रायपुर, 29 सितम्बर 2025।
भारतमाला परियोजना में उजागर हुए भूमि घोटाले के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने गाइडलाइन नियमों में बड़ा संशोधन किया है। नए नियमों के तहत अब जमीन चाहे डायवर्टेड हो या नॉन-डायवर्टेड, दोनों का मूल्यांकन एक समान किया जाएगा। साथ ही जमीन की नाप अब वर्गमीटर में नहीं बल्कि हेक्टेयर में होगी।
राज्य सरकार ने इसके लिए “छत्तीसगढ़ गाइडलाइन दरों का निर्धारण नियम-2000” बनाया है। इसके अनुसार 12 डिसमिल (500 वर्गमीटर) से कम जमीन खरीदने पर उसका मूल्यांकन वर्गफुट में किया जाएगा, जबकि 500 वर्गमीटर से अधिक जमीन का मूल्यांकन हेक्टेयर में होगा।
क्यों किए गए बदलाव?
हाल ही में भारतमाला परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान बड़े पैमाने पर मुआवजा घोटाला सामने आया था। जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े कर उनकी रजिस्ट्री कराई जाती थी और वर्गमीटर आधार पर मुआवजा लिया जाता था। इस तरीके से वास्तविक राशि से 10–15 गुना तक अधिक रकम निकाली गई। चूंकि मुआवजा राशि टैक्स फ्री होती है, इसलिए लाभार्थियों ने भारी-भरकम रकम हासिल कर ली। सरकार ने इसी गड़बड़ी को रोकने के लिए वर्गमीटर का प्रावधान समाप्त कर दिया है।
नए नियम से क्या होगा फायदा?
उदाहरण के तौर पर रायपुर से लगे दुर्ग जिले के अमलेश्वर क्षेत्र में जमीन की कीमत 500 रुपए वर्गफुट और हेक्टेयर में उसका मूल्यांकन लगभग 78 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर है। यदि कोई 10,000 वर्गमीटर जमीन खरीदेगा तो अब मूल्यांकन हेक्टेयर दर पर होगा, जिससे पंजीयन शुल्क में पांच गुना तक की कमी आएगी। यानी रजिस्ट्री की दर जमीन खरीदारों के लिए काफी सस्ती होगी।
डायवर्टेड और नॉन-डायवर्टेड जमीन का मूल्यांकन एक समान
पहले नियम के अनुसार, डायवर्टेड भूमि का मुआवजा नॉन-डायवर्टेड से ढाई गुना अधिक मिलता था। इसके चलते अधिग्रहण से पहले ही लोग अपनी जमीन डायवर्ट करा लेते थे और अधिक मुआवजा प्राप्त कर लेते थे। अब नए नियम के तहत यह प्रावधान समाप्त कर दिया गया है और दोनों प्रकार की भूमि का मूल्यांकन एक समान दर पर होगा।
सरकार का मानना है कि नए नियम लागू होने से जमीनों के टुकड़ों के जरिए किया जाने वाला हेरफेर बंद होगा और वास्तविक दर पर ही मुआवजा दिया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार मूल्य से तीन गुना मुआवजा देने का प्रावधान तो रहेगा, लेकिन अनावश्यक रूप से अधिक भुगतान की संभावना खत्म हो जाएगी।

