंपनी ने इन शौचालयों को टीना और ग्रिल लगाकर सील पैक कर दिया। यानी जनता जिसके लिए सुविधा बनाई गई थी, वही इसका उपयोग नहीं कर पा रही।
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भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट
जनता का सवाल है कि आखिर बिना जरूरत और बिना प्लानिंग के अरबों रुपए क्यों बर्बाद किए गए? स्मार्ट सिटी के नाम पर सड़क, गार्डन, तालाब, स्कूल सौंदर्यीकरण और शौचालय जैसे प्रोजेक्ट्स पर जमकर पैसा बहाया गया। लेकिन हकीकत यह है कि इनमें से कई योजनाएं केवल कमिशनखोरी और भ्रष्टाचार का जरिया बन गईं। रायपुर स्मार्ट शौचालय इसका जीता-जागता उदाहरण है। जनता का कहना है कि जब सुविधा का इस्तेमाल होना ही नहीं था तो सिर्फ ठेकेदारों और अधिकारियों को फायदा पहुंचाने के लिए यह निर्माण क्यों किया गया?
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पर्दा डालने के लिए सभी शौचालय बंद
अब जब नगर निगम और स्मार्ट सिटी कंपनी की पोल खुलने लगी, तो मामले पर पर्दा डालने के लिए सभी शौचालय बंद कर दिए गए। सवाल उठ रहा है कि इन्हें बंद करने का फैसला किसने लिया – पूर्व महापौर ने या वर्तमान एमआईसी ने? कहीं यह एक सुनियोजित साजिश तो नहीं कि मामले को दबाया जा सके और जनता को सच्चाई कभी न पता चले? रायपुर की जनता गुस्से में है और मांग कर रही है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो और जिम्मेदार अधिकारियों व नेताओं पर कार्रवाई की जाए।
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स्मार्ट सिटी का सपना दिखाकर जनता को ठगा गया। अरबों रुपए की राशि का क्या हिसाब है, यह किसी को नहीं बताया गया। जनता की मेहनत का पैसा किस तरह पानी की तरह बहाया गया, उसका नमूना रायपुर शहर में बंद पड़े स्मार्ट शौचालय हैं। यह सिर्फ भ्रष्टाचार की कहानी नहीं बल्कि जनता के विश्वास के साथ धोखा भी है।
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