रायपुर, 16 जून 2025/
राज्य सरकार की शिक्षक एवं शिक्षा विरोधी नीतियों के खिलाफ आज से छत्तीसगढ़ शिक्षक साझा मंच ने प्रदेशव्यापी सांकेतिक विरोध पखवाड़े की शुरुआत की है। यह विरोध प्रदर्शन 16 जून से 30 जून 2025 तक चलेगा, जिसमें शिक्षक प्रतिदिन काली पट्टी पहनकर विद्यालय जाएंगे और नियमित शिक्षण कार्य करते हुए सरकार की गलत नीतियों के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त करेंगे।

शिक्षक साझा मंच द्वारा चार प्रमुख मांगें उठाई गई हैं।
पहली मांग है कि राज्य सरकार द्वारा लागू की गई युक्तियुक्तकरण नीति को तत्काल रद्द किया जाए, क्योंकि इसके चलते स्कूलों में शिक्षकों की संख्या में अनुचित कटौती हो रही है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
दूसरी मांग है कि वर्ष 2008 का मूल सेटअप पुनः लागू किया जाए, ताकि शिक्षक पद संरचना और कार्य संचालन में व्यावहारिकता बनी रहे।
तीसरी मांग के अंतर्गत मंच ने कहा कि सोना साहू प्रकरण की तरह सभी शिक्षकों को एरियर सहित क्रमोन्नत वेतनमान प्रदान किया जाए, ताकि वर्षों से लंबित वेतन विसंगतियों का समाधान हो सके।
चौथी और अंतिम मांग यह है कि शिक्षकों को प्रथम सेवागणना के आधार पर पुरानी पेंशन योजना सहित समस्त सेवा लाभ प्रदान किए जाएं, साथ ही पदोन्नति के लिए B.Ed. की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए, जिससे समस्त पात्र शिक्षकों को पदोन्नति का लाभ मिल सके।

शिक्षक साझा मंच के प्रदेश संचालकों — केदार जैन, मनीष मिश्रा, वीरेंद्र दुबे, संजय शर्मा, विकास राजपूत, कृष्ण कुमार नवरंग, राजनारायण द्विवेदी और जाकेश साहू ने जानकारी दी कि प्रदेश के 23 शिक्षक संगठनों के संयुक्त मंच के रूप में यह आंदोलन निरंतर रूप से जारी है। उन्होंने बताया कि समय के साथ आंदोलन का स्वरूप बदला गया है, अब शिक्षक विद्यालयों में बच्चों का प्रवेश दिलवाने, गणवेश और पाठ्यपुस्तक वितरण कराने तथा नियमित रूप से पढ़ाई कराने का कार्य भी करेंगे, लेकिन साथ ही काली पट्टी पहनकर सरकार की नीतियों का शांतिपूर्वक विरोध भी करते रहेंगे।

साझा मंच के अन्य प्रदेश स्तरीय संचालक — भूपेंद्र बनाफर, शंकर साहू, भूपेंद्र गिलहरे, चेतन बघेल, गिरीश केशकर, लैलूंन भरद्वाज, प्रदीप पांडे, प्रदीप लहरे, राजकिशोर तिवारी, कमल दास मुरचले, प्रीतम कोशले, विक्रम राय, विष्णु प्रसाद साहू, धरमदास बंजारे और अनिल कुमार टोप्पो ने संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि इस पखवाड़े के दौरान प्रवेश उत्सव के तहत विद्यालयों में आने वाले ग्रामीण नागरिकों, जनप्रतिनिधियों, पालक समितियों एवं विद्यालय प्रबंधन समितियों को राज्य सरकार की शिक्षक विरोधी नीतियों से अवगत कराया जाएगा।

शिक्षकों ने यह भी आरोप लगाया कि युक्तियुक्तकरण की नीति के चलते राज्य के प्राथमिक, मिडिल, हाई और हायर सेकेंडरी विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या में कटौती की गई है। प्राथमिक विद्यालयों में मात्र दो शिक्षक और मिडिल स्कूलों में केवल तीन से चार शिक्षक रह गए हैं। इतना ही नहीं, स्कूलों के समेकन (मर्जर) के कारण प्रधान पाठक जैसे महत्त्वपूर्ण पद समाप्त हो गए हैं, जिससे विद्यालय संचालन और प्रशासन प्रभावित हो रहा है।

शिक्षक साझा मंच का यह स्पष्ट मत है कि जब विद्यालयों में पर्याप्त शिक्षक नहीं होंगे तो शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करना असंभव हो जाएगा। इसी कारण यह विरोध प्रदर्शन जरूरी हो गया है। मंच ने प्रदेशभर के समस्त जिलों, विकासखंडों और संकुलों के शिक्षकों से अपील की है कि वे इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लें और प्रतिदिन 30 जून तक काली पट्टी पहनकर विद्यालय जाकर सरकार की नीतियों का शांतिपूर्वक विरोध करें।

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