रायपुर, 24 सितंबर 2025 — छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए राज्य शासन और प्रशासनिक अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं। मंगलवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने मुख्य सचिव को स्पष्ट रूप से कहा कि वे पूर्व में शासन द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें और आवश्यक कार्रवाई तत्काल प्रभाव से की जाए।
राज्य सरकार ने अदालत को अवगत कराया कि कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 (Noise Control Act, 1985) के प्रावधानों में आवश्यक संशोधन की प्रक्रिया जारी है। इस सिलसिले में शासन की एक समिति ने महत्वपूर्ण बैठक कर छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल को अधिनियम में संशोधन के मसौदे तैयार करने का निर्देश दिया था।
13 अगस्त को भेजा गया संशोधन का प्रारूप
पर्यावरण मंडल ने संशोधन प्रस्ताव का प्रारूप तैयार कर 13 अगस्त 2025 को सचिव, आवास एवं पर्यावरण विभाग को प्रेषित किया था। इसके बाद 14 अगस्त को आयोजित बैठक में समिति के सदस्यों ने इस मसौदे की समीक्षा की। बैठक में विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया गया कि वे अपने विभागीय सचिवों से अंतिम अनुमोदन और टिप्पणियाँ प्राप्त कर 15 सितंबर 2025 को प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए अगली बैठक में प्रस्तुत करें।
कोलाहल एक्ट में संशोधन की प्रक्रिया सक्रिय
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण) नियम, 2000 के आलोक में कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 में संशोधन आवश्यक है, और राज्य सरकार इस दिशा में सक्रियता से कार्य कर रही है। कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत शपथपत्र से यह स्पष्ट हुआ कि यह मामला फिलहाल गृह विभाग के समक्ष विचाराधीन है।
राज्य के अधिवक्ता ने भी कोर्ट को आश्वस्त किया कि गृह विभाग इस मामले में शीघ्र आवश्यक कार्रवाई करेगा।
अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को
हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर 2025 को तय की है। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करना राज्य की संवैधानिक और सामाजिक जिम्मेदारी है, और इस दिशा में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

