आज सम्पूर्ण भारतवर्ष में शारदीय नवरात्रि की दुर्गा महाष्टमी श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाई जा रही है। नवरात्रि का यह आठवां दिन देवी दुर्गा के विशेष स्वरूप मां महागौरी को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन देवी की पूजा करने से साधक को शांति, सुख और सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
महाष्टमी और कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि को अत्यंत पावन और शुभ माना गया है। विशेष रूप से कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार 2 से 9 वर्ष की कन्याओं में मां दुर्गा का ही स्वरूप निहित होता है। अष्टमी के दिन कन्याओं को आमंत्रित कर उन्हें भोजन कराया जाता है, उनका पूजन, चरण स्पर्श और श्रृंगार कर उन्हें आशीर्वाद लिया जाता है। यह परंपरा नारी शक्ति और बालिकाओं के सम्मान का प्रतीक मानी जाती है।
दुर्गा अष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 29 सितंबर 2025, शाम 4:31 बजे से
- अष्टमी तिथि समाप्त: 30 सितंबर 2025, शाम 6:06 बजे तक
- उदयातिथि के अनुसार दुर्गा अष्टमी 30 सितंबर को मनाई जा रही है।
कन्या पूजन के शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 4:37 से 5:25 बजे
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:47 से 12:35 बजे
- मुख्य कन्या पूजन मुहूर्त: प्रातः 10:40 से दोपहर 12:10 बजे तक
पूजा विधि और अनुष्ठान
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल की सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें।
- मां महागौरी की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
- उन्हें लाल वस्त्र, चुनरी, चंदन, अक्षत, पुष्प अर्पित करें।
- खीर, हलवा, पूड़ी, चने का भोग लगाएं।
- दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
- हवन, दीपक और आरती करें।
- पूजा के अंत में क्षमा याचना करें।
क्यों आवश्यक है कन्या पूजन
धार्मिक मान्यता है कि कन्याएं साक्षात देवी का स्वरूप होती हैं। उन्हें प्रसन्न करने से जीवन में समस्त कष्टों का नाश होता है और देवी दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। नवरात्रि की अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन कर उपवास का पारण किया जाता है।
महानवमी तिथि: 1 अक्टूबर 2025
महाष्टमी के अगले दिन, 1 अक्टूबर को महानवमी मनाई जाएगी। यह नवरात्रि का अंतिम और अत्यंत फलदायक दिन होता है, जो मां सिद्धिदात्री को समर्पित है। इस दिन भी कन्या पूजन, हवन और देवी आराधना से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

