नई दिल्ली / रायपुर, 29 नवंबर 2025 — केन्द्र सरकार ने खांसी-ज़ुकाम की दवा कफ सिरप की बिक्री पर बड़ा प्रतिबंध लगाते हुए फैसला किया है कि अब यह सिरप केवल डॉक्टर की पर्ची (प्रिस्क्रिप्शन) के साथ ही दवा दुकानों पर मिलेगा। दवा दुकानों को प्रत्येक प्रिस्क्रिप्शन का रिकॉर्ड रखना होगा, और सिरप की गुणवत्ता व वितरण पर कड़े नियम लागू होंगे।
क्यों किया गया यह फैसला
इस कदम के पीछे मुख्य वजह है देश में सामने आए कई मामलों में कफ सिरप सेवन से बच्चों की मौतें। सरकारी जांच में पाया गया कि कुछ सिरपों में डाई-एथिलीन ग्लाइकोल (DEG) तथा अन्य जहरीले रसायन पाए गए थे।
कई राज्यों में — विशेष रूप से मध्य प्रदेश व राजस्थान — कफ सिरप के संदिग्ध बैचों से कम-उम्र बच्चों की मौतें हुईं। इन भयावह घटनाओं ने देश में सिरप बेचने व लेने की मनमानी पर सवाल खड़े कर दिए।
सरकार ने क्या निर्देश दिए हैं
- पहले से जारी लाइसेंसिंग व निगरानी नियमों से छूट वाले कफ सिरपों को अब उन्हीं श्रेणियों से हटाया गया है, जिनके तहत दवाओं की कडाई से जांच होती है।
- दवाइयों की बिक्री के लिए डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन अनिवार्य किया गया है।
- कफ सिरप की बिक्री करने वाली मेडिकल दुकानों, फार्मेसियों को आदेश दिया गया है कि वे हर प्रिस्क्रिप्शन का रिकॉर्ड रखें और गुणवत्ता जांच सुनिश्चित करें।
बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि इस कदम का उद्देश्य बच्चों की जान बचाना है। खांसी-जुकाम जैसी सामान्य बीमारियों में भी लोग बिना सलाह के दवा लेने लगते थे, जिससे दुष्प्रभाव और मौतों का खतरा बढ़ा था। सिरप का गलत उपयोग और दुष्प्रभाव रोकने के लिए यह फैसला ज़रूरी था।
सरकार का कहना है कि अब से मां-बाप और अभिभावकों को किसी भी सिरप का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं देना चाहिए।
इस घटना की पृष्ठभूमि
इस साल मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और आसपास के जिलों में कफ सिरप के सेवन से कम-उम्र बच्चों की मौतों की श्रृंखला सामने आई थी। जिन सिरपों पर शक हुआ, उनमें विमान रसायन DEG जैसे औद्योगिक सॉल्वेंट की मात्रा मानक से बहुत अधिक पाई गई थी। इसके बाद कई राज्यों ने उन सिरपों को बैन किया, और सरकार ने व्यापक पुनरावलोकन शुरू किया।

