रायपुर, 13 अक्टूबर 2025।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने स्पष्ट कहा कि छत्तीसगढ़ में ऐसा शासन और पुलिस व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे अपराधियों में कानून का भय और जनता में सुरक्षा का विश्वास पैदा हो। उन्होंने चेताया कि कानून-व्यवस्था को लेकर किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री मंत्रालय (महानदी भवन) में आयोजित कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।

बैठक में प्रदेश की कानून-व्यवस्था, मादक पदार्थ नियंत्रण, सड़क सुरक्षा, साइबर अपराध और प्रशासनिक समन्वय पर विस्तृत चर्चा हुई। इस अवसर पर गृह मंत्री श्री विजय शर्मा, मुख्य सचिव श्री विकास शील, अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री मनोज पिंगुआ, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध कुमार सिंह और पुलिस महानिदेशक श्री अरुण देव गौतम सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के बीच मजबूत समन्वय ही सुशासन की कुंजी है। जिन जिलों में प्रशासनिक तालमेल बेहतर है, वहां अपराध नियंत्रण में उल्लेखनीय सफलता मिली है। उन्होंने दो टूक कहा कि किसी भी जिले में अगर कानून व्यवस्था को लेकर उदासीनता पाई गई, तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की जाएगी।

उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि चाकूबाजी, हत्या, नशाखोरी और सड़क पर अव्यवस्था फैलाने वालों पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जाए। गौ-तस्करी और धर्मांतरण जैसे संवेदनशील मामलों पर विशेष निगरानी रखी जाए और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि नशाखोरी अपराधों की जड़ है। इसलिए मादक पदार्थों की अवैध तस्करी और सेवन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने एनकॉर्ड (NCORD) के तहत राज्यव्यापी अभियान चलाने, सीमावर्ती जिलों में चौकसी बढ़ाने और एनडीपीएस एक्ट के तहत समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही, युवाओं को नशे के दुष्परिणामों से जागरूक करने के लिए व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाने को कहा।

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में घुसपैठियों की पहचान और नियंत्रण के लिए विशेष टास्क फोर्स (STF) गठित की गई है। सीमावर्ती जिलों में सघन जांच और संदिग्ध गतिविधियों पर त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि अपराधों की अनदेखी गंभीर घटनाओं को जन्म देती है, इसलिए हर शिकायत पर त्वरित और समयबद्ध कार्रवाई जरूरी है।

बैठक में आत्मसमर्पित माओवादियों के पुनर्वास और आजीविका सशक्तिकरण पर भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की पुनर्वास नीति में माओवादियों का विश्वास बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है। आत्मसमर्पित माओवादियों को कौशल प्रशिक्षण और रोजगार से जोड़कर मुख्यधारा में सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अवसर दिया जाएगा।

सड़क सुरक्षा को लेकर भी मुख्यमंत्री ने सख्त रुख दिखाया। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ब्लैक स्पॉट्स की पहचान और सुधार, नशे में वाहन चलाने वालों पर कार्रवाई, तथा हेलमेट और सीट बेल्ट पालन में सख्ती जरूरी है। साथ ही रात 10 बजे के बाद डीजे और लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध के निर्देश दिए गए।

साइबर अपराधों को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आधुनिक युग का सबसे जटिल खतरा है। उन्होंने निर्देश दिए कि पुलिस बल को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाए, साइबर हेल्पलाइन नंबर का प्रचार किया जाए और नागरिकों को ऑनलाइन ठगी व फिशिंग से बचाव के प्रति जागरूक किया जाए।

अंत में मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि “पारदर्शी प्रशासन, टीम भावना और जवाबदेही ही विकसित छत्तीसगढ़ की असली नींव हैं।” उन्होंने सभी अधिकारियों से कहा कि शासन तभी मजबूत होगा, जब हर अधिकारी ईमानदारी और संवेदनशीलता से जनता के प्रति अपने दायित्व निभाए।

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