नई दिल्ली | विशेष प्रतिनिधि
भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कॉनक्लेव 2025 के अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य के सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास अम्बिकापुर, डॉ. ललित शुक्ला को “उत्कृष्ट राज्य मास्टर ट्रेनर” (आदि कर्मयोगी अभियान) के रूप में सम्मानित किया गया।
यह सम्मान राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के करकमलों से विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित भव्य समारोह में प्रदान किया गया। डॉ. शुक्ला को यह पुरस्कार “धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान” के अंतर्गत चल रहे “आदि कर्मयोगी अभियान” में उनके उत्कृष्ट कार्य, जनजातीय नेतृत्व को सशक्त बनाने, प्रशिक्षण प्रदान करने और शासन प्रणाली को जमीनी स्तर पर सुदृढ़ करने के उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया।
क्या है ‘आदि कर्मयोगी अभियान’?
भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा 10 जुलाई 2025 को आरंभ किया गया “आदि कर्मयोगी अभियान” भारत के जनजातीय समाज के लिए एक मजबूत, उत्तरदायी और सहभागी शासन प्रणाली विकसित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। इसका उद्देश्य: जनजातीय क्षेत्रों में शासन की प्रभावी पहुँच सुनिश्चित करना, जनजातीय नेतृत्व को प्रशिक्षित और सशक्त बनाना, कैडर आधारित मॉडल के माध्यम से नेतृत्व क्षमता का विकास करना, अंतर-विभागीय समन्वय को बढ़ावा देना .इसे विश्व का सबसे बड़ा जनजातीय नेतृत्व आंदोलन बनाने की परिकल्पना की गई है
इस अभियान के अंतर्गत सैकड़ों मास्टर ट्रेनर्स को तैयार किया गया है जो देशभर में आदिवासी समुदायों को जागरूक करने, शासन की योजनाओं से जोड़ने और आत्मनिर्भर बनाने का कार्य कर रहे हैं।
डॉ. ललित शुक्ला, छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल अंचल अम्बिकापुर में सहायक आयुक्त के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने न केवल प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन, बल्कि जनजातीय युवाओं और ग्रामस्तरीय नेतृत्व को सशक्त बनाने में भी अपनी अग्रणी भूमिका निभाई है।उनके मार्गदर्शन में आदिवासी क्षेत्रों में शासन की योजनाओं की पहुंच बेहतर हुई है और स्थानीय नेतृत्व को एक नई पहचान मिली है।
विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय कार्यक्रम में जब राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने डॉ. शुक्ला को यह प्रतिष्ठित सम्मान प्रदान किया, तो यह न केवल छत्तीसगढ़ राज्य के लिए गौरव का क्षण था, बल्कि देशभर में आदिवासी विकास कार्य में लगे समर्पित कर्मयोगियों के लिए प्रेरणा भी बनी।
“आदि कर्मयोगी अभियान” जैसे प्रयास भारत के आदिवासी समाज को सशक्त, स्वावलंबी और सहभागी बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहे हैं। डॉ. ललित शुक्ला जैसे समर्पित अधिकारी जब इस अभियान का नेतृत्व करते हैं, तो निश्चित रूप से यह एक सकारात्मक परिवर्तन की ओर संकेत करता है।

