जशपुरनगर, 28 अक्टूबर 2025।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने मंगलवार को कैम्प कार्यालय बगिया जशपुर में एनटीपीसी के साथ एक महत्वपूर्ण एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत सन्ना पंडरापाठ में अत्याधुनिक तीरंदाजी अकादमी (Archery Centre) की स्थापना की जाएगी। यह परियोजना एनटीपीसी के सीएसआर फंड से 20 करोड़ 53 लाख रुपए की लागत से पूरी की जाएगी।
इस अवसर पर कलेक्टर श्री रोहित व्यास, एनटीपीसी के अपर महाप्रबंधक (मानव संसाधन) श्री बिलाश मोहंती, उप महाप्रबंधक श्री निशांत बंसल, वरिष्ठ प्रबंधक (विधि) श्री गैरिक गुरु और डिप्टी कलेक्टर श्री समीर बड़ा उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा — “जशपुर के युवाओं में अपार संभावनाएं”
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि जशपुर क्षेत्र के युवाओं में तीरंदाजी के क्षेत्र में बड़ी संभावनाएं हैं। इस सेंटर के आरंभ होने से प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को प्रशिक्षण और संसाधनों की सुविधा मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष 2036 ओलंपिक खेलों की मेज़बानी के लिए दावेदारी प्रस्तुत कर चुका है, और छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों का राष्ट्रीय टीम में अधिकतम प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना हमारा लक्ष्य है।
मुख्यमंत्री ने कहा —“हमारा उद्देश्य है कि तीरंदाजी की परंपरा को आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षण के साथ जोड़कर ओलंपिक स्तर के खिलाड़ी तैयार किए जाएं। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता को 3 करोड़ रुपए, रजत पदक विजेता को 2 करोड़ रुपए और कांस्य पदक विजेता को 1 करोड़ रुपए की पुरस्कार राशि दी जाएगी।”
राज्य खेल अलंकरण समारोह फिर से आयोजित होगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार राज्य खेल अलंकरण समारोह को पुनः आरंभ करेगी, ताकि प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को सम्मानित किया जा सके। उन्होंने बताया कि “खेलो इंडिया” के अंतर्गत प्रदेश में नए खेल केंद्र स्थापित किए गए हैं, विशेषकर जनजातीय इलाकों में खेल अधोसंरचना को सशक्त किया जा रहा है।
10.27 एकड़ भूमि में बनेगा अत्याधुनिक परिसर
सन्ना पंडरापाठ में बनने वाली यह अकादमी 10.27 एकड़ भूमि में फैली होगी, जिसमें शामिल होंगे —
- आउटडोर तीरंदाजी रेंज
- खिलाड़ियों के लिए छात्रावास और स्टाफ क्वार्टर
- प्रशिक्षण एवं सुविधा भवन
- पुस्तकालय और चिकित्सा केंद्र
- कौशल विकास केंद्र एवं हर्बल वृक्षारोपण क्षेत्र
- जैविक खेती हेतु छायादार नर्सरी और अभ्यास मैदान
तीरंदाजी की ऐतिहासिक परंपरा से आधुनिक प्रशिक्षण तक
तीरंदाजी (Archery) केवल खेल नहीं, बल्कि कला और अनुशासन का प्रतीक है। इसमें एकाग्रता, संतुलन और स्थिरता की अहम भूमिका होती है। भारत की धनुर्विद्या परंपरा महाभारत और रामायण जैसे ग्रंथों में भी उल्लेखित है।
आधुनिक दौर में दीपिका कुमारी जैसे भारतीय खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर चुके हैं। जशपुर की यह अकादमी भी उसी परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रयास होगी।

