रायपुर, 10 दिसंबर 2025।
डॉलर के मुकाबले रुपए की ऐतिहासिक कमजोरी, बढ़ती मुद्रास्फीति और आर्थिक अस्थिरता को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि भाजपा सरकार की गलत आर्थिक नीतियों और वित्तीय कुप्रबंधन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था गर्त में जा रही है।
आखिरी तारीख बेहद पास, आज ही करा लें आधार–पैन लिंकिंग, वरना 1 जनवरी 2026 से पैन हो जाएगा निष्क्रिय
उन्होंने कहा कि रुपया तेजी से टूट रहा है और सरकार इसके लिए ठोस कदम उठाने के बजाय “कुतर्क” कर रही है।वर्मा के अनुसार, वर्ष 2025 में ही रुपए में 5.26% की गिरावट दर्ज की गई है।1 जनवरी को डॉलर के मुकाबले रुपया 85.70 था, जो अब 90 के करीब पहुंच चुका है।
उन्होंने आरोप लगाया कि रुपया अवमूल्यन के मामले में भारत की मुद्रा एशिया की सबसे कमजोर मुद्राओं में शामिल हो चुकी है और केंद्र सरकार “पूरी तरह असहाय” दिख रही है।वर्मा ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा—“जनवरी 2014 में एक डॉलर 65 रुपए का था, आज 90 रुपए पर पहुंच गया है। मोदी राज के 11 साल में रुपया 45 प्रतिशत टूट चुका है। यह आर्थिक नाकामी का साफ सबूत है।”
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि विदेशी निवेश घट रहा है, व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है और कच्चे तेल से लेकर मशीनरी तक आयात महंगा होता जा रहा है, जिससे आम उपभोक्ता पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।
घरेलू अर्थव्यवस्था चरमराई – कांग्रेस
सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था संभालने में भाजपा सरकार पूरी तरह नाकाम साबित हुई है।
उन्होंने आरोप लगाया—घरेलू बचत ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी है, देश पर कुल कर्ज 2014 की तुलना में तीन गुना बढ़ चुका है,चंद पूंजीपति मित्रों की संपत्ति तेजी से बढ़ रही है, आम जनता को गरीबी रेखा के नीचे धकेलकर 80 करोड़ लोगों को 5 किलो राशन पर निर्भर कर दिया गया है, असमानता खतरनाक स्तर तक बढ़ी है
अब ऑनलाइन होगी प्राथमिक शिक्षकों की हाजिरी, स्कूल शुरू होने के एक घंटे के भीतर देनी होगी उपस्थिति
उन्होंने कहा कि पिछले 5 वर्षों में ही अमीरों के 6.15 लाख करोड़ रुपए के कर्ज माफ किए गए हैं, जबकि आम जनता बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रही है।
“रेपो रेट में बार-बार कटौती सरकार की लाचारी”
वर्मा ने कहा कि मोदी सरकार मुद्रास्फीति नियंत्रित करने में पूरी तरह विफल है।वित्तीय अस्थिरता बढ़ने के चलते इस वित्तीय वर्ष में चौथी बार रेपो रेट में कटौती की गई है, जो सरकार की आर्थिक लाचारी का प्रमाण है।उन्होंने चिंता जताई कि रेपो रेट घटने से—बचतकर्ताओं, खासकर महिलाओं और बुजुर्गों को भारी नुकसान,एफडी और अन्य बचत योजनाओं पर ब्याज घटेगा, महंगाई का दबाव और बढ़ेगाशेयर बाजार और बॉन्ड बाजार ज्यादा अस्थिर होगा वर्मा ने कहा कि “केवल रेपो रेट नहीं, सरकार की नीति और नियत बदलने की जरूरत है।”
पहली बार रविवार से शुरू होगा छत्तीसगढ़ विधानसभा का सत्र, 14 से 17 दिसंबर तक चलेगा शीतकालीन सत्र


