Vastu Tips: धार्मिक ग्रंथों और वास्तु शास्त्र में जीवन के प्रत्येक कार्य को एक विशेष दिशा, समय और विधि के अनुसार करने की परंपरा बताई गई है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण कार्य है भोजन करना। भोजन केवल शरीर को पोषण देने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह मन और आत्मा को भी प्रभावित करता है। इसलिए यह आवश्यक है कि भोजन करते समय व्यक्ति दिशा, स्थान और मनोस्थिति का ध्यान रखे। आइए जानते हैं कि किस दिशा में बैठकर भोजन करना उचित माना गया है और किन दिशाओं में बैठना वर्जित है, साथ ही भोजन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियमों को भी समझते हैं।

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पूर्व दिशा में मुख करके भोजन करना
धार्मिक मान्यताओं और वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूर्व दिशा की ओर मुख करके भोजन करना सबसे श्रेष्ठ माना गया है। यह दिशा सूर्य की दिशा है और सूर्य ऊर्जा, स्वास्थ्य और सकारात्मकता का प्रतीक है। पूर्व दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से पाचन क्रिया सुचारु रहती है, मन प्रसन्न रहता है और व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है। यह दिशा विद्यार्थियों और साधकों के लिए विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है।

उत्तर दिशा में मुख करके भोजन करना
उत्तर दिशा को समृद्धि और शांति की दिशा माना जाता है। इस दिशा में बैठकर भोजन करने से धन की वृद्धि, घर में सुख-शांति और परिवार में प्रेम बना रहता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। यह दिशा विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो व्यापार, अध्ययन या मानसिक कार्यों में संलग्न हैं।

दक्षिण दिशा में मुख करके भोजन करना
दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना गया है, जो मृत्यु और पीड़ा से जुड़ी हुई है। वास्तु शास्त्र और धर्मशास्त्रों में इस दिशा में मुख करके भोजन करना वर्जित बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि दक्षिण दिशा में भोजन करने से व्यक्ति के जीवन में रोग, तनाव, असफलता और मानसिक अशांति बढ़ती है। यह दिशा नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है, इसलिए इससे बचना चाहिए।
पश्चिम दिशा में मुख करके भोजन करना
पश्चिम दिशा की ओर चेहरा होने का अर्थ है संपन्नता और समृद्धि का अर्जन। व्यापार या नौकरीपेशा से जुड़े लोगों को इस दिशा की ओर मुंह करके भोजन करना चाहिए। इसके अलावा अगर घर में कोई सदस्य बीमार हो तो उसे भी हमेशा पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके ही भोजन करना चाहिए।
भोजन करने के आवश्यक नियम
  • भोजन करने से पूर्व हाथ, पैर और मुंह धोकर शुद्ध होना आवश्यक है।
  • भोजन शांत वातावरण में, एकाग्रता के साथ करें। टीवी, मोबाइल या बातचीत से बचें।
  • भोजन से पूर्व ईश्वर का स्मरण करके आभार व्यक्त करें और भोजन को प्रसाद मानकर ग्रहण करें।
  • हमेशा सीधे बैठकर भोजन करें। झुककर या लेटकर खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
  • भोजन करते समय मन में श्रद्धा और सकारात्मक भाव होना चाहिए, तभी वह शरीर को लाभ देता है।
  • भोजन के पश्चात हाथ-मुंह धोकर कुछ देर विश्राम करना चाहिए, इससे पाचन क्रिया बेहतर होती है।

इस प्रकार, धर्म और वास्तु शास्त्र के अनुसार भोजन की दिशा और नियमों का पालन करके व्यक्ति अपने जीवन में स्वास्थ्य, सुख और आध्यात्मिक संतुलन बनाए रख सकता है।

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