नई दिल्ली | अक्टूबर 2025
देशभर के परिषदीय शिक्षक अब शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को अनिवार्य बनाए जाने के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। केंद्र सरकार के इस फैसले के विरोध में शिक्षक 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर विशाल प्रदर्शन करेंगे। यह प्रदर्शन सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि निर्णायक लड़ाई की शुरुआत माना जा रहा है। शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि अगर आवश्यकता पड़ी, तो वे संसद का घेराव करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।

यह निर्णय बुधवार को लखनऊ में आयोजित अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की बैठक में लिया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश के दर्जनभर शिक्षक संगठनों के शीर्ष पदाधिकारी शामिल हुए। बैठक में सभी संगठन प्रमुखों को राष्ट्रीय सह-संयोजक नियुक्त किया गया और 25 से 31 अक्तूबर तक देशभर के जिलों में जनसंपर्क अभियान चलाने का निर्णय लिया गया।

बैठक में मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक योगेश त्यागी ने कहा कि केंद्र सरकार जिस तरह से टीईटी की अनिवार्यता थोप रही है, वह न केवल शिक्षकों की योग्यता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था को अव्यवस्थित करने की दिशा में कदम है। उन्होंने कहा कि अगर एनसीटीई (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद) ने इस निर्णय में संशोधन नहीं किया, तो आंदोलन और भी व्यापक रूप लेगा।

शिक्षकों का आरोप है कि वर्षों की सेवा देने के बाद अब उन्हें अयोग्य ठहराना, उनके आत्मसम्मान और भविष्य दोनों पर चोट है। कई राज्यों में लाखों शिक्षक पहले ही प्रशिक्षण प्राप्त कर सेवा दे रहे हैं, ऐसे में टीईटी को अनिवार्य बनाना उनके खिलाफ अन्याय है।

बैठक में मौजूद सभी संगठनों ने इस निर्णय को “काला कानून” बताते हुए इसे पूरी तरह से वापस लेने की मांग की। शिक्षकों का कहना है कि जब उन्होंने नियुक्ति के समय सरकार द्वारा तय मानकों को पूरा किया था, तो अब पीछे से नियम बदलकर उन्हें अपमानित करना स्वीकार नहीं किया जाएगा।

देश के अलग-अलग राज्यों के शिक्षक संगठन अब साझा मंच पर आ चुके हैं। प्रदर्शन केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तराखंड सहित कई राज्यों के शिक्षक 24 नवंबर को दिल्ली में जुटेंगे। अनुमान है कि यह प्रदर्शन देश के शिक्षक समुदाय का अब तक का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन बन सकता है।

शिक्षकों ने यह भी साफ किया है कि यह आंदोलन केवल अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की गरिमा बचाने की लड़ाई है। अगर सरकार इस आवाज को अनसुना करती है, तो देशभर में स्कूलों के संचालन पर भी असर पड़ सकता है।

अब देश की निगाहें 24 नवंबर पर टिकी हैं, जब देश भर के शिक्षक राजधानी दिल्ली में एकत्र होकर यह संदेश देने की कोशिश करेंगे कि “हम सिर्फ पढ़ाने वाले नहीं, बल्कि अपनी गरिमा के लिए लड़ने वाले शिक्षक हैं।”


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